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11,23810/राबी प्रथम/1432 , 13/फ़रवरी/2011

एक ईसाई औरत अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्मदिन के बारे में प्रश्न करती है और मुसलमनों के लिए उस दिन का क्या महत्तव है ?

Question: 13810

अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जिस दिन पैदा हुए उसका क्या महत्तव है, तथा उस दिन को कब और कैते मनाया जाता है ?

Texte de la réponse

Louanges à Allah et paix et bénédictions sur le Messager d'Allah et sa famille.

पहली बातः

मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सर्व मानवजाति की ओर अल्लाह के संदेष्ट हैं, जिन के द्वारा अल्लाह तआला ने लोगों को अंधेरों से निकाल कर रोशनी की ओर ला खड़ा किया, और उनके हाथों को पकड़ कर उन्हें पथभ्रष्टता एवं गुमराही से बचाकर हिदायत (सीधे मार्ग) की ओर मार्गदर्शन किया। और अधिक जानकारी प्रश्न संख्या (11575) के उत्तर से प्राप्त कर सकते हैं।

और संभव है कि यह प्रश्न इस्लाम धर्म के बारे में विस्तृत खोज की शुरूआत, उसके के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने और अधिक से अधिक अध्ययन करने के लिए एक प्रयास सिद्ध हो। तथा आप कुरआन का अनुवाद खोज करने का उत्सुक बनें ताकि आप इस दीन-ए-हानीफ के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकें। निश्चित तौर पर हमारी प्रसन्नता उस समय इसके कई गुना अधिक बढ़ जायेगी जब आप इस धर्म में प्रवेश कर हमारी इस्लामी बहन हो जायेंगी।

दूसरी बातः इसलाम के अंदर उपासनायें (इबादात) एक महान आधार पर स्थपित हैं और वह ये है कि किसी भी मनुष्यके लिए जाइज़ (धर्मसंगत) नहीं है कि वह अल्लाह तआला की उपासना (इबादत) किसी ऐसी चीज़ के द्वारा करे जिसको न तो अल्लाह तआला ने अपनी किताब (क़ुरआना) में वैध किया है और न ही उसके ईश्दूत एवं संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उसको प्रस्तुत किया है। और जिस मनुष्य ने अल्लाह सर्वशक्तिमान की उपासना (इबादत) किसी ऐसी चीज़ के द्वारा किया जिसका अल्लाह सर्वशक्तिमान और उसके पैग़ंबर ने आदेश नहीं दिया है तो अल्लाह सर्वशक्तिमान उससे उस चीज़ को स्वीकार नहीं करेगा। पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें इसी चीज की सूचना दी है। चुनांचे आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा से रिवायत है की उन्हों ने कहा कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलौहि व सल्लम ने फरमाया हैः "जिस ने हमारी इस शरीअत में कोई ऐसी चीज़ ईजाद की जिसका इस से कोई संबंध नहीं है तो उसे रद्द (अस्वीकृत) कर दिया जाये गा। इसे इमाम बुख़ारी ने (किताबुस्सुल्ह / हदीस संख्याः 2499) रिवायत किया है।

इन्हीं उपासनाओं में से त्योहार (पर्व) भी है। अल्लाह सर्वशक्तिमान ने हमारे लिए दो त्योहार निर्धारित किए (वैध ठहराये) हैं जिनमें हम जश्न (उत्सव) और खुशी मनाते हैं, और इन दोनों दिनों के अलावा किसी अन्य दिन में जश्न (उत्सव) मनाना वैध नहीं है। 

जहाँ तक उस दिन का उत्सव मनाने का प्रश्न है जिस दिन नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का जन्म हुआ, तो इस संदर्भ मेंइस बात काजानना उचित है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमारे लिए इस दिन का जश्न मनाना वैध नहीं ठहराया है, और न तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने स्वयं उस दिन का उत्सव मनाया है और न ही आपके सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम ने। वे लोग नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से हमारी अपेक्षा व्यापक महब्बत करने वाले थे इसके बावजूद उन्हों ने इस दिन का उत्सव नहीं मनाया। अतः हम भी अल्लाह सर्वशक्तिमान के आदेश का पालन करते हुए इस दिन का उत्सव नहीं मनायेंगे, क्येंकि अल्लाह ने हमें अपने नबी सल्ललाहु अलैहि व सल्लम के आदेशों का पालन करने का आदेश दिया है। अल्लाह ने फरमायाः

وَمَاءَاتَاكُمُالرَّسُولُفَخُذُوهُوَمَانَهَاكُمْعَنْهُفَانْتَهُوا [سورةالحشر: 7]

"रसूल (सल्ललाहु अलैहि व सल्लम) जो कुछ तुम्हें दें उसे ले लो और जिस चीज़ से तुम्हें रोक दें उससे रुक जाओ।" (सूरतुल हश्रः 7).

तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान हैः "तुममेरीसुन्नतऔरमेरेबादहिदायतयाफ्ता(पथप्रदर्शित)ख़ुलफा-ए-राशिदीनकीसुन्नतकोलाज़िमपकड़ो, उसेदृढ़तासेथामलोऔरउसेदाँतोंसेजकड़लो।औरधर्ममेंनयीईजादकरलीगयीचीज़ों(नवाचार) सेबचो, क्योंकिधर्ममेंहरनईईजादकरलीगईचीज़बिद्अतहै,औरहर बिद्अतगुमराही (पथभ्रष्टता) है।" इस हदीस को अबू दाऊद (अस्सुनह/ 3991) ने रिवायत किया है और अल्बानी ने "सहीह अबु दाऊद" (हदीस संख्याः 3851) में इसे सहीह कहा है। तथा जिन चीज़ों से नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से महब्बत के स्तर का पता चलता है पता चलता है़, उन्हीं में से एक आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का हर उस चीज़ में आज्ञा पालन करना है जिसका आपने आदेश दिया है और मनाही की है, और उसी में से आपका आपके जन्मदिवस का जश्न न मनाने में आज्ञापालन करना है। प्रश्न संख्या (5219) और (10070) का उत्तर भी देखें।

और जो व्यक्ति उस दिन का सम्मान करना चाहे जिस दिन नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का जन्म हुआ तो शरई विकल्प को अपनान चाहिए और वह सोमवार के दिन रोज़ा रखना है, और वह केदल जन्मदिन के सोमवार के साथ विशिष्ट नहीं है बल्कि प्रत्येक सोमवार को रोज़ा रखना चाहिए।

अबू क़तादा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि अल्लाह के पैग़ंबर सल्ललाहु अलैहि व सल्लम से सोमवार के रोज़ा के विषय में पूछा गया तो आपने फरमायः
उसी दिन मेरा जन्म हुआ तथा उसी दिनमुझ पर कुरआन अवतरित हुआ।" इसे मुस्लिम (हदीस संख्याः 1978) ने रिवायत किया है।

तथा जुमेरात के दिन लोगोंके कर्म उठाऐ जाते हैं और अल्लाह के सम्मुख पेश किये जाते हैं।

इन सारी बातों का सारंश यह है किः आप के जन्मदिन का जश्न मनाना न तो अल्लाह तआला ने धर्मसंगत (वैध) किया है और न ही अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने वैध किया है। इसिलए अल्लाह का आज्ञापालन तथा उसके पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का आज्ञापालन करते हुए मुसलमानों के लिए आप के जन्मदिन का जश्न मनाना जाइज (वैध) नहीं है। हम अल्लाह सर्वशक्तिमान से आपके लिए सीधे मार्ग की ओर मार्गदर्शन की प्रार्थना (दुआ) करते हैं।अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।

शैख मुहम्मद बिन सालेह अल-मुनज्जिद

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शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद

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