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4,80626/रमजान/1434 , 3/अगस्त/2013

 क्या सलातुत्-तसाबीह सही है ?

Pergunta: 14320

क्या सलातुत् तसाबीह का समर्थन करने वाली कोई हदीस वर्णित है ? और यदि उसका उत्तर हाँ में है, तो उसका स्रोत क्या है ?

Texto da resposta

Louvado seja Deus, e paz e bênçãos estejam sobre o Mensageiro de Deus e sua família.

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

सलातुत तसाबीह के बारे में एक हदीस वर्णित है जिसकी सनद नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम तक पहुँचती है और उसे कुछ विद्वानों ने हसन कहा है, किंतु बहुत से लोग उसके ज़ईफ होने और इस नमाज़ के वैद्ध न होने की ओर गए हैं।

तथा इफ्ता की स्थायी समिति से सलातुत्-तसाबीह के बारे में प्रश्न किया गया, तो उसने उत्तर दिया :

सलातुत्-तसाबीह एक बिद्अत है और उसकी हदीस साबित नहीं है, बल्कि वह घृणित है, और कुछ विद्धानों ने उसे मौज़ूआत यानी मनघढ़ंत हदीसों में उल्लेख किया है।

देखिए : फतावा स्थायी समिति 8/163.

तथा शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने फरमाया: सलातुत-तसाबीह वैद्ध और धर्मसंगत नहीं है, क्योंकि उसकी हदीस कमज़ोर है। इमाम अहमद ने फरमाया: वह सहीह नहीं है, तथा शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिया ने फरमाया कि यह झूठी है, तथा उन्हों ने कहा कि किसी भी इमाम ने इसे मुसतहब नहीं समझा है, और आप रहिमहुल्लाह ने सच कहा है। क्योंकि जो व्यक्ति इस नमाज़ के अंदर मनन-चिंतन करेगा वह इसके अंदर इसकी कैफियत और इसके तरीक़े के अंदर असामान्यताएं पायेगा, तथा इसकी अदायगी करने में असामान्यताएं पायेगा। फिर यदि वह नमाज़ धर्मसंगत होती, तो उसकी विशेषता और उसके पुण्य के कारण, वह उन चीज़ों में से होती जिसके वर्णन करने पर रिवायतें पर्याप्त होतीं। लेकिन जब ऐसा कुछ भी नहीं है और उसे किसी इमाम ने मुसतहब नहीं समझा है तो इससे पता चला कि वह सही नहीं है। और इसकी अदायगी में असामान्यताओं के कारण का पता उस हदीस से चलता है जिसमें यह रिवायत किया गया है कि वह उसे प्रति दिन एक बार या प्रति सप्ताह या प्रति माह या प्रति वर्ष या जीवन में एक बार पढ़ेगा। और यह इस बात का प्रमाण है कि वह सही नहीं है। यदि वह धर्मसंगत होती तो निरंतर रूप से धर्मसंगत होती, आदमी को उसके अंदर इस तरह के दूर और विस्तृत चुनाव का अधिकार नहीं दिया जाता। इस आधार पर, मनुष्य के लिए उसे पढ़ना उचित नहीं है। और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

फतावा मनारूल इस्लाम 1/203.

A Fonte

शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद

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