अपने जीवन में अपने मृत बेटे की संपत्ति के विभाजन से पहले माँ की मृत्यु : संपत्ति में उसके अधिकार को समाप्त नहीं करती है; क्योंकि उसके उससे विरासत पाने के हक़दार होने की शर्त पूरी हो चुकी है : मुवर्रिस यानी विरासत के दाता की मृत्यु और वारिस का जीवन।
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अतः अब मृत बेटे की संपत्ति का बँटवारा किया जाएगा, और माँ के लिए उसका हिस्सा ऐसे विभाजित किया जाएगा, मानो वह जीवित हो : उस (मृत बेटे) ने जो कुछ भी छोड़ा है उसका छठा हिस्सा।
फिर जो कुछ उसे अपने बेटे से विरासत में मिला है, उसे उस धन में शामिल कर दिया जाएगा, जो (स्वयं) उसने छोड़ा है, अगर उसने उसके अलावा कुछ और छोड़ा है। और यह सब उसके मरने के बाद उसकी संपत्ति बन जाएगी। इसलिए उसे उपर्युक्त वारिसों : तीन बेटों और दो बेटियों में विभाजित कर दिया जाएगा; पुरुष को दो महिलाओं के हिस्से के बराबर मिलेगा।
जहाँ तक विरासत में अपने अधिकार को अपने भतीजों के लिए त्यागने, फिर उससे पीछे हटने के मुद्दे का संबंध है, तो इसके बारे में आपपर कुछ भी अनिवार्य नहीं है, और इसके कारण आपको कोई पाप नहीं लगेगा; क्योंकि इस मामले में अधिक से अधिक बात यह है कि आपने इरादा किया था, और अधिकांश विद्वानों के मतानुसार उपहार (अनुदान) केवल क़ब्ज़ा करने पर अनिवार्य होता है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।