उन लोगों का क्या हुक्म है जो यह गुमान करते हैं कि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अली रज़ियल्लाहु अन्हु के लिए खिलाफत (अपने बाद उत्तराधिकार) की वसीयत की थी, और वे कहते हैं कि सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम ने उनके खिलाफ षड़यंत्र रचा था?
क्या पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अली रज़ियल्लाहु अन्हु के लिए खिलाफत की वसीयत की थी?
प्रश्न: 12103
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकारकी प्रशंसा औरगुणगान केवल अल्लाहके लिए योग्य है।यह कथन शीयासंप्रदाय के अलावामुसलमानों के किसीसंप्रदाय के बारेमें नहीं जानाजाता है। यह एकअसत्य कथन है जिसकापैगंबर सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमसे प्रमाणित हदीसोंमें कोई आधार नहींहै। बल्कि बहुतसारी दलीलों सेयह पता चलता हैकि आप सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमके बाद खलीफा अबूबक्र होंगे, अल्लाह उनसे औरनबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमके सारे सहाबासे प्रसन्न हो।लेकिन आप सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमने स्पष्टता केसाथ इसका वर्णननहीं किया है औरनिश्चित रूप सेइसकी वसीयत (सिफारिश)नहीं की है। लेकिनआप ने कुछ ऐसी चीज़ोंका आदेश दिया हैजिससे यह पता चलताहै। चुनाँचे आपसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम ने उन्हेंआदशे दिया कि वहआपकी बीमारी मेंलोगों की इमामतकराएं। और जब आपसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम से आपकेबाद खिलाफ़त (उत्तराधिकार)के मामले का वर्णनकिया गया तो आपसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम ने फरमाया: ‘‘अल्लाह तआला औरमोमिन लोग अबूबक्र के अलावाको नहीं चाहेंगे।’’ इसीलिए सहाबारज़ियल्लाहु अन्हुमने आपके हाथ परबैअत किया और उनकीइस बात पर सर्वसम्मतिहै कि अबू बक्रउनमें सबसे श्रेष्ठहैं। तथा इब्नेउमर रज़ियल्लाहुअन्हुमा की हदीसमें साबित है किसहाबा रज़ियल्लाहुअन्हुम, नबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमके ज़माने में कहाकरते थे : ‘‘इस उम्मतके, उसके नबी केबाद, सबसे बेहतरअबू बक्र, फिर उमर, फिर उसमान हैं।’’ और आप सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमइस पर उनकी पुष्टिकरते थे। तथा अलीरज़ियल्लाह अन्हुसे तवातुर(निरंतरता) के साथआसार(घटनायें) वर्णितहैं कि वह कहा करतेथे : ‘‘इस उम्मत के, उसकेनबी के बाद, सबसेबेहतर अबू बक्र,फिर उमर हैं।’’ तथा आप रज़ियल्लाहुअन्हु कहा करतेथे : ‘‘मेरे पास किसीऐसे आदमी को लायागया जो मुझे उनदोनों पर प्राथमिकतादेता है तो मैंउसे झूठ गढ़ने वालेकी सज़ा के कोड़ेलगाऊँगा।’’ तथा उन्हों नेअपने बारे मेंयह दावा नहीं कियाकि वह उम्मत केसबसे बेहतर व्यक्तिहैं, और न तो रसूल सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमने उनके लिए खिलाफत(उत्तराधिकार)की वसीयत की। तथाउन्हों ने यह भीनहीं कहा कि सहाबारज़ियल्लाहु अन्हुमने उनपर अत्याचारकिया है और उनकेहक़ को हड़प लियाहै। जब फातिमारज़ियल्लाहु अन्हाका निधन हो गयातो उन्हों ने सिद्दीक़रज़ियल्लाहुअन्हु से दूसरीबैअत की, पहली बैअतकी पुष्टि करनेऔर लोगों पर यहस्पष्ट करने केलिए कि वह जमाअतके साथ हैं और उनकेदिल में अबू बक्रकी बैअत के प्रतिकुछ भी नहीं है।तथा जब उमर रज़ियल्लाहुअन्हु को छुराघोंपा गया और उन्होंने शूरा को दस जन्नतीसहाबा में से छःके बीच कर दिया, और उनमें अली रज़ियल्लाहुअन्हु भी थे तोउन्हों ने उमररज़ियल्लाहुअन्हु पर इन्कारनहीं किया, न तोउनके जीवन मेंऔर न तो उनकी मृत्युके बाद। न तो उन्होंने यह कहा कि वहउन सबसे बेहतरहैं। तो किसी आदमीके लिए यह कैसेजायज़ हो सकता हैकि वह अल्लाह केपैगंबर सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमपर झूठ बात गढ़ेऔर यह कहे कि आपने अलीरज़ियल्लाहुअन्हु के लिए खिलाफतकी वसीयत की थी।जबकि उन्हों नेस्वयं अपने लिएयह दावा नहीं कियाऔर न तो किसी सहाबीने उनके हक़ मेंयह दावा किया।बल्कि वे सब अबूबक्र, उमर और उसमानकी खिलाफत के सहीहोने पर सहमत हैं।तथा स्वयं अलीरज़ियल्लाहु अन्हुने इसको स्वीकारकिया है, और उन सभीके साथ जिहाद औरशूरा वगैरह मेंसहयोग किया। फिरसहाबा रज़ियल्लाहुअन्हुम के बादमुसलमानों ने उसचीज़ पर सर्वसहमतिबनाये रखी जिसपरसहाबा सहमत हुएथे। इसके बाद किसीभी इन्सान या किसीभी संप्रदाय को,चाहे वे शीया लोगहों या कोई अन्यहो, इस बात की अनुमतिनहीं है कि वह यहदावा करे कि अलीरज़ियल्लाहु अन्हुके लिए वसीयत कीगई थी, और यह कि उनसेपहले की खिलाफतअसत्य थी, जिस तरहकि किसी इन्सानके लिए यह जायज़नहीं है कि वह यहकहे कि सहाबा नेअली रज़ियल्लाहुअन्हु पर अत्याचारकिया और उनके हक़को छीन लिया। बल्कियह सबसे बड़ा असत्यऔर झूठ है, तथा यहपैगंबर सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमके सहाबा के साथबदगुमानी है, और उन्हीं मेंसे अली रज़ियल्लाहुअन्हु व अन्हुमअजमईन हैं।
अल्लाह नेइस उम्मते मुहम्मदियाको पवित्र क़रारदिया है और गुमराहीव पथ-भ्रष्टतापर एकत्र होनेऔर सर्वसहमति बनानेसे सुरक्षित रखाहै, तथा आप सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमसे बहुत सारी हदीसोंमें प्रमाणित हैकि आप ने फरमाया: ‘‘मेरी उम्मत काएक दल निरंतर हक़पर स्थिर और गालिबरहेगा।’’ तो यह बातअसंभव है कि उम्मतअपने सबसे श्रेष्ठसदियों में, और वह अबू बक्र, उमर और उसमान रज़ियल्लाहुअन्हुम की खिलाफतहै, किसी असत्य परसहमत हो जाए। अल्लाहऔर आखिरत के दिनमें विश्वास रखनेवाला ऐसी बात नहींकहेगा, जिस तरह किइस्लाम के प्रावधानके बारे में मामूलीजानकारी रखने वालाभी ऐसी बात नहींकहेगा।।
स्रोत:
किताब फतावा इस्लामिया 1/46, फतावा शैख इब्ने बाज़ से।