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यदि मरने वाला केवल अख्याफी भाई या बहन छोड़े

प्रश्न: 160948

अगर कलालह का छठा भाग भाई या बहन को दे दिया जाए तो कलालह के बचे हुए भाग का क्या होगा ?

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

हर प्रकार की प्रशंसा
और गुणगान केवल
अल्लाह के लिए
योग्य है।

कलालह : उस मृतक
को कहते हैं जिसका
बाप और बेटा न हो।
यदि उसका कोई माँ
की तरफ से -अख्याफी-
भाई या बहन है तो
उनमें से हर एक
के लिए छठा हिस्सा
है,
और
यदि वे इससे अधिक
हैं तो वे एक तिहाई
में भागीदार होंगे,
क्योंकि
अल्लाह तआला का
फरमान है:

وَإِنْ كَانَ رَجُلٌ يُورَثُ كَلَالَةً أَوِ امْرَأَةٌ
وَلَهُ أَخٌ أَوْ أُخْتٌ فَلِكُلِّ وَاحِدٍ مِنْهُمَا السُّدُسُ فَإِنْ كَانُوا
أَكْثَرَ مِنْ ذَلِكَ فَهُمْ شُرَكَاءُ فِي الثُّلُثِ
[النساء : 12]

“और जिसकी
मीरास ली जाती
है,
वह
मर्द या औरत कलालह
हो (अर्थात उसका
बाप और औलाद न हो)
और उसका एक भाई
या एक बहन हो,
तो उन में
से हर एक का छठा
हिस्सा है,
और यदि उस
से अधिक हों तो
एक तिहाई में सभी
साझी हैं।
’’
(सूरतुन्
निसा : 12).

और यदि उसकी कोई
पत्नी है तो उसके
लिए आधा भाग है।

और यदि उसका कोई
सगा भाई है तो उसके
लिए असबह होने
के रूप में पूरी
विरासत या यदि
असहाबुल फुरूज़
मौजूद हैं तो उनके
बाद उसके लिए बाक़ी
विरासत है। (जिन
वारिसों का
क़ुरआन में
निर्धारित
हिस्सा
वर्णित है,
उन्हें
असहाबुल
फुरूज़ कहा
जाता है).

और यदि मृतक की
कोई सगी बहन है
तो उसके लिए विरासत
का आधा हिस्सा
है,
और
यदि वे दो बहनें
हैं तो उनके लिए
दो तिहाई भाग है,
क्योंकि
अल्लाह तआला का
फरमान है:

يَسْتَفْتُونَكَ قُلِ اللَّهُ يُفْتِيكُمْ فِي
الْكَلَالَةِ إِنِ امْرُؤٌ هَلَكَ لَيْسَ لَهُ وَلَدٌ وَلَهُ أُخْتٌ فَلَهَا
نِصْفُ مَا تَرَكَ وَهُوَ يَرِثُهَا إِنْ لَمْ يَكُنْ لَهَا وَلَدٌ فَإِنْ
كَانَتَا اثْنَتَيْنِ فَلَهُمَا الثُّلُثَانِ مِمَّا تَرَكَ وَإِنْ كَانُوا
إِخْوَةً رِجَالًا وَنِسَاءً فَلِلذَّكَرِ مِثْلُ حَظِّ الأُنْثَيَيْنِ

[النساء : 176]

“वे
आप से प्रश्न करते
हैं,
आप
कह दें,
अल्लाह
तुम्हें कलालह
के बारे में निर्देश
करता है कि अगर
किसी मर्द की मौत
हो जाये और उस के
वारिसों में कोई
औलाद न हो और उसकी
एक बहन हो तो उसके
लिए छोड़े हुए (धन)
का आधा है,
और वह उस
(बहन) का वारिस है
अगर उस के कोई औलाद
न हो,
अगर
वे दो बहने हों
तो दोनों के लिए
दो तिहाई है उस
(धन) में से जिसे
वह छोड़ गया है और
अगर भाई बहन दोनों
हों,
मर्द
भी और औरतें भी,
तो मर्द
के लिए दो औरतों
के बराबर (हिस्सा)
है।” (सूरतुन्
निसा : 176).

और यदि मृतक के
अख़्याफी (माँ
जाय) भाई या बहन
के सिवा कोई नहीं
है,
तो
वह फर्ज़ के तौर
पर छठा भाग लेगा,
और जो लोग
लौटाने के समर्थक
हैं – और वे हनफियह
और हनाबिलह हैं
– उनके निकट शेष
विरासत उसे ही
लौटा दिया जायेगा,
अतः वह फर्ज़
के रूप में और लौटाए
जाने के रूप में
पूरी विरासत ले
लेगा।

तथा मालिक और शाफई
इस बात की ओर गए
हैं कि अस्बह की
अनुपस्थिति में
शेष विरासत को
बैतुल-माल में
लौटा दिया जायेगा।

इब्ने क़ुदामा
रहिमहुल्लाह ने
“अल-मुग़नी”
(6/186) में फरमाया
: सारांश यह कि यदि
मृतक फुरूज़ वालों
(अर्थात जिन
वारिसों का
क़ुरआन में
निर्धारित
हिस्सा
वर्णित है) के अलावा
कोई वारिस न छोड़े,
और संपत्ति
समाप्त न हो,
जैसे कि
बेटियाँ, बहनें
और दादी नानी,
तो फर्ज़
वालों से बची हुई
मृत्यु संपत्ति
उनके हिस्सों की
मात्रा में उनके
ऊपर ही लौटा दी
जायेगी,
सिवाय पति और पत्नी
के। यह बात उमर,
अली,
इब्ने मसऊद
और इब्ने अब्बास
रज़ियल्लाहु अन्हुम
से वर्णित है।
तथा यही हसन,
इब्ने सीरीन,
शुरैह,
अता,
मुजाहिद,
सौरी,
अबू हनीफा
और उनके साथियों
से उल्लेख किया
गया है। इब्ने
सुराक़ह ने फरमाया
: और इसी पर आज शहरों
में अमल जारी है
. . .

तथा ज़ैद बिन साबित
इस बात की ओर गए
हैं कि असहाबुल
फुरूज़ से बाकी
बचने वाली संपत्ति
बैतुल माल के लिए
है,
और
किसी को उसके फर्ज़
(निर्धारित
हिस्से) से अधिक
नहीं दिया जायेगा।
और यही बात मालिक,
औज़ाई और
शाफई रज़ियल्लाहु
अन्हुम ने कही
है।” अंत हुआ।

तथा उन्हों ने
कहा : जहाँ तक पति
और पत्नी की बात
है तो उन दोनों
पर विद्वानों की
सर्व सहमति के
साथ नहीं लौटाया
जायेगा,
परंतु उसमान रज़ियल्लाहु
अन्हु से वर्णित
है कि उन्हों ने
पति पर लौटाया
है। हो सकता है
कि वह असबह या रिश्ते
वाला रहा हो,
तो उन्हों
ने इसके कारण उसे
दे दिया हो,
या उसे बैतुलमाल
से दिया हो,
विरासत
के तौर पर न दिया
हो।” अंत हुआ।

विरासत के मामलों
में उचित यह है
कि मृतक ने जो वारिस
छोड़े है उनके हिसाब
से प्रत्येक मामले
के बारे में प्रश्न
किया जाये,
ताकि संबंधित
स्थिति पर प्रावधानों
को लागू करने में
मिश्रण न पैदा
हो।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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