एक अवधि से मैं ने अपने धर्म इस्लाम को पहचाना है, इस पर सर्व प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है, अल्लाह तआला ने मेरा मार्ग दर्शन किया और मैं ने और दो भाईयों ने दाढ़ी रख ली, और यह सुन्नत हमारे परिवार के कुछ सदस्यों तक पहुँच गई और हम अपने घरों को हर तरह इस्लामी बनाने पर सक्षम होगए, घर में सभी बहनें इस्लामी पोशाक पहनने लगीं और यथा शक्ति क़ुरआन और सुन्नत का पालन करने लगीं, फिर शहर में फित्ना व उपद्रव पैदा हो गया और लोग दाढ़ी वालों पर उलट पड़े और उन्हें परेशान करने लगे और यह समझने लगे कि हर दाढ़ी वाला लोगों की हत्या करना और उनका खून बहाना चाहता है – जबकि हम मुसलमान होने के रूप् में किसी भी हालत अपने पलनहार के निषेध किए हुए जान को क़त्ल करना अच्छा नहीं समझते हैं – और मेरे माता पिता और परिवार वाले मुझ पर ज़ोर देने लगे कि मैं अपनी दाढ़ी को मूँड लूँ। मेरी माँ कहती है कि मेरे पिता मुझसे नाराज़ हैं, और मैं रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की कही हुई किसी बात का विरोध करने से डरता हूँ, तथा मुझे किसी उल्लंघन और गुनाह करने से डर लगता है ॽ
फित्ने के कारण दाढ़ी मूंडना
प्रश्न: 1185
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकारकी प्रशंसा औरस्तुति केवल अल्लाहके लिए योग्य है।
सर्वप्रथम :
अल्लाहतआला आपको रसूलसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम के तरीक़का पालन करने औरअपने घर वालोंऔर सभी परिवारके लागों को इसकेलिएआमंत्रणितकरने पर अच्छाबदला प्रदान करे।
दूसरा: दाढ़ी को मूँडनाहराम व निषिद्धहै, और उसको बढ़ानाअनिवार्य है जैसाकिआप को पता है। तथासृष्टा का आज्ञापालन करना सृ़ष्टिके आज्ञा पालनपर प्राथमिकतारखता है चाहे वहकितना ही निकटतमक्यों न हो,अतः सृष्टा कीअवज्ञा में किसीभी सृष्टि का अज्ञापालननहीं है,बल्कि सृष्टिका आज्ञा पालनकेवल भलाई के अंदरहै। तथा आपने अपनेदाढ़ी रखने के कारणअपने पिता के नाराज़और क्रोधित होनेका जो उल्लेख कियाहै तो वह मात्रभावना और आपकेऊपर उन घटनाओंऔर वारदातों सेभय खाने की वजहसे है जिससे आपकेअलावा दूसरे लोगपीड़ित हो चुकेहैं,लेकिनवे दुर्घटनायेंआम तौर पर विद्रोहमें पड़ने और उसेभड़काने के कारणहुई हैं,मात्र दाढ़ीके रखने या बढ़ानेसे नहीं।इसीलिए आप देखेंगेकि उन वारदातोंसे ऐसे लोग भी पीड़ितहुए हैं जो अपनीदाढ़ियों को मूँडतेथे। इसलिए आप हक़और सत्य पर सुदृढ़रहें,और अल्लाहका आज्ञापालन करतेहुए और उसे खुशकरने के लिए अपनीदाढ़ी को बढ़ानेकी प्रक्रिया कोजारी रखें,भले ही लोगइससे नाराज़ औरक्रोधित हों,तथा आप उत्तेजनाऔर विद्रोह केसाधनों और कारणोंसे दूर रहें,तथा अल्लाहपर भरोसा रखेंऔर उसी से आशा लगाएंकि वह आप के लिएहर तंगी औरपरेशानी से निकलनेका रास्ता पैदाकर दे,अल्लाहतआला ने फरमाया:
ومن يتق الله يجعل له مخرجاًويرزقه من حيث لا يحتسب ، ومن يتوكل على الله فهو حسبه إن الله بالغ أمره قد جعل اللهلكل شيء قدراً [سورةالطلاق : 2-3]
‘‘औरजो इंसान अल्लाहसे डरता है,अल्लाह उसके लिएछुटकारे का रास्तानिकाल देता है।और उसे ऐसी जगहसे रोज़ी उपलब्धकराता है जिसकाउसे अंदाज़ा भीन हो, और जो इंसानअल्लाह पर भरोसाकरेगा, अल्लाहउसके लिए काफीहोगा। अल्लाह अपनाकाम पूरा करकेही रहेगा,अल्लाह तआला नेहर चीज़ का एक अंदाज़ानिर्धारित कर रखाहै।” (सूरतुत्तलाक़: 2-3)
तथाफरमाया :
ومن يتق الله يجعل له من أمرهيسراً ، ذلك أمر الله أنزله إليكم ومن يتق الله يكفر عنه سيئاته ويعظم له أجراً [سورةالطلاق : 4-5].
“और जो इंसानअल्लाह तआला सेडरेगा, अल्लाहउसके हर काम मेंआसानी पैदा करदेगा। यह अल्लाहका हुक्म है जोउसने तुम्हारीतरफ उतारा है,और जो इंसान अल्लाहसे डरेगा,अल्लाह उसके गुनाह मिटादेगा और उसे बहुतभारी बदला देगा।”(सूरतुत्तलाक़ :4-5)
तथाहम आप को माता पिताके साथ सद्वयवहारकरने और नरमी तथाअच्छे ढंग से उनसेक्षमा याचना करनेकी सिफारिश करतेहैं।
स्रोत:
फतावा स्थायी समिति 5/151