हम पवित्र क़ुरआन के बारे में सलफ़ (पुनीत पूर्वजों) का अक़ीदा (मन्यता) जानना चाहते हैं।
पवित्र क़ुरआन के बारे में पूर्वजों का अक़ीदा
प्रश्न: 120984
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
“पवित्र क़ुरआन के बारे में सलफ़ का अक़ीदा अल्लाह के सभी नामों और गुणों के बारे में उनके अक़ीदे की तरह है। यह एक ऐसा अक़ीदा है जो अल्लाह की किताब और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत पर आधारित है। हम सभी जानते हैं कि अल्लाह महिमावान ने क़ुरआन को अपना वचन (वाणी) बताया है और यह कि वह उसी की ओर से अवतरित किया गया है। अल्लाह तआला ने फरमाया :
وَإِنْ أَحَدٌ مِنْ الْمُشْرِكِينَ اسْتَجَارَكَ فَأَجِرْهُ حَتَّى يَسْمَعَ كَلَامَ اللَّهِ ثُمَّ أَبْلِغْهُ مَأْمَنَهُ
التوبة :6
“और यदि मुश्रिकों में से कोई तुमसे शरण माँगे, तो उसे शरण दे दो, यहाँ तक कि वह अल्लाह की वाणी सुने। फिर उसे उसके सुरक्षित स्थान तक पहुँचा दो।” (सूरतुत-तौबा : 6)।
इसमें कोई संदेह नहीं कि यहाँ अल्लाह की वाणी से अभिप्राय पवित्र क़ुरआन है। तथा अल्लाह तआला ने फरमाय :
إِنَّ هَذَا الْقُرْآنَ يَقُصُّ عَلَى بَنِي إِسْرَائِيلَ أَكْثَرَ الَّذِي هُمْ فِيهِ يَخْتَلِفُونَ
النمل: 76
“निःसंदेह यह क़ुरआन इसराईल की संतान के सामने अधिकतर वे बातें वर्णन करता है, जिनमें वे मतभेद करते हैं।” (सूरतुन-नम्ल : 76)।
अतः क़ुरआन का शब्द और अर्थ दोनों अल्लाह का कलाम (वाणी) है। अल्लाह ने वास्तविक रूप से इसके साथ कलाम किया (यानी इसे बोला) है और इसे जिबरील अमीन को दिया, फिर जिबरील इसे लेकर नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के दिल पर उतरे, ताकि आप डराने वालों में से हो जाएँ, साफ अरबी भाषा में।
सलफ़ का मानना है कि क़ुरआन अवतरित किया गया है, अल्लाह ने इसे मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर, अपनी हिकमत की अपेक्षा के अनुसार, थोड़ा-थोड़ा करके, तेईस वर्षों में उतारा है।
फिर क़ुरआन का अवतरण कभी प्राथमिक रूप से और कभी कारणात्मक होता था। इसका मतलब यह है कि क़ुरआन का कुछ अंश किसी विशिष्ट कारण के लिए उतरता था जो इसके उतरने की अपेक्षा करता था, और कुछ बिना किसी विशेष कारण के उतरता था। तथा उसमें से कुछ नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और आपके साथियों के साथ हुई किसी घटना के बारे में बताने के लिए प्रकट होता था, जबकि उसमें से कुछ प्राथमिक शरई अहकाम के बारे में नाज़िल होता था, जैसाकि विद्वानों ने इस अध्याय में उल्लेख किया है।
फिर सलफ का कहना है : क़ुरआन शुरुआत में अल्लाह की ओर से है और समय के अंत में उसी की ओर वापस चला जाएगा। पवित्र क़ुरआन के विषय में सलफ का यह कथन (दृष्टिकोण) है।
हम से यह छिपा नहीं है कि सर्वशक्तिमान अल्लाह ने पवित्र क़ुरआन को महान विशेषताओं के साथ वर्णित किया है। उसने इसे हकीम (बुद्धिमान), करीम (उदार, कुलीन), अज़ीम (महान) और मजीद (गौरवशाली) के रूप में वर्णित किया है। और ये गुण-विशेषताएँ जिनके साथ अल्लाह ने अपनी वाणी (कलाम) का वर्णन किया है, उस व्यक्ति के लिए हैं जो इस पुस्तक का पालन करता है और इसपर आंतरिक और बाहरी दोनों तरह से अमल करता है। अल्लाह उसे महिमा, महानता, हिकमत, सम्मान और अधिकार का वह अंश प्रदान कर देगा, जो उस व्यक्ति के लिए नहीं होगा, जो अल्लाह की किताब का पालन नहीं करता है। इसलिए मैं इस मंच से सभी मुसलमानों, शासकों और शासितों, विद्वानों और सामान्य लोगों से आह्वान करता हूँ कि वे सर्वशक्तिमान अल्लाह की पुस्तक का बाहरी और आंतरिक रूप से पालन करें, ताकि उन्हें सम्मान, खुशी और महिमा प्राप्त हो और वे पृथ्वी के पूर्व और पश्चिम (यानी पूरी दुनिया) में प्रबल हो सकें।” उद्धरण समाप्त हुआ।
महामहिम शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह।
"फतवा किबार उलमा अल-उम्मा” (पृष्ठ : 45)।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर