मेरी पत्नी बिस्तर के लिए रेशमी चादर खरीदना चाहती है, तो क्या मेरे लिए उसपर सोना जायज़ हैॽ
पुरुष के लिए प्राकृतिक रेशम पहनना या उस पर बैठना या सोना हराम है
प्रश्न: 158299
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
जिस तरह एक पुरुष के लिए प्राकृतिक रेशम पहनना जायज़ नहीं है, उसी तरह उसके लिए उस पर बैठना या सोना या उसे ओढ़ना भी जायज़ नहीं है, क्योंकि बुखारी (हदीस संख्या : 5837) ने हुज़ैफ़ा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्होंने कहा : “नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें रेशम और दीबा (ज़री) का कपड़ा पहनने और उनपर बैठने से मना किया है।”
हाफ़िज़ इब्ने हजर रहिमहुल्लाह ने कहा :
हदीस का शब्द : “और उन पर बैठने से” उन लोगों के लिए एक मज़बूत तर्क है जो कहते हैं कि रेशम पर बैठना मना है, और यह जमहूर (बहुमत) का दृष्टिकोण है। इब्ने वह्ब ने अपनी जामे' में सा'द बिन अबी वक़्क़ास की हदीस से वर्णन किया है कि उन्होंने कहा : “मुझे रेशम की सीट (बैठक) पर बैठने की तुलना में अंगारों पर बैठना अधिक प्रिय है।” सारांश के साथ उद्धरण समाप्त हुआ।
इब्नुल-क़य्यिम रहिमहुल्लाह ने कहा :
“यदि यह पाठ नहीं आया होता, तब भी इसे पहनने से निषेध उसे बिछौना बनाने (यानी उसपर बैठने) को शामिल होता, जिस तरह कि उसे ओढ़ने को शामिल है। क्योंकि यह शाब्दिक एवं शरई रूप से “पहनना” (उपयोग करना) है, जैसा कि अनस रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा : “मैं अपनी एक चटाई के पास गया जो लंबे समय तक पहनने (इस्तेमाल करने) के कारण काली हो गई थी।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 380) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 658) ने रिवायत किया है। यदि सामान्य शब्द न आया होता जो उसे बिछौना बनाने को भी निषेध में शामिल कर लेता, तो शुद्ध क़ियास ही उसके निषेध को अनिवार्य करने वाला होता।” उद्धरण समाप्त हुआ।
“ए'लामुल-मुवक़्क़ेईन” (2/366).
नववी रहिमहुल्लाह ने “अल-मजमू'” (4/321) में कहा :
“पुरुष के लिए दीबा (ज़री) और रेशम का उपयोग पहनने में करना, उसपर बैठना, उससे टेक लगाना, खुद को उससे ढकना, उसे ओढ़ने के रूप में इस्तेमाल करना तथा उसके उपयोग के सभी पहलू हराम हैं। इनमें से किसी भी चीज़ के बारे में विद्वानों की राय में कोई मतभेद नहीं है, सिवाय एक विचित्र दृष्टिकोण के जिसे राफ़ेई ने वर्णन किया है कि पुरुषों के लिए उस पर बैठना जायज़ है। लेकिन यह दृष्टिकोण अमान्य और स्पष्ट रूप से ग़लत है तथा इस सहीह हदीस के विपरीत है। यह हमारा मत है। जहाँ तक इसे पहनने का संबंध है, तो इस पर सर्वसम्मत सहमति है। और जहाँ तक इसके अलावा (अन्य उपयोगों) का संबंध है, तो अबू हनीफा ने उसे जायज़ कहा है। जबकि मालिक, अहमद, मुहम्मद, दाऊद और अन्य उसे निषिद्ध ठहराने में हमसे सहमत हैं। इसके लिए हमारा प्रमाण हुज़ैफ़ा रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस है। और क्योंकि पहनने के निषेध का कारण (इस्तेमाल के) शेष रूपों में भी पाया जाता है, तथा इसलिए कि यदि आवश्यकता के बावजूद उसका पहनना हराम है, तो उसके अलाव चीज़ें निषिद्ध होने के और अधिक उपयुक्त हैं।” उद्धरण समाप्त हुआ।
“अल-मौसूआ अल-फ़िक़्हिय्यह” (5/278) में आया है :
“फ़ुक़हा इस बात पर सर्वसम्मति से सहमत हैं कि महिलाओं के लिए रेशम को बिछौने के रूप में उपयोग करना जायज़ है, लेकिन जहाँ तक पुरुषों का संबंध है, तो मालिकिय्या, शाफ़ेइय्या और हनाबिला की बहुमत का विचार है कि यह निषिद्ध है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
शैख सालेह अल-फ़ौज़ान से पूछा गया : रेशम से बने कंबल, कवर (चादर) या गद्दे का उपयोग करने का क्या हुक्म हैॽ
तो उन्होंने उत्तर दिया : “पुरुष के लिए रेशम से बने कवर (चादर) और गद्दे का उपयोग करना जायज़ नहीं है, क्योंकि अल्लाह ने इसे पुरुषों के लिए हराम किया है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
“अल-मुंतक़ा मिन फतावा अल-फौज़ान” (7/95)
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
यह बात ध्यान में रखना चाहिए कि जो निषिद्ध है वह प्राकृतिक रेशम है, कृत्रिम रेशम नहीं। इसके लिए प्रश्न संख्या (30812) का उत्तर देखें।
इसके आधार पर : यदि यह चादर प्राकृतिक रेशम से बना है, तो आपके लिए उसपर बैठना या सोना जायज़ नहीं है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर