नौकरानी को उपहार या दान देने का क्या हुक्म हैॽ
नौकरानी को उपहार या दान देने का हुक्म
प्रश्न: 146007
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
नौकरानी को उपहार देने, या आवश्यकता होने पर उसे दान देने में कोई आपत्ति नहीं है।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से पूछा गया : क्या नौकरानी को ज़कात से दान (सदक़ा) देना जायज़ है, यह ज्ञान में रखते हुए कि हम उसे वेतन नियमित रूप से देते हैंॽ
उन्होंने उत्तर दिया : किसी व्यक्ति के अपने नौकर को अपनी ज़कात देने में कोई आपत्ति नहीं है, चाहे नौकर पुरुष हो या महिला, यदि उसके देश में उसका परिवार है जो ज़रूरतमंद है और जो वेतन उसे मिलता है वह उनके लिए पर्याप्त नहीं है। लेकिन अगर वेतन उसके लिए पर्याप्त है, यानी उसके परिवार के लिए पर्याप्त है, तो उसे ज़कात से देना जायज़ नहीं है। क्योंकि अल्लाह तआला फरमाता है :
إِنَّمَا ٱلصَّدَقَٰتُ لِلۡفُقَرَآءِ وَٱلۡمَسَٰكِينِ وَٱلۡعَٰمِلِينَ عَلَيۡهَا وَٱلۡمُؤَلَّفَةِ قُلُوبُهُمۡ وَفِي ٱلرِّقَابِ وَٱلۡغَٰرِمِينَ وَفِي سَبِيلِ ٱللَّهِ وَٱبۡنِ ٱلسَّبِيلِۖ فَرِيضَةٗ مِّنَ ٱللَّهِۗ وَٱللَّهُ عَلِيمٌ حَكِيمٞ
سورة النوبة: 60
“ज़कात तो केवल फ़क़ीरों और मिस्कीनों के लिए और उसपर नियुक्त कार्यकर्ताओं तथा उनके लिए है जिनके दिलों को परचाना अभीष्ट हो, और दास मुक्त करने में और क़र्ज़दारों एवं तावान भरने वालों में और अल्लाह के मार्ग में तथा यात्रियों के लिए है। यह अल्लाह की ओर से एक दायित्व है और अल्लाह सब कुछ जानने वाला, पूर्ण हिकमत वाला है।” (सूरतुत-तौबा : 60)
तथा इसलिए कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मुआज़ बिन जबल रज़ियल्लाहु अन्हु को यमन भेजा तो उनसे कहा : “उन्हें बताना कि अल्लाह ने उनपर उनके धन में सदक़ा (ज़कात) अनिवार्य किया है, जो उनके अमीरों से लिया जाएगा और उनके गरीबों को दे दिया जाएगा।” उद्धरण समाप्त हुआ।
“फतावा नूरुन अला अद-दर्ब”
यदि यह किसी के धन पर ज़कात (यानी अनिवार्य दान) के मामले में जायज़ है, तो यह स्वैच्छिक दान के मामले में और अधिक जायज़ होना चाहिए।
लेकिन यह ध्यान में रखना चाहिए कि ज़कात देने वाले के लिए नौकरानी को (ज़कात) भुगतान करने से लाभ उठाना जायज़ नहीं है।
जैसे कि वह उसे उसके वेतन में वृद्धि करने के बदले या उसे कुछ बोनस देने का वादा किया था उसके बदले में उसका भुगतान करे, या इसलिए ताकि उसको उससे अधिक काम करने के लिए कहे जिसपर सहमति हुई है… और इसी तरह अन्य लाभ उठाए।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर