जब मैं अपने पति से शादी के पूर्व मिली तो हम दोनों मुसलमान थे, किंतु हम (अल्लाह माफ करे) अपनी मुलाक़ात की थोड़ी अवधि के बाद इस्लाम से फिर गए, फिर हम ने ब्रिटिश क़ानूनों के अनुसार शादी कर ली और एक गैर इस्लामी समारोह आयोजित किया (इस कारण कि हम उस समय मुसलमान नहीं थे)। फिर उसके दो साल बाद मेरे पति ने पुनः इस्लाम स्वीकार कर लिया और मैं उसके बाद कुछ महीनों तक कुफ्र की अवस्था में बाक़ी रही, किंतु अंत में, मैं ने भी पुनः इस्लाम स्वीकार कर लिया, और अल्लाह ही के लिए सभी प्रशंसा है। हम इस समय सर्वश्रेष्ठ हालत पर हैं।
अब प्रश्न यह है कि : क्या हमारी शादी सही है ॽ और यदि मामला इसके अलावा है तो हमारे ऊपर क्या अनिवार्य है ॽ ज्ञात रहे कि हमारे आस पास के सभी लोग जानते हैं कि हमने शादी की है, लेकिन समस्या यह है कि हम उस समय गैर मुस्लिम थे और हमारी शादी ब्रिटिश क़ानूनों के अनुसार हुई थी, इस्लामी क़ानून के अनुसार नहीं हुई थी।
वे दोनों मुर्तद होगये और शादी कर लिए फिर पति उससे पहले मुसलमान हो गया तो क्या उन दोनों के लिए विवाह के अनुबंध का नवीनीकरण ज़रूरी है ॽ
प्रश्न: 163168
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकार की प्रशंसा और स्तुति केवल अल्लाहके लिए योग्य है।
यदि दो मुर्तद एक साथ इस्लाम स्वीकार कर लेंतो वे दोनों अपने निकाह पर बरक़रार रखे जायेंगे,जिस प्रकार कि दो असलीकाफिर अपने निकाह पर बरकरार रखे जाते हैं, जैसाकि इसका वर्णन प्रश्न संख्या : (118752)के उत्तर में गुज़र चुका है।
और यदि पति और पत्नी में से कोई एक इस्लाम स्वीकारकर ले,और दूसरे का इस्लाम विलंब हो जाए यहाँ तक कि औरत की इद्दत समाप्तहो जाए, तो अधिकतर विद्वानों के निकट निकाह का नवीकरण करना आवश्यक है।
इब्ने क़ुदामा रहिमहुल्लाह ने फरमाया : “यदि पति और पत्नी में से कोई मुसलमान बन जाए,और दूसरा इस्लाम से पीछेरह जाए यहाँ तक कि औरत की इद्दत समाप्त हो जाए,तो सामान्य विद्वानोंके कथन के अनुसार निकाह टूट जायेगा। इब्ने अब्दुल बर्र ने कहा : विद्वानों ने इसमेंमतभेद नहीं किया है, सिवाय थोड़ी चीज़ के जो नखई से वर्णन की जाती है, जिसमें उन्होंने विद्वानों के समूह से अलग थलग विचार अपनाया है,उस पर किसी ने उनका अनुसरणनहीं किया है,उनका विचार है कि उसे उसके पति की ओर लौटा दियाजायेगा,भले ही अवधि लंबी हो गई हो, क्योंकि इब्ने अब्बास ने रिवायतकिया है कि अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने ज़ैनब को उनके पति अबुल आसपर उनके पहले निकाह के साथ ही लौटा दिया था। इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। और अहमदने इस से दलील पकड़ी है। उनसे कहा गया: क्या यह बात रिवायत नहीं की जाती है कि आप नेउन्हें एक नये निकाह के साथ लौटाया ॽ तो उन्हों ने कहा :उसकी कोई असल (आधार) नहीं है। तथा कहा गया है कि : उनके इस्लाम लाने और उनके अपने पतिकी ओर लौटाये जाने के बीच आठ साल की अवधि थी।” किताब “अल-मुग़नी” (7 / 188) से समाप्त हुआ।
तथा कुछ विद्वानों ने इस बात को चयन किया हैकि निकाह नहीं टूटेगा यद्यपि इद्दत समाप्त हो जाए।अतः अगर पति और पत्नीइद्दत समाप्त होने के बाद एक दूसरे की ओर पलटना चाहें तो दोनों के लिए ऐसा करना जाइज़और निकाह के अनुबंधन के नवीकरण की आवश्यकता नहीं है।
इस कथन को शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या और उनकेशिष्य इब्नुल क़ैयिम ने चयन किया है और शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुमुल्लाह ने इसे राजेहकरार दिया है।
और इन लोगों ने अबुल आस की पिछली हदीस से दलीलपकड़ी है,और इस बात से कि सुन्नत (हदीस) में इस मामले को इद्दत के समाप्तहोने से निर्धारित करना वर्णित नहीं है।
देखिए: “अश्शरहुल मुम्ते” (12 / 245 – 248).
इस कथन के आधार पर, आप दोनों अपने पिछले निकाहपर बरक़रार हैं,निकाह के अनुबंधन के नवीकरण की आवश्यकता नहींहै।
हम अल्लाह तआला से प्रश्न करते हैं कि वह आपदोनों को हर भलाई की तौफीक़ प्रदान करे।
और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर