मैं नॉर्वे में रहने वाला एक मुस्लिम छात्र हूँ और वहाँ एक विश्वविद्यालय में पढ़ रहा हूँ। मेरे पास विश्वविद्यालय द्वारा दिए गए शैक्षिक ऋण के बारे में एक प्रश्न है। यह ऋण ब्याज मुक्त है और यह छात्रों को दिया जाता है। यदि वे अर्धवार्षिक परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं, तो यह ऋण विश्वविद्यालय की ओर से अनुदान या उपहार में बदल जाता है। लेकिन यदि वे परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाते हैं, तो यह ऋण वर्ष के अंत की परीक्षा तक ब्याज मुक्त रहता है। लेकिन पढ़ाई छोड़ने या स्नातक होने की स्थिति में, या उस स्थिति में जब ऋण विश्वविद्यालय की ओर से अनुदान या उपहार में परिवर्तित नहीं होता है, तो यह लोन ऋण बन जाता है, और इन तीनों स्थितियों में, ऋण पर ब्याज का भुगतान करना पड़ता है। –
प्रश्न यह है : क्या मेरे लिए इस ऋण से लाभ उठाना जायज़ है? क्या यह हलाल है? चूँकि मैं इस वर्ष अपनी पढ़ाई पूरी कर लूँगा, और अल्लाह की कृपा से मैं किसी भी वर्ष फेल नहीं हुआ, और अल्लाह ने चाहा तो भविष्य में भी ऐसा नहीं होगा, इसलिए यदि मैं यह ऋण लेता हूँ, तो इन शा अल्लाह यह अनुदान में बदल जाएगा। और यदि मैं किसी परीक्षा में असफल हो जाता हूँ, या पढ़ाई छोड़ देता हूँ, तो अल्लाह का शुक्र है कि मेरे पास इस ऋण को तुरंत चुकाने के लिए धन है। मुझे इस ऋण की आवश्यकता नहीं है, लेकिन क्योंकि परीक्षा के बाद यह अनुदान में बदल जाएगा, इसलिए मैं इसे लेना चाहता हूँ। इस मामले पर शरई हुक्म क्या है?