क्या पत्नी गुनहगार समझी जायेगी यदि वह अपने पति के साथ रहती है जो कि एक नयी परियोजना शुरू करने के लिए व्याज पर ऋण लेता है ? क्या यह तलाक़ माँगने के लिए एक कारण समझा जायेगा ?
मैं आपका आभारी हूँगी यदि आप मुझे ऐसे तरीक़े की ओर रहनुमाई करें जिसके द्वारा मैं उसे संतुष्ट कर सकूँ कि वह जो कुछ कर रहा है, ग़लत है।
क्या सूद पर कर्ज़ उठाने वाले पति के साथ जीवन यापन करना जायज़ है ?
प्रश्न: 20002
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हरप्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
यदिवह ऋण जिसे वह लेता है एक हलाल (वैध) कर्ज़ है अर्थात सूदी नहीं है, और वह इस बात की नीयत रखता है कि ऋण वाले केहक़ का भुगतान कर देगा, तो इसमें कोई हरज (गुनाह) की बात नहींहै, और इस क़र्ज की वजह से वह पापी नहीं समझा जायेगा।
लेकिनयदि यह क़र्ज़ व्याज़ पर आधारित है तो वह हराम है, उसे लेना जायज़ नहीं है। तथा उसके लिए जायज़ नहीं है कि वह अपनी इस परियोजनाको इस हराम धन के द्वारा शुरू करे।
ومن يتق الله يجعل له مخرجاويرزقه من حيث لا يحتسب
”और जो व्यक्ति अल्लाह से डरेगा, अल्लाहउसके लिए रास्ता पैदा कर देगा और उसे ऐसी जगह से रोज़ी प्रदान करेगा जिसका उसे गुमानभी नहीं होगा।”
तथानबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ला का फरमान हैः
”जिसनेअल्लाह के लिए किसी चीज़ को त्याग कर दिया, अल्लाह तआला उसे उससे बेहतर बदला प्रदानकरेगा।”
तथाअगर आप उसे नसीहत करना चाहती हैं तो प्रश्न संख्या (9054) में इस विषय से संबंधित कुछबातें आप को मिल जायेंगी। अतः उसे यह बातें पहुँचा दें, आशा है कि अल्लाह तआला उसेइसके द्वारा लाभ पहुँचाये, और आप लोगों सेहराम को दूर करदे।
जहाँतक उसके सूद (व्याज) खाने का संबंध है तो यह आपके लिए उससे तलाक़ मांगने या ख़ुलअ़्तलब करने को वैध कर देता है, किंतुआपके ऊपर ऐसा करना अनिर्वा नहीं है, बल्कि आपका उसके साथ जीवन यापन करना और उसके साथनिवास करना सही है, जबकि आप उसे निरंतर अच्छे ढंग से नसीहत करतीरहें विशेषकर यदि उसके सुधार कि आशा हो।
जहाँतक उसके माल से खाने का संबंध है, तो यदि उसके पास इस स्रोत के अलावा कोई अन्य वैधस्रोत है, तो आपके ऊपर और आपके बेटों पर उसके मालसे खाने में कोई पाप नहीं है। लेकिन यदि उसकी पूरी कमाई हराम की है, और आप लागों को इस माल के अलावा कोई खर्चा नहीं मिल पाता है, और न तो आप लोगोंके पास कोई अन्य वैध स्रोत ही है, तो आप लोगों के लिए आवश्यकताभर बिना विस्तार के उससे लेना जायाज़ है क्योंकि अल्लाह तआला का फरामन है:
فاتقوا الله ما استطعتم
”अपनी शक्ति भर अल्लाह से डरते रहो।”
तथाअल्लाह का फरमान है:
لايكلّف الله نفسا إلا وسعها
”अल्लाह तआला किसी प्राणी पर उसकी शक्तिसे बढ़कर बोझ नहीं डालता।”
तथाइस स्थिति में आप लोगों का उसके माल से लेना, वास्तव में उसके ऊपर आपके अनिवार्य खर्चका लेना है।
इसकेसाथ साथ, आप बराबर उसे हराम कर्ज़ से रूक जाने और कोई ऐसा वैध तरीक़ा तलाश करने की नसीहतकरती रहें जिसमें वह काम करे और उससे अपनी रोज़ी कमाये।
औरअल्लाह तआला ही तौफीक़ प्रदान करने वाला है।
स्रोत:
शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद