हमारे परिवार में प्रत्येक भाई और बहन को चाँदी की अंगूठी दी गई है, उस अंगूठी के अंदरूनी भाग में कुछ अरबी अंक छपे हुए हैं तथा वह विशेष रूप से केवल रजब के महीनें में बनाई जाती है। मैं यह जानकारी करना चाहता हूँ कि क्या इस प्रकार की अंगूठी पहनना इस्लाम का हिस्सा है या नहींॽ
रजब के महीने में चाँदी की अंगूठी पहनना
प्रश्न: 114424
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
पुरूष के लिए चाँदी की अंगूठी पहनना अनुमत है जिस प्रकार कि महिला के लिए अंगूठी पहनने की अनुमति है।
बुख़ारी (हदीस संख्याः 65) और मुस्लिम (हदीस संख्याः 2092) में अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है, वह कहते हैं : ''नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने एक पत्र लिखा या लिखने का इरादा किया, तो आपसे कहा गया : वे केवल मुहर लगा हुआ पत्र ही पढ़ते हैं। अतः आपने चाँदी की एक अंगूठी बनवाई जिसमें ‘‘मुहम्मद रसूलुल्लाह” अंकित था। गोया कि मैं उसकी सफेदी (चमक) को आपके हाथ में देख रहा हूँ।''
इमाम नववी रहिमहुल्लाह अपनी पुस्तक ‘‘अल-मजमूअ’’ (4/340) में कहते हैं : ‘‘विवाहित तथा अन्य महिला के लिए चाँदी की अंगूठी पहनने की अनुमति है जिस प्रकार कि उनके लिए सोने की अंगूठी पहनना जायज़ है। इस बात पर सर्वसम्मति है। तथा किसी मतभेद के बिना इसमें कोई बुराई नहीं है। इमाम ख़त्ताबी कहते हैं : ‘‘महिला के लिए चाँदी की अंगूठी पहनना मक्रूह (घृणित) है, क्योंकि यह पुरूषों के प्रतीकों में से है।” वह कहते हैं : “यदि वह सोने की अंगूठी न पाए तो उसे चाहिए कि वह केसर और उसी जैसे चीज़ से उसे पीला करले।’’ तथ्य यह है कि उन्होंने जो यह बात कही है वह अमान्य है जिसका कोई आधार नहीं है। सही बात यह है कि महिला के लिए चाँदी की अंगूठी का पहनना मक्रूह नहीं है।’’
इमाम नववी आगे कहते हैं : “पुरूष के लिए चाँदी की अंगूठी पहनना जायज़ है, चाहे वह कोई सत्तासीन (पदाधिकारी) व्यक्ति हो या कोई अन्य हो। और इस बात पर सर्वसहमति है। तथा शाम (सीरिया) के कुछ पहले के विद्वानों से जो यह उल्लेख़ किया गया है कि शासक के अलावा किसी और के लिए चाँदी की अंगूठी पहनना मक्रूह है, तो यह एक विचित्र कथन है और क़ुरआन और हदीस के प्रमाणों तथा पूर्वजों की सर्वसहमति के द्वारा अस्वीकृत है। तथा अब्दरी वग़ैरह ने इस बारे में विद्वानों की सर्वसहमति का उल्लेख किया है।” नववी की बात समाप्त हुई।
इसी तरह अंगूठी पर उकेरना और लिखना भी अनुमेय है, परन्तु इसे रजब के महीने के साथ विशिष्ट करने का कोई आधार नहीं है। तथा जो कोई रजब के महीने में इस विश्वास के साथ अंगूठी पहने कि इसके द्वारा अल्लाह तआला की निकटता प्राप्त होगी, या यह कि इसे इस महीने के दौरान पहनने की कोई विशिष्ट फ़जीलत (गुण) है, तो उसने नवाचार (बिदअत) और गलत किया।
तथा अंगूठी पर कोई ऐसी चीज़ लिखने से बचना चाहिए जिसके बारे में यह दावा किया जाता हो कि वह अच्छी किस्मत लाती है, या बुरी नज़र (कुदृष्टि), ईर्ष्या और भूत-प्रेत इत्यादि को दूर करती है।
निष्कर्ष यह कि : बुनियादी रूप से अंगूठी के पहनने और उस पर नक्काशी करने में कोई हर्ज नहीं है। इसमें निषिद्ध यह है कि उसके द्वारा अल्लाह तआला की निकटता प्राप्त की जाए, या उसे पहनने के लिए एक निश्चित समय विशिष्ट कर लिया जाए, या अंगूठी से बरकत प्राप्त किया जाए, या उसे ताबीज़ बना लिया जाए।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर