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रमज़ान में फज्र के उदय होने तक जनाबत के स्नान को विलंब करना

प्रश्न: 14225

एक बार सेहरी से पहले मुझे स्वपनदोष हो गया . . . और मैं स्नान करने पर सक्षम नहीं था, मैं स्नान करने से बहुत लज्जा महसूस करता था . . . इसलिए कि मेरे माता पिता को पता चल जायेगा कि मुझे स्वपनदोष हो गया है . . . इसीलिए मैं ने उस सुबह फज्र की नमाज़ भी न पढ़ी . . . किन्तु मैं ने बाद में स्नान किया और फज्र कि नमाज़ पढ़ी . . मैं यह जानना चाहता हूँ कि क्या मेरा रोज़ा स्वीकारनीय है ? क्योंकि मैं समझता हूँ कि मैं ने (स्वपनदोष से) जनाबत की हालत में सेहरी करके ग़लती की है . . . तो क्या मेरा रोज़ा स्वीकार्य है ?

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

जिस व्यक्ति ने रात के समय अपनी पत्नी से सहवास किया और जनाबत (अर्थात अपवित्रता) की हालत में सुबह किया तो उसका रोज़ा शुद्ध (सही) है। इसी प्रकार उस आदमी का रोज़ा भी सही है जिसे उसकी नींद में रात या दिन के समय स्वपनदोष (जनाबत) हो जाता है। तथा उसके लिए फज्र के उदय होने तक स्नान को विलंब करने में कोई बात नहीं है। बल्कि केवल फज्र के उदय होने से सूरज के डूबने तक रमज़ान के दिन में संभोग करना रोज़े को फासिद (ख़राब) कर देता है। फतावा स्थायी समिति (10/327).

जहाँ तक आपके सूर्य निकलने तक फज्र की नमाज़ को विलंब करने की बात है तो यह आप के ऊपर हराम (वर्जित) है, अनिवार्य यह है कि नमाज़ को उसके ठीक समय पर अदा किया जाये। तथा आपका स्नान करने से बहुत लज्जा महसूस करना कोई ऐसा उज़्र (कारण और बहाना) नहीं है जो आपके लिए नमाज़ को उसके समय से विलंब करना वैध ठहरा दे, आप के ऊपर इस से तौबा (पश्चाताप) करना, और इस्तिग़फार करना अनिवार्य है।

अल्लाह तआला हमें और आप को हर भलाई की तौफीक़ प्रदान करे।

स्रोत

शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद

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