कृपया तलाकशुदा महिला की इद्दत (प्रतीक्षा अवधि) स्पष्ट करें।
तलाकशुदा महिला की इद्दत
प्रश्न: 12667
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
“यदि महिला को पुरुष के उसके पास प्रवेश करने और उसके साथ अकेले रहने से पहले, यानी उसके साथ संभोग करने से पहले और उसके साथ एकांत में होने और अंतरंगता से पहले तलाक़ दे दिया जाता है, तो उसपर किसी भी तरह से कोई 'इद्दत' (प्रतीक्षा की अवधि बिताना) अनिवार्य नहीं है। अतः जैसे ही वह उसे तलाक़ देता है, वह उससे अलग हो जाती है और उसके लिए किसी अन्य पुरुष से विवाह करना जायज हो जाता है।
लेकिन अगर वह उसके पास प्रवेश किया है, उसके साथ एकांत में हुआ है और उसके साथ संभोग किया है, तो उसपर 'इद्दत' (प्रतीक्षा अवधि) बिताना अनिवार्य है और उसकी इद्दत निम्नलिखित तरीकों से होगी :
पहला :
यदि वह गर्भवती थी तो उसकी इद्दत गर्भ जनने तक है, चाहे अवधि लंबी हो या छोटी। हो सकता है कि वह उसे सुबह तलाक़ दे और वह दोपहर से पहले बच्चे को जन्म दे, तो ऐसी स्थिति में उसकी प्रतीक्षा अवधि (इद्दत) समाप्त हो जाएगी। तथा हो सकता है कि वह उसे मुहर्रम के महीने में तलाक़ दे और वह ज़ुल-हिज्जा के महीने तक बच्चे को जन्म न दे। इस तरह वह बारह महीने तक प्रतीक्षा अवधि में रहेगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि गर्भवती महिला की प्रतीक्षा अवधि (इद्दत) सामान्यता उसका अपने बच्चे को जन्म देना है। क्योंकि अल्लाह का फरमान है :
وَأُولاتُ الأَحْمَالِ أَجَلُهُنَّ أَنْ يَضَعْنَ حَمْلَهُنَّ
“और गर्भवती स्त्रियों की 'इद्दत' यह है कि वे अपना गर्भ जन दें।” [सूरतुत्-तलाक़ : 4]
दूसरा :
यदि महिला गर्भवती नहीं है और उसे मासिक धर्म आता है, तो उसकी 'इद्दत' तलाक़ के बाद तीन पूर्ण मासिक धर्म है, जिसका अर्थ यह है कि उसे मासिक धर्म आए और वह पवित्र हो जाए, फिर उसे मसिक धर्म आए और वह पवित्र हो जाए, फिर उसे मासिक धर्म आए और वह शुद्ध हो जाए। ये तीन पूर्ण मासिक धर्म हैं, चाहे उनके बीच की अवधि लंबी हो या लंबी न हो। इसके आधार पर, यदि वह उसे इस अवस्था में तलाक़ देता है कि वह स्तनपान करा रही है और उसे दो साल के बाद मासिक धर्म आता है, तो वह इद्दत में बाक़ी रहेगी यहाँ तक कि उसे तीन बार मासिक धर्म आ जाए। इसलिए उसे इस अवस्था में दो साल या उससे अधिक समय तक ठहरना होगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस महिला को मासिक धर्म आता है, उसकी इद्दत (प्रतीक्षा अवधि) तीन पूर्ण मासिक धर्म है, चाहे वह अवधि लंबी हो या छोटी, क्योंकि अल्लाह तआला का फरमान है :
وَالْمُطَلَّقَاتُ يَتَرَبَّصْنَ بِأَنْفُسِهِنَّ ثَلاثَةَ قُرُوءٍ
"तथा जिन स्त्रियों को तलाक़ दे दी गई है, वे तीन बार मासिक धर्म आने तक अपने आपको (विवाह से) प्रतीक्षा में रखें।'' (सूरतुल बक़रह : 228)।
तीसरा :
जिस महिला को मासिक धर्म नहीं आता है, या तो इसलिए कि वह बहुत छोटी है या इसलिए कि वह बूढ़ी है उसकी रजोनिवृत्ति हो चुकी है और उसे मासिक धर्म आना बंद हो गया है, तो उसकी 'इद्दत' तीन महीने है, क्योंकि अल्लाह का फरमान है :
وَاللائِي يَئِسْنَ مِنَ الْمَحِيضِ مِنْ نِسَائِكُمْ إِنِ ارْتَبْتُمْ فَعِدَّتُهُنَّ ثَلاثَةُ أَشْهُرٍ وَاللائِي لَمْ يَحِضْنَ
''तथा तुम्हारी स्त्रियों में से जो मासिक धर्म से निराश हो चुकी हैं, यदि तुम्हें संदेह हो, तो उनकी इद्दत तीन मास है और उनकी भी जिन्हें मासिक धर्म नहीं आया।'' (सूरतुत-तलाक़ : 4).
चौथा :
यदि उसका मासिक धर्म किसी ऐसे कारण से बंद हो जाए जिससे पता चले कि उसका मासिक धर्म दोबारा नहीं आएगा, जैसे कि उसका गर्भाशय निकाल दिया गया हो, तो यह उस महिला के समान है जिसकी रजोनिवृत्ति हो चुकी है जो तीन महीने इद्दत गुज़ारे गी।
पाँचवाँ :
यदि उसका मासिक धर्म बंद हो गया है और वह जानती है कि यह किस कारण से रुका है, तो वह कारण समाप्त होने और मासिक धर्म के वापस आने का इंतज़ार करेगी, फिर वह अपने मासिक धर्म के अनुसार इद्दत गुज़ारेगी।
छठा :
यदि उसका मासिक धर्म बंद हो गया है और वह नहीं जानती कि इसका कारण क्या है, तो विद्वानों का कहना है कि उसे पूरे एक वर्ष इद्दत बिताना होगा; नौ महीने गर्भावस्था के लिए और तीन महीने इद्दत के लिए।
ये तलाकशुदा महिला की इद्दत (प्रतीक्षा अवधि) के प्रकार हैं।
स्रोत:
शैख मुहम्मद बिन उसैमीन, ''मजमूअह असइलह तहुम्म अल-उसरा अल-मुस्लिमह'' (पृष्ठ : 61-63)