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6421301/03/2014

एक हिंदू प्रश्न कर रहा है कि : कौनसा धर्म बेहतर है, हिंदू धर्म या इस्लाम, और क्यों?

प्रश्न: 209139

मैं हिंद महासागर के एक देश मॉरीशस का रहनेवाला हूँ। कृपया मुझे बतलाएं कि सबसे अच्छा धर्म कौनसा है, हिंदू धर्म या इस्लाम और क्यों?मैं स्वयं एक हिंदू हूँ।

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

उत्तरः

हर प्रकार
की प्रशंसा और
गुणगान केवल अल्लाह
के लिए योग्य है।

सबसे अच्छा
धर्म वह धर्म है
जो यह प्रमाणित
करने की क्षमता
रखता हो कि वही
वह धर्म है जिसे
सृष्टिकर्ता अल्लाह
सर्वशक्तिमान
पसंद करता है,
और उसे
मानवता के लिए
प्रकाश के तौर
पर उतारा है,
जो उन्हें
उनके जीवन में
सौभाग्य प्रदान
करता है और उन्हें
उनके परलोक के
जीवन में मोक्ष
प्रदान करेगा।
तथा प्रमाण या
सबूत के लिए ज़रूरी
है कि वह उज्जवल
और स्पष्ट हो,
लोगों
को उसमें कोई शक
न हो,
और लोगों के अंदर
उसके समान चीज़
लाने की शक्ति
और सामर्थ्य न
हो। क्योंकि दज्जाल
लोग अपने झूठ पर
जो गिरे हुए और
कमज़ोर प्रमाण प्रस्तुत
करते हैं उन्हें
अल्लाह सर्वशक्तिमान
भली-भांति जानता
है। इसलिए अल्लाह
सर्वशक्तिमान
ने अपने पैगंबरों
और ईश्दूतों का
व्यापक व समग्र
चमत्कारों और प्रत्यक्ष
लक्षणों द्वारा
समर्थन करने का
चयन किया जो लोगों
के लिए इस व्यक्ति
की सत्यता को प्रमाणित
करते हैं जिसकी
ओर उसके पालनहार
की ओर से वह्य (ईश्वाणी)
की गई है,
चुनाँचे लोग
उसमें विश्वास
रखते हैं और उसका
पालन करते हैं।

इस प्रकार
इस्लाम के संदेष्टा
मुहम्मद सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम
प्रभावशाली व उज्जवल
चमत्कारों के साथ
आए,

जो बहुत
अधिक हैं जिनके
बारे में बड़ी-बड़ी
पुस्तकें लिखी
गई हैं। लेकि उनमें
सबसे महान और प्रधान
दिव्य क़ुरआन है,
जिसने
अरबों को चुनौती
दी है कि वे कोई
ऐसी चीज़ लाकर दिखाएं
जो पूर्णता के
सभी पहलुओं में
उसके समान हो।
क्योंकि उसमें
शब्दाडंबरपूर्ण
(आलंकारिक) चमत्कार
पाया जाता है,
चुनाँचे
क़ुरैश के वाक्पटु
सुवक्ता – जबकि
वे सभी इतिहासकारों
की गवाही के अनुसार
वाग्मिता और सुभाषण
के शिखर पर पहुँचे
हुए थे – इसके समान
कोई चीज़ प्रस्तुत
नहीं कर सके। तथा
इसमें वैज्ञानिक
चमत्कार भी है,
चुनाँचे
क़ुरआन करीम – इसी
तरह नबी सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम
की सुन्नत – ऐसे
वैज्ञानिक तथ्यों
पर आधारित हैं
जिस तरह की चीज़ें
उस ज़माने में किसी
मनुष्य के लिए
प्रस्तुत करना
संभव नहीं था सिवाय
इसके कि उसकी ओर
वह्य (ईश्वरीयवाणी)
की जाती हो। तथा
इसमें प्रोक्ष
से संबंधित चमत्कार
पाया जाता है, चुनाँचे
क़ुरआन ने पहले
और बाद में आनेवालों
के इतिहास के बारे
में बात किया है,
जबकि मुहम्मद
सल्लल्लाहु अलैहि
व सल्लम को इतिहास
का पूर्वज्ञान
नहीं था,
बल्कि उस देश
में कोई ऐसा व्यक्ति
था ही नहीं जो वस्तुतः
इसका ज्ञान रखता
हो सिवाय अहले
किताब (यानी यहूदियों
व ईसाइयों) के कुछ
अवशेष लोगों के।
तथा इसमें विधायी
चमत्कार भी है
जो एक संपूर्ण
और व्यापक प्रणाली
में प्रकट होता
है,

जिसका
आरंभ नैतिकता,
व्यक्तिगत
शिष्टाचार,
परिवार
और पर्सनल स्थिति
के प्रावधानों
से होता है। जो
अंतर्राष्ट्रीय
संबंधों और सामुदायिक
प्रावधानों को
संगठित करता है।
जो मानव जाति के
बीच न्याय और स्वतंत्रता
के स्द्धिांतों
की स्थापना करता
है,

तथा संसार,
प्रोक्ष
और परलोक के अवधारणाओं,
और सौभाग्य
और दुर्भाग्य के
अवधारणाओं को प्रमाणित
करता है। ये सारी
चीज़ें एक निरक्षर
आदमी से जारी होती
हैं जो पढ़ना लिखना
नहीं जानता है,
लेकिन
उसके दोस्तों से
पहले उसके दुश्मन
उसकी सच्चाई और
अमानतदारी की गवाही
देते हैं। वह इस
क़ुरआन को ग्रहण
करता है ताकि इसके
द्वारा विशाल इस्लामी
सभ्यता की स्थापना
करे जिसका विस्तार
चौदह सदी से अधिक
समय तक रहता है।

हमारे विचार
में सबसे अच्छा
धर्म,
वह धर्म है जो आप
को केवल एक शक्ति
से जोड़ता है,
यह वही
शक्ति है जिसने
आपको पैदा किया
और आपको अनुग्रह
प्रदान किया है,
और वह आकाशों
और धरती की बागडोर
का मालिक है। यह
वही शक्ति है जो
आपके दूसरे जीवन
में आप पर दया करेगी
और आपके साथ होगी
यदि आप उसपर ईमान
लाए और अच्छा काम
किया। वह अल्लाह
सर्वशक्तिमान
है,

जो एक,
अकेला
और बेनियाज़ (निस्पृह)
है। और वह (धर्म)
आपको उसके अलावा
किसी अन्य से नहीं
जोड़ता है,
क्योंकि उसके
अलावा हर चीज़ रचना,
कमज़ोर
और अल्लाह महिमावान
की ज़रूरतमंद है।
इस तरह मनुष्य
सत्य अल्लाह के
सिवाय गुलामी के
समस्त बंधनों से
मुक्त हो जाता
है,

तथा भूमि
संपर्कों से छुटकारा
पा जाता है जो कि
मानवता के लिए
अपमान,
अत्याचार,
उत्पीड़न
और वर्चस्व के
कारण बनते हैं।
यह सब एक झूठे धर्म
के नाम पर किया
जाता है जो वर्ग
व्यवस्था (वर्गभेद)
को प्रमाणित करता
है। (देखिए: डॉ. आज़मी
की किताब
‘‘दिरासात’’
का अध्याय
‘‘हिन्दू
समाज में वर्गीकरण’’),
तथा अल्लाह
सर्वशक्तिमान
के अलावा की गुलामी
को स्वीकार करता
है,

बल्कि
जानवरों जैसे गाय
इत्यादि की पूजा
को स्वीकारता है।
चुनाँचे वह मनुष्य
जिसे अल्लाह ने
बुद्धि और आत्मा
से सम्मानित किया
है जो अल्लाह सर्वशक्तिमान
की आत्मा से है,
उस चीज़
का बंदी बन जाता
है जिसे वह उन जानवरों
में से पवित्र,
प्रतिष्ठित
और सम्माननीय क़रार
देता है,
हालांकि वह
उसके लिए लाभ और
हानि के मालिक
नहीं हैं,
बल्कि स्वयं
अपने लिए भी किसी
चीज़ के मालिक नहीं,
दूसरे
की बात तो बहुत
दूर है।

सबसे अच्छा
धर्म वह है जो एक
ऐसी संपूर्ण प्रणाली
रखता है जो लोक
और प्रलोक में
खुशी व सौभाग्य
के रास्तों की
ओर मनुष्य का मार्गदर्शन
करता है;
क्योंकि धर्मों
का उद्देश्य सौभाग्य
की प्राप्ति है,
और उसे
अल्लाह सर्वशक्तिमान
के मार्गदर्शन
के बिना प्राप्त
करना संभव नहीं
है। और इस भरपूर
सौभाग्य और सुख
को प्राप्त करने
के लिए,
इस्लाम में आर्थिक,
राजनीतिक,
सामाजिक,
पारिवारिक
और मनोवैज्ञानिक
पहलुओं में हर
प्रकार का मार्गदर्शन
पाया जाता है।
जब मुसलमानों ने
प्रथम युग में
इस मार्गदर्शन
को अपनाया,
तो धरती
को हर भलाई,
न्याय
और निष्पक्षता
(इंसाफ) से भर दिया,
और जब उन्हों
ने इससे उपेक्षा
किया तो उनसे वे
लाभ छिन गए जो अल्लाह
ने उन्हें प्रदानक
किए थे।

सबसे अच्छा
धर्म वह है जो कालानुक्रमिक
क्रम में सबसे
नवीनतम है,
अपने से
पूर्व सत्य धर्मों
की पुष्टि करनेवाला,
कुछ पूर्व
विधानों को मंसूख
करनेवाला है जो
उसके फैलाव के
समय और स्थान के
अनुसार अवतरित
हुए थे,
तथा उन धर्मों
में वर्णित शुभसूचनाओं
को सुनिश्चित करनेवाला
है,

जो (शुभसूचनाएं)
एक ऐसे ईश्दूत
के बारे में सूचना
देती हैं जो अंतिम
काल में अवतरित
होगा,
और उसकी निशानियों
और गुणों का वर्णन
करती हैं। चुनाँचे
क़ुरआन करीम ने
हमें सूचना दी
है कि सभी पूर्व
ईश्दूत और पैगंबर
इस बात को जानते
थे कि अंतिम काल
में एक पैगंबर
भेजा जाएगा,
जिसका
नाम मुहम्मद है,
अल्लाह
सर्वशक्तिमान
उस पर संदेशों
का अंत कर देगा।
अल्लाह तआला का
फरमान है
:

وَإِذْ أَخَذَ اللَّهُ
مِيثَاقَ النَّبِيِّينَ لَمَا آتَيْتُكُمْ مِنْ كِتَابٍ وَحِكْمَةٍ ثُمَّ
جَاءَكُمْ رَسُولٌ مُصَدِّقٌ لِمَا مَعَكُمْ لَتُؤْمِنُنَّ بِهِ وَلَتَنْصُرُنَّهُ
قَالَ أَأَقْرَرْتُمْ وَأَخَذْتُمْ عَلَى ذَلِكُمْ إِصْرِي قَالُوا أَقْرَرْنَا
قَالَ فَاشْهَدُوا وَأَنَا مَعَكُمْ مِنَ الشَّاهِدِينَ

[سورة آل
عمران :81]

‘‘और याद करो जब अल्लाह
तआला ने पैग़म्बरों
से अहद व पैमान
(वचन) लिया कि जो
कुछ मैं तुम्हें
किताब और हिकमत
दूँ,
फिर तुम्हारे
पास वह पैग़म्बर
आए जो तुम्हारे
पास की चीज़ को सच्च
बताए तो तुम अवश्य
उस पर ईमान लाओगे
और निश्चय ही उसकी
सहायता करोगे।
फरमाया : क्या तुम
इसके इक़रारी हो
और इस पर मेरा ज़िम्मा
(वचन) ले रहे हो?
सब ने कहा
कि हमें स्वीकार
है,

फरमाया
: तो अब गवाह रहो
और स्वयं मैं भी
तुम्हारे साथ गवाहों
में हूँ।’’ (सुरत आल-इम्रान
3: 81)

यही कारण है
कि हम पिछले धर्मों
की अविकृत अवशेषों
में इस पवित्र
पैगंबर के बारे
में स्पष्ट शुभसूचनाएं
पाते हैं। चुनाँचे
तौरात और इंजील
इन शुभसूचनाओं
से भरे हैं,
लेकिन
उन्हें यहाँ उल्लेख
करने की आवश्यकता
नहीं है। बल्कि
हमारे लिए यहाँ
महत्वपूर्ण हमारे
ईश्दूत मुहम्मद
(सल्लल्लाहु अलैहि
व सल्लम) के बारे
में वह स्पष्ट
शुभसूचनाएं और
भविष्यवाणियाँ
हैं जो हिुन्दू
धर्म के पवित्र
ग्रंथों में वर्णित
हुई हैं। वह शुभसूचनाएं
या भविष्यवाणियाँ
आवश्यक रूप से
इन सभी पुस्तकों
की सत्यता और सुरक्षा
का संकेत नहीं
देती हैं,
बल्कि उनमें
प्रमाणित कुछ सच
बातों को इंगित
करती हैं,
जो उन पैगंबरों
और ईश्दूतों से
उद्धृत हैं जो
प्राचीन समय में
भेजे गए थ।

इन ग्रंथों
को आदरणीय डॉ. मुहम्मद
ज़ियाउर्र रहमान
आज़मी ने अपनी बहुमूल्य
पुस्तक
‘‘दिरासात फिल
यहूदिय्या वल मसीहिय्या
व अदयानिल हिंद’’ (पृष्ठ
703-746) में उल्लेख किया
है,

विशेषकर
डॉ. साहब हिंदुस्तान
से संबंध रखते
हैं और उन पुस्तकों
को पढ़ने में महारत
रखते हैं जिनका
मेरे ज्ञान के
अनुसार अभी तक
अरबी भाषा में
अनुवाद नहीं हुआ
है।

1- ”उस समय

‘‘शम्भल’’
गांव
[अर्थात
शांति वाला नगर],
में एक आदमी
के पास जिसका नाम
”विष्णु व्यास’’
(अब्दुल्लाह
यानी अल्लाह का
दास),
होगा और वह विनम्र
हृदय वाला होगा,
उसके घर
(कल्कि)
[पापों और
गुनाहों का निवारक],
पैदा होगा।’’
[भागवत पुराण], (2/18)
.

यह बात सर्वज्ञात
है कि हमारे ईश्दूत
मुहम्मद सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम
के पिता का नाम
(अब्दुल्लाह) है,
और क़ुरआन
करीम में मक्का
का नाम
‘‘अल-बलदुल अमीन’’
यानी शांति
वाला शहर है।

2- ”(विष्णु व्यास)
के घर उनकी पत्नी
(सोमती) [सुरक्षा
व शांतिवाली,
आमिना]से (कल्कि)
पैदा होगा।’’ (कल्कि
पुराण 2/11).

यह बात भी
सर्वज्ञात है कि
हमारे ईश्दूत मुहम्मद
सल्लल्लाहु अलैहि
व सल्लम की माँ
का नाम आमिना बिन्त
वहब है।

3- ”वह चाँद के
प्रकट होने के
बारवहें दिन एक
ऐसे महीने में
पैदा होगा जिसका
नाम (माधवह)
[अर्थात
ऐसा महीना जो दिलों
को प्रिय है और
वह रबीअ (बसंत) का
महीना]
है।’’ (कल्कि
पुराण 2/15).

पैगंबर की
जीवनी की पुस्तकें
आप सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम
के जन्म की तिथि
के वर्णन से भरी
पड़ी हैं,
और वह रबीउल
अव्वल की बारहवीं
तारीख में है,
यद्यपि
इसमें मतभेद है।

4- ”(कल्कि) पाँच
गुणों से विशिष्ट
होगा
:

1. (PRAGYA-प्रज्ञा)

[भविष्य
के बारे में सूचना
देगा].

2. (CULINATA-कुलीनता)
[अपनी जाति
में सबसे कुलीन]
.

3. (INDRIDAMAN-इन्द्रिदमन)
[अपनी आत्मा
पर नियंत्रण रखनेवाला]

4. (SHRUT-श्रुत)
[उसकी ओर
वह्य की जाएगी].

5. (PRAKRAM-प्रक्रम)
[बलवान,
मज़बूत].

6. (ABHU BHASHITA-अभु भाषिता)
[अल्पभाषी].

7. (DAN-दान)
[दानशील].

8. (KRITAGYATA-कृतज्ञता)
[उपकार
के प्रति आभारी].

यह हमारे नायक
मुहम्मद सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम
के उन गुणों और
विशेषताओं का कुछ
अंश है जिनको आप
सल्लल्लाहु अलैहि
व सल्लम को जाननेवाले
सभी अरब के लोगों
ने स्वीकारा है,
चाहे वे
इस्लाम में प्रवेश
किए हों या अपनी
नास्तिकता पर बने
रहे हों।

5- ”वह घोड़े की
सवारी करेगा,
उससे प्रकाश
निकलेगा। उसके
प्रताप और सुंदरता
की कोई समानता
नहीं कर सकता।
वह खत्ना किया
हुआ होगा,
लाखों अत्याचारियों
और नास्तिकों को
फांसी देगा।’’
[भागवत पुराण
12-2-20],

हिन्दुओं
के यहाँ खत्ना
नहीं होता है,
बल्कि
वह मुहम्मद सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम
की उम्मत (अनुयायियों)
के पुरूषों का
एक इस्लामी कर्तव्य
है।

6- ”वह अपने चार
साथियों की मदद
से शैतान का नाश
करेंगे,
और स्वर्गदूत
(फरिश्ते) उनकी
लड़ाइयों में उनका
सहयोग करने के
लिए धरती पर उतरेंगे।’’
[कल्कि पुराण
2/5-7].

हमारे पैगंबर
सल्लल्लाहु अलैहि
व सल्लम के चार
साथी,
वे खुलफा-ए-राशेदीन
हैं जिन्हों ने
आपके बाद शासन
किया और इस्लाम
के विद्वानों की
इस बात पर सर्वसहमति
है कि वे हमारे
पैगंबर सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम
के बाद सबसे अच्छे
मानव हैं।

7- ”वह अपने जन्म
के बाद पहाड़ पर
जायेंगे ताकि परशुराम
[अर्थात
महान शिक्षक]से शिक्षा
प्राप्त करें।
फिर वह उत्तर की
ओर जायेंगे,
फिर वह
अपने जन्मस्थान
की ओर वापस लौट
आयेंगे।’’
[कल्कि पुराण].

नबी सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम
इसी तरह थे,
आप हिरा
नामी गुफा में
एकांत में रहा
करते थे यहाँ तक
कि जिब्रील अलैहिस्सलाम
आपके पास वह्य
लेकर आए। फिर आप
ने उत्तर की दिशा
में मदीना मुनव्वरा
की ओर हिजरत किया,
फिर आप
एक विजेता के रूप
में मक्का वापस
आए।

8- ”लोग उसके
शरीर से निकलने
वाले सुगंध से
मुग्ध हो जाएंगे।
उसके शरीर का पवित्र
सुगंध हवा में
मिश्रित होकर,
आत्माओं
और मनों को कोमल
करदेगा।’’
[भागवत
पुराण 2/2/21].

9- ”सबसे पहले
जिसने वध किया
और बलिदान दिया
वह अहमदू है,
तो वह सूर्य
के समान हो गया।’’
[साम वेद 3/6/8].

10- ”एक आध्यात्मिक
शिक्षक अपने सम्मानित
साथियों के साथ
आएगा,
और लोगों के बीच
महामद के नाम से
प्रसिद्ध होगा।
राजकुमार उसका
यह कहते हुए स्वागत
करेगा : ऐ रेगिस्तान
के निवासी! शैतान
को पराजित करनेवाले,
चमत्कार
वाले,
हर बुराई से पवित्र,
सत्य पर
स्थापित,
अल्लाह के
ज्ञान में दक्ष,
उससे प्यार
करनेवाले,
तुझे सलाम
(तुझ पर अल्लाह
की शांति हो),
मैं आपका
दास हूँ,
मैं आपके पैरों
के नीचे जीता हूँ।’’

[भविष्य पुराण
3/3/5-8].

11- ”इन चरणों
के दौरान,
जब मानव जाति
के लिए सामूहिक
भलाई के प्रकट
होने का समय आ जाएगा,
तो सत्य
आगे बढ़ जाएगा,
और (मुहम्मद)
के प्रकट होन से
अंधकार मिट जाएगा,
और समझ
और ज्ञान का प्रकाश
उदय होगा।”
[भागवत
पुराण 2/76].

इन ग्रंथों
में स्पष्ट रूप
से (मुहम्मद) या
(अहमद) के नाम का
उल्लेख किया गया
है,

और यह दोनों
आप सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम
के नामों में से
हैं। अल्लाह तआला
का कथन है
:

وَمُبَشِّرًا بِرَسُولٍ
يَأْتِي مِنْ بَعْدِي اسْمُهُ أَحْمَدُ

[الصف : 4]

”और
एक रसूल की शुभ
सूचना देता हूँ
जो मेरे बाद आएगाए
उसका नाम अहमद
होगा।” (सूरतुस-सफ
: 6).

12- ”अग्नि देवी
उज्जवल क़ानूनों
वाली, हमने तुझे
धरती के ऊपर बलिदान
पेश करने के लिए
बनाया है।’’
[ॠग्वेद
3,29,4].

13-”तथा
[अथर्ववेद]
और
[ॠग्वेद]
में – विभिन्न और
अनेक स्थानों पर
– (नराशंस)
[अर्थात्
प्रशंसित मनुष्य]की शुभसूचना
वर्णित है। उसके
गुणों के वर्णन
में आया है कि : वह
पृथ्वी पर सबसे
सुंदर व्यक्ति
होगा,
उसका प्रकाश घर
घर में प्रवेश
करेगा,
वह लोगों को पापों
और कुर्कमों से
पवित्र करेगा।
वह ऊँट की सवारी
करेगा। उसकी बारह
पत्नियाँ होंगी
. . . हे लोगो ! सुनो, (नराशंस)
का चर्चा बढ़ जाएगा
. . .(नराशंस)
की प्रशंसा की
जाएगी,
वह 60,090 लोगों के बीच
से हिजरत करेगा
(विस्थापित होगा)
. . . मैंने (महामहे)
को एक सौ शुद्ध
सोने के सिक्के,
दस तस्बीहें,
और तीन
सौ घोड़े प्रदान
किए हैं।’’

पैगंबर की
जीवनी पर लिखी
गई पुस्तकों में
उपर्युक्त संख्या
में आप सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम
की पत्यिों के
नाम गिनाए गए हैं।

14- ”एक पवित्र
चरित्र वाला व्यक्ति
रात के अंधेरे
में सिंध के राजा
(राजा भूज) के पास
आया और उससे कहा
: हे राजा! आपका धर्म
(आर्य धर्म) भारत
में सभी धर्मों
पर सर्वोपरि रखता
है,

लेकिन
महानतम पूज्य के
आदेश से,
मैं एक ऐसे
आदमी के धर्म को
आधिपत्य प्रदान
करूँगा जो हर पवित्र
चीज़ को खाएगा,
वह खत्ना
किया हुआ होगा,
उसके सिर
पर लटकनेवाली लट
या सिर पर बंधी
हुई चोटी नहीं
होगी,
उसकी लंबी दाढ़ी
होगी। वह एक बड़ी
क्रांति पैदा करेगा।
लोगों में अज़ान
देगा। वह,
सूअर के अलावा,
हर पवित्र
चीज़ खाएगा। उसका
धर्म सभी धर्मों
को मंसूख (निरस्त)
कर देगा,
हमने उनका
नाम मुसलाई रखा
है। महान पूज्य
ने इस धर्म की उनकी
ओर वह्य (ईश्वरीयवाणी)
की है।’’
[भविष्य पुराण
3/3/3/23-27].

हम कहते हैं
कि नमाज़ के लिए
अज़ान देना,
और सूअर
के मांस से परहेज़
करना इस्लामी शरीअत
के सबसे प्रमुख
विशेषताओं में
से है। और उसके
माननेवालों का
नाम (मुसलमान) है, (मुसलाई)
नहीं है। लेकिन
वे एक ही मूल वाले
क़रीब शब्द हैं।

हम आपसे यह
भी कहते हैं कि
हिन्दू धर्म के
सिद्धांतकारों
के कथन के अपेक्षानुसार,
आपके लिए
इस्लाम धर्म की
आस्थाओं को धारण
करने और पैगंबर
मुहम्मद सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम
द्वारा लाए हुए
धर्म को अपनाने
की अनुमति है
;
क्योंकि
– उनके दृष्टिकोण
में – हिन्दू धर्म
गैर-भेदभाव (अपक्षपात)
और सत्य के खोज
से विशिष्ट है,
और यह आपके
हिन्दुत्व को प्रभावित
नहीं करेगा,
चाहे आप
अल्लाह में विश्वास
रखें या न रखें।
महत्वपूर्ण यह
है कि आप सत्य के
लिए अपनी तलाश
जारी रखें।

भारतीय नेता
‘‘गांधी’’
का कहना है
:

‘‘हिन्दू
धर्म का यह सौभाग्य
है कि उसका कोई
प्रमुख सिद्धांत
नहीं है। यदि मुझसे
उसके बारे में
प्रश्न किया जाए
तो मैं कहूँगा
कि : उसका सिद्धांत
पक्षपात न करना
और अच्छे ढंग से
सत्य की खोज करना
है। रही बात सृष्टिकर्ता
के अस्तित्व में
विश्वास रखने या
न रखने की,
तो यह दोनों
समान हैं। और किसी
हिन्दू आदमी के
लिए यह ज़रूरी नहीं
है कि वह सृटिष्कर्ता
में विश्वास रखे।
वह एक हिन्दू है,
चाहे वह
विश्वास रखे या
विश्वास न रखे।’’

तथा उनका यह
भी कहना है कि
:

‘‘हिन्दू
धर्म का सौभाग्य
है कि वह हर सिद्धांत
(आस्था) से अलग है।
परन्तु वह अन्य
धर्मों के सभी
मौलिक बातों और
प्रमुख सिद्धांतों
को घेरे हुए है।’’
उनकी पुस्तक
‘‘हिन्दू
धर्म’’ (HINDU DHARM) से समाप्त
हुआ।

इसे मैंने
डॉ. आज़मी की पुस्तक
‘‘दिरासात
फिल यहूदिय्या
वल मसीहिय्या व
अदयानिल हिंद’’ (यहूदी
धर्म,
ईसाई धर्म और भारत
के धर्मों का अध्ययन)
(पृष्ठ 529-530) से उद्धृतकिया है।

अधिक जानकारी
के लिए उत्तर संख्या
: (126472) देखें।

आप इसे इस्लाम
का अध्ययन करने,
उसकी अच्छाइयों
और विशेषताओं में
विचार करने,
और अन्य
सभी धर्मों पर
उसकी विशिष्टताओं
को तलाश करने के
लिए अपना प्रारंभिक
बिंदु क्यों नहीं
बना लेते। क्योंकि
इस्लाम अपने पूर्ववर्ती
सभी धर्मों को
मंसूख करनेवाला
है। और इस्लाम
के पैगंबर मुहम्मद
सल्लल्लाहु अलैहि
व सल्लम,
अपने पूर्व
सभी ईश्दूतों और
पैगंबरों की शुभसूचना
हैं। यह मामला
बहुत गंभीर और
खतरनाक है। क्योंकि
क़ुरआन करीम मोक्ष
के पथ को केवल एकेश्वरवाद
के धर्म,
इस्लाम के
मार्ग में सीमित
करता है। अल्लाह
सर्वशक्तिमान
का फरमान है
:

وَمَن
يَبْتَغِ غَيْرَ الإِسْلاَمِ دِيناً فَلَن يُقْبَلَ مِنْهُ وَهُوَ فِي الآخِرَةِ
مِنَ الْخَاسِرِينَ

[آل عمران : 85].

‘‘और जो व्यक्ति
इस्लाम के सिवा
कोई अन्य धर्म
ढूंढ़ेगा,
तो वह (धर्म)
उससे स्वीकार नहीं
किया जायेगा,
और आखिरत
में वह घाटा उठाने
वालों में से होगा।’’ (सूरत आल-इम्रान
: 85).

अधिक जानकारी
के लिए प्रश्न
संख्या : (175339) का उत्तर
देखें।

और अल्लाह
ही सबसे अधिक ज्ञान
रखता है।

इस्लाम प्रश्न
और उत्तर

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