राफिज़ा (शिया) के इतिहास के प्रति आपके ज्ञान के माध्यम से, अहले सुन्नत और उन के बीच मैत्री और निकटता पैदा करने के सिद्धांत के बारे में आपका क्या रुख है?
उत्तर :
हर प्रकारकी प्रशंसा औरगुणगान केवल अल्लाहके लिए योग्य है।
”राफिज़ा औरअह्ले सुन्नत केबीच मैत्री औरमेल-मिलाप संभवनहीं है ; क्योंकिअक़ीदा (आस्था) विभिन्नहै, चुनांचे अह्लेसुननत व जमाअतका अक़ीदा (मूलसिद्धांत) अल्लाहकी तौहीद (एकेश्वरवाद), औरइबादत (पूजा व उपासना)को एकमात्र अल्लाहके लिए विशिष्टकरना है, औरयह कि उसके साथकिसी को भी न पुकाराजाए, नकिसी निकटवर्तीफरिश्ते को, नकिसी भेजे हुएसन्देष्टा को, औरयह कि अल्लाह सर्वशक्तिमानही केवल परोक्षचीज़ों का ज्ञानरखता है। तथा अह्लेसुन्नत के अक़ीदामें से सभी सहाबारज़ियल्लाहु अन्हुमसे महब्बत करना, उनकेलिए अल्लाह कीप्रसन्नता की दुआकरना (अर्थातउनका नाम आनेपररज़ियल्लाहुअन्हुम कहना), तथायह आस्था रखनाहै कि वे पैगंबरोंके बाद सबसे बेहतरलोग हैं, औरयह कि उनमें सबसेप्रतिष्ठावानअबू बक्र सिद्दीक़, फिरउमर, फिरउसमान, फिरअली रज़ियल्लाहुअन्हुम अजमईन हैं।जबकि राफिज़ा काअक़ीदा इसके विपरीतऔर विरूद्ध है।इसलिए दोनो केबीच गठबंधन औरमेल-मिलाप संभवनहीं है। जिस तरहकि यहूदियों, ईसाइयों, मूर्तिपूजकोके बीच और अह्लेसुन्नत के बीचमेल-मिलाप संभवनहीं है, तोउसी तरह राफिज़ाके बीच और अह्लेसुन्नत के बीचभी मैत्री और मेल-मिलापसंभव नहीं है क्योंकिअक़ीदे की वह विभिन्नतापाई जाती है जिसकोहम ने स्पष्ट कियाहै।” अंत हुआ।