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एक ही दिन में दो बेटों की ओर से अक़ीक़ा करने का हुक्म

प्रश्न: 199454

प्रश्न : गैर जुड़वाँ भाइयों के एक ही दिन में, और सातवें या चौदहवें या इक्कीसवें दिन के अलावा में, अक़ीक़ा करने का क्या हुक्म है?

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

हरप्रकसर की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

गैरजुड़वाँ भाइयों के एक ही दिन में या अलग-अलग दिनों में अक़ीक़ा करने में कोई आपत्ति कीबात नहीं है, अगरचे बेहतर यह है कि हर एक बच्चे का अक़ीक़ा उसकी पैदाइश के सातवेंदिन हो। क्योंकि अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : ”हर बच्चाअपने अक़ीक़ा का बंधक होता है, जिसे उसके जन्म के सातवें दिन उसकी ओर से बलिदान किया जायेगा,उसका सिरमूँडा जायेगा और उसका नाम रखा जायेगा।” इसे अबू दाऊद (हदीस संख्या : 2455) ने रिवायतकिया है और शैख अल्बानी रहिमहुल्लाह ने ‘‘सहीह सुनन अबू दाऊद” में इसे सहीह कहा है।

लेकिनयदि बाप की ओर से किसी निर्धारित कारण से उसके किसी बच्चे की ओर से अक़ीक़ा करने मेंदेरी हो जाए, फिर बाप उस बच्चे की ओर से अक़ीक़ा करना चाहे,और उसके साथकिसी दूसरे बच्चे का भी अक़ीक़ा हो : तो ऐसा करना जायज़ है।

उचितयह है कि हर एक बच्चे का अक़ीक़ा दूसरे बच्चे से अलग हो। यदि जिन बच्चों की ओर से अक़ीक़ा नहीं कियागया है, वे – उदाहरण के तौर पर – दो नर हों,तो उनकी ओरसे चार बकरियों का अक़ीक़ा किया जायेगा, हर बच्चे की ओर से दो बकरियाँ। लेकिन यदि वे (एक लड़का और एकलड़की) हों, तो उनकी ओर से ती बकरियों का अक़ीक़ा किया जायेगा ; क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : ”लड़केकी ओर से दो बकरियाँ और लड़की की ओर से एक बकरी (अक़ीक़ा) है।” इसे तिर्मिज़ी (हदीस संख्या: 1435) ने रिवायत किया है और शैख अल्बानी रहिमहुल्लाह ने ”सहीह सुनन तिर्मिज़ी” मेंइसे सहीह कहा है।

औरयही बात सबसे बेहतर और सबसे अधिक संपूर्ण है।

”इफ्ताकी स्थायी समिति के फतावा – प्रथम समूह” (11/441) में आया है कि :

”एकआदमी के कई बेटे पैदा हुए, परंतु उसने उनकी ओर से अक़ीक़ा नहीं किया ; क्योंकि वह गरीबीकी हालत में था। वर्षों की एक अवधि के बाद अल्लाह ने उसे अपनी अनुकम्पा से मालदार करदिया, तो क्या उसके ऊपर अक़ीक़ा अनिवार्य है?

उत्तर: यदि वस्तुस्थिति वही है जो उल्लेख की गई है, तो उसके लिए उनकी ओर से,हर बेटे कीतरफ से दो बकरियाँ, अक़ीक़ा करना धर्म संगत है।”

औरअल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

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