एक बार पहली पत्नी अपने घर में नहीं थी, तो पति पहली पत्नी से अनुमति लिए बिना दूसरी पत्नी को उसके घर में ले आया, जब वह वापस आई और उस से इस काम के बारे में पूछा, तो उसने यह कहते हुए जवाब दिया : यह मेरा घर है और मुझे इस बात का अधिकार है कि मैं जिसे चाहूँ लाऊँ। यदि तुम्हारे पास क़ुर्आन या हदीस से इसके खिलाफ कोई दलील है तो उसे पेश करो, तो इस मस्अले में सही बात क्या है ॽ
क्या पति के लिए दूसरी पत्नी के घर पर उसकी सहमति के बिना कोई अन्य पत्नी लाना जाइज़ है ॽ
प्रश्न: 163531
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाहके लिए योग्य है।
प्रत्यक्ष बात यह है कि पति के लिए ऐसा करनेका अधिकार नहीं है,सिवाय इसके कि घर की मालिकिन इसकी अनुमति प्रदानकर दे और इस से खुश हो,क्योंकि यव बात सर्वज्ञात है कि आम तौर पर औरतके अंदर गैरत होती है और प्रति औरत की यह इच्छा होती है कि उसका घर उसके लिए ही विशिष्टरहे।
तथा जिस रूप के बारे में प्रश्न किया गया हैकि वह घर की मालिकिन की अनुपस्थिति में उसे दाखिल करता है,निषिद्धता और बढ़ जातीहै ;क्योंकि यह पहली पत्नी के घर में उस से आनंद लेने के लिए संभावितहै,और यह बात सर्वज्ञात है कि इससे उसे तकलीफ़ होती है।
शैख सुलैमान अल-माजिद -हफिज़हुल्लाह से प्रश्नकिया गया :
क्या यह मेरा अधिकार है कि मेरा पति जब दूसरीपत्नी को हमारे घर बुलाए तो मेरी अनुमति ले ॽ जबकि यह बात ज्ञात रहेकि वह कहता है: मामले मेरे हाथ में है। अल्लाह तआला आप के ज्ञान से हमें लाभ पहुँचाये।
तो उन्हों ने उत्तर दिया :
यदि एक सौकन (सवत) को दूसरी सौकन से मिलने मेंआपत्ति हो तो पति के लिए जाइज़ नहीं है कि उसे इस चीज़ पर मजबूर करे,किंतु औरत के लिए अच्छायही है कि अपनी सौकन के साथ संबंध को अच्छा रखे,और उसके साथ संपर्क कोबाक़ी रखे यद्यपि वह संबंध की निम्न सीमा ही में क्यों न हो,क्योंकि उन दोनों केबीच संबंध विच्छेद आमतौर पर बच्चों के बीच संबंध विच्छेद का कारण बनता है,और बच्चों के बीच संबंधविच्छेद उनके दीन और दुनिया दोनों को प्रभावित करता है : रही बात दुनिया की तो वह भाईयोंके अधिकार को नष्ट करके और उनके पास जो कुछ होता है उस से लाभान्वित न होने के रूपमें प्रकट होती है,इसी प्रकार बर्कत चली जाती हैऔर संबंध तोड़ने के कारणआयु कम हो जाती है।
रही बात आखिरत को प्रभावित करने की तो : वहकड़ी यातना है,इसलिए पत्नी को चाहिए कि वह दूर के भविष्य कोदेखे और इन अर्थों के कारण उस तंगी (संकीर्णता) को सहन करे जो वह अपनी सौकन के प्रतिअनुभव करती है,और पति के उद्देश्य और मतलब को समझने की कोशिशकरे,और वह उसके बच्चों के बीच घनिष्ठा स्थापित करना है,और यह आमतौर पर दोनोंसौकनों के बीच न्यूनतम संबंध के द्वारा ही संभावित है।
तथा पति के लिए जाइज़ नहीं है कि वह अपनी पत्नीको ऐसी चीज़ पर बाध्य करे जिसके अंदर उसे तंगी और कठिनाई महसूस हो।
और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।
शैख की साइट से समाप्त हुआ।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर