मैं कुछ ऐसे भाईयों को जानता हूँ जो बकरियाँ पालते हैं। वे उन्हें चरागाह में बिना किसी चरवाहे के चरने के लिए छोड़ देते हैं। इस कारण कभी कभार कुत्ते उन पर आक्रमण करते हैं और उन्हें खा जाते हैं। फिर इन बकरियों के मालिक कुत्तों का पीछा करते हैं और उन्हें मारने की कोशिश करते हैं . . . तो इन कुत्तों को क़त्ल करने का क्या हुक्म है ॽ क्या इन बकरियों के मालिकों के लिए यह उचित नहीं है कि इन जानवरों (कुत्तों) को मारने के बजाय उन (बकरियों) पर कोई चरवाहा या रखवाली करने वाला नियुक्त कर दें ॽ
उन कुत्तों को मारने का हुक्म जो बकरियों को खा जाते हैं
प्रश्न: 159518
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाहके लिए योग्य है।
सर्व प्रथम :
अल्लाह सर्वशक्तिमान की अपने बंदो पर यह दयाऔर कृपा है कि उस ने जो कुछ आकाश और धरती में है उन के लिए पैदा किया और उसे उन केजीवन और परलोक के हितों को स्थापित करने के लिए उन के अधीन कर दिया।और उस की संपन्नता मेंसे यह है कि उस ने उन के लिए अपनी जानों और संपत्तियों से हानि और आक्रमण को दूर करनाधर्मसंगत कर दिया है,भले ही ऐसा करने के लिए उन्हें उस हानि और नुक़सानपहुँचाने वाले, जैसे भेड़िया और उसके समान अन्य चीर-फाड़ करने वाले जानवर, को क़त्ल करनापड़े। किंतु जिस जानवर के अंदर कोई नुक़सान नहीं है, उसे क़त्ल करना जाइज़ नहीं है।
देखिये : इब्ने क़ुदामा की किताब “अल-मुग़्नी” (4/324).
दूसरा :
कुत्तों के दो प्रकार हैं : एक प्रकार का कुत्तावह है जिसे क़त्ल करना मस्नून (सुन्नते रसूल से प्रमाणित) है,और दूसरे प्रकार का कुत्तावह है जिसे क़त्ल नहीं किया जायेगा। जिस प्रकार के कुत्ते का क़त्ल करना मस्नून है, वहकाला कुत्ता है ; क्योंकि वह शैतान है, तथा काटने वाला कुत्ता ; क्योंकि वह हानि पहुँचानेवाला है। इनके अलावा अन्य सभी कुत्तों को क़त्ल नहीं किया जायेगा।
यदि ये कुत्ते बकरियों पर आक्रमण करते हैं औरउन में से कुछ को मार डालते हैं और खा जाते हैं,तो ये हानि पहुँचानेवाले कुत्ते हैं जिनके हानि को दूर करना ज़रूरी है, भले ही उन्हें क़त्ल करके ही सही।बल्कि उन को क़त्ल करननिश्चित हो जाता है क्योंकि वे खराबी पैदा करने वाले होते हैं।तथा इसका प्रमाण वह हदीसहै जिसे बुखारी (हदीस संख्या: 1829) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 1198) ने आइशा रज़ियल्लाहुअन्हा से रिवायत किया है कि उन्हों ने फरमाया : मैं ने अल्लाह के पैगंबर नबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लम को फरमाते हुए सुना : “चार प्रकार के जानवरऐसे हैं जो सब के सब फासिक़ (अवहेलना करने वाले) हैं जिन्हें हरम की सीमा के बाहर औरउसके अंदर (भी) क़त्ल कर दिया जायेगा : चील, कौवा, चूहा और काटने वाला कुत्ता।”
स्थायी समिति के विद्वानों का कहना है :
“काट कर या चीर-फाड़ करनुक़सान पहुँचाने वाला कुत्ता, या जिसमें दाउल कलब नामी रोग होता है,और इसी के समान आक्रमणऔर भयभीत करके हानि पुँचाने वाला कुत्ता, तो इसे इस प्रकार क़त्ल करने में कोई आपत्तिकी बात नहीं है कि उसका नुक़सान अहानिकारक कुत्तों तक न पहुँचे।”“स्थायी समिति के फतावा” (26/201) से संपन्न हुआ।
तथा स्थायी समिति के विद्वानों से प्रश्न कियागया:
मैं ने एक दिन कुछ कुत्तों को पाया कि वे एकबकरी को चीर-फाड़ कर रहे थे,उसे क़त्ल नहीं किया था,तो मैं ने इन कुत्तोंको मार दिया। ज्ञात रहे कि मुझे पता नहीं था कि ये जानवर किसके हैं,मैं ने उसे उठा कर उसीजगह के निकट जाल पर रख दिया,और छोड़कर चला गया।
तो उन्हों ने उत्तर दिया : “यदि वस्तुस्थिति ऐसेही है जैसा कि आप ने वर्णन किया है तो आपका काम अच्छा है,आपके ऊपर कोई आपत्ति नहीं है ; क्योंकि आप नेअपने मुसलमान भाई के धन को नष्ट होने से बचाया है,और इन-शा अल्लाह आपकोइस पर पुण्य (अज्र व सवाब) मिलेगा।”“स्थायी समिति के फतावा” (26/205) से संपन्न हुआ।
इसमें कोई संदेह नहीं कि इन बकरियों के मालिकके लिए उचित यह है कि उन पर एक रखवाला (चौकीदार) या चरवाहा नियुक्त कर दे जो उनकी रक्षाऔर देखरेख करे,लेकिन इसका अर्थ यह नहीं समझना चाहिए कि इनकुत्तों को क़त्ल करना जाइज़ नहीं है। क्योंकि निःसंदेह ये कुत्ते काटने और चीर-फाड़ करनेके व्यवहार वाले हैं,जब भी इनसे कोई चीज़ छूट जायेगी तो ये दूसरीतलाश करेंगे और उसे नष्ट कर देंगे या हानि पहुँचाये गे, इसी कारण उन को क़त्ल करना धर्मसंगतकिया गया है।
अतः इन कुत्तों को मार दिया जायेगा,और बकरियों के मालिकको उनकी देखरेख और रक्षा करने का आदेश दिया जायेगा।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर