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क्या उसके लिए अपने बेटे की ओर से ऊँट या गाय का अक़ीक़ा करना सही है ?

प्रश्न: 104399

क्या उस व्यक्ति के लिए जो अक़ीक़ा करना चाहता है अपने बेटे के लिए दो भेड़ों के बदले एक बछड़ा ज़बह करना संभव है ?

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

हरप्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

अक़ीक़ाके बारे में जो सुन्नत वर्णित है वह यह है कि बच्चे की ओर से दो बकरियाँ,और बच्चीकी ओर से एक बकरी अक़ीका किया जाय। क्योंकि अबू दाऊद (हदीस संख्या : 2842) ने अम्र बिनशुऐब से उन्हों ने अपने बाप से उन्हों ने अपने दादा से रिवायत किया है कि उन्हों नेकहा : अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : ”जिस व्यक्ति के कोईबच्चा पैदा हो तो वह उसकी ओर से अक़ीक़ा करना चाहे,तो उसे चाहिए कि बच्चे की ओरसे दो बराबर बकरियाँ और बच्ची की ओर से एक बकरी अक़ीक़ा करे।” इसे अल्बानी ने सहीह अबूदाऊद में हसन कहा है।

विद्वानोंने इस बारे में मतभेद किया है कि : क्या ऊँट या गाय का अक़ीक़ा पर्याप्त होगा या नहीं? जमहूर(यानी विद्वानों की बहुमत) इस बात की ओर गए हैं कि उन दोनों का अक़ीक़ा जायज़ है। जबकि कुछलोगों ने इससे मनाही की है ; क्योंकि सुन्नत (हदीस) में केवल बकरी का वर्णन हुआ है।

”अल-मौसूअतुलफ़िक़्हिय्यह” (30/279) में आया है : ”अक़ीक़ा में वही –जानवर- पर्याप्त है जो क़ुर्बानीमें पर्याप्त होता है, और वह मवेशी ऊँट,गाय और भेड़-बकरी हैं,और इनके सिवाय अन्य जानवर पर्याप्त नहीं हैं। इस बातमें अहनाफ, शाफेईया और हनाबिला के बीच सहमति है। और मालिकिया के निकट दोकथनों में से सबसे राजेह (संभावित) कथन यही है,जबकि उसके मुक़ाबले में जो कथन है वह यह है कि अक़ीक़ाभेड़-बकरी से ही होना चाहिए।” अंत हुआ।

सबसेबेहतर यह है कि सुन्नत का अनुसरण करते हुए, अक़ीक़ा भेड़-बकरी से ही हो। यहाँ पर ऊँट औरगाय या बछड़े से बकरी अधिक प्राथमिकता रखती है।

शैखइब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने फरमाया : ”जहाँ तक क़ुर्बानी के जानवरों का संबंध है तोलेखक ने कहा है : ”सबसे अफ़ज़ल ऊँट, फिर गाय,फिर भेड़-बकरी है”, और उनका मतलब यह है कि अगर उसने एक समुचितऊँट निकाल दिया तो वह बकरी से अफ़ज़ल है . . . सिवाय अक़ीक़ा के। क्योंकि उसमें पूरे ऊँटसे बकरी अफ़ज़ल है ; क्योंकि सुन्नत में इसी का वर्णन हुआ है। इसलिए यह ऊँट से अफज़ल है।””अश-शर्हुलमुम्ते” (7/424) से अंत हुआ।

इसआधार पर, बेटे की ओर से बछड़े (गाय) का अक़ीक़ा करने में कोई आपत्ति की बातनहीं है, परंतु दो बकरियाँ सबसे बेहतर हैं।

यहाँपर यह जान लेना उचित है कि अक़ीक़ा में भी वही चीज़ें शर्त हैं जिनकी शर्त क़ुर्बानी केजानवर में लगाई जाती है। उन्हीं शर्तों में से यह है कि : गाय ने दो साल मुकम्मल करलिया हो और तीसरे साल में दाखिल हो गई हो। इसका उल्लेख प्रश्न संख्या (41899) के उत्तरमें हो चुका है। अतः दो साल से छोटे बछड़े की क़ुर्बानी या अक़ीक़ा करना जायज़ नहीं है।

औरअल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

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