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क्रुद्ध व्यक्ति का तलाक़

प्रश्न: 22034

मैं एक घटना के बारे में पूछना चाहता हूँ और वह यह है कि एक मुस्लिम भाई ने अपनी पत्नी से कहा कि उसने उसे तीन तलाक़ दे दिया है। लेकिन कुछ घंटों के बाद वापस लौटा और कहा कि उसने वह बात गुस्से (क्रोध) की हालत में कही थी। (अर्थात गुस्से की हालत में तलाक़ दी थी)। मेरा प्रश्न यह है कि ऐ शैख : क्या इस भाई को अपनी पत्नी को वापस लौटाने का अधिकार है? मैं इस्लामी शरीयत (कानून) से तर्कसंगत निर्णय चाहता हूँ। ज्ञात रहे कि हमने इसके बारे में कई विचार (दृष्टिकोण) सुने हैं, लेकिन बिना सबूत के।

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

(गुस्से की तीन हालतें (स्थितियाँ) हैं :

पहली स्थितिः उनमें से एक यह है कि अगर क्रोध इतना तेज़ है कि वह चेतना (बुद्धि) को खो देता है और पागल व निर्बुद्ध व्यक्ति की तरह हो जाता है, तो सभी विद्वानों के यहाँ इसका तलाक संपन्न नहीं होगा, क्योंकि वह पागल और निर्बुद्ध की तरह है, उसकी बुद्धि चली गई है।

दूसरी स्थिति : उसका क्रोध तेज़ हो, परंतु वह जो कुछ कह रहा है उसे समझता हो और उसका बोद्ध रखता हो, लेकिन उसका क्रोध बहुत तेज़ हो गया हो और वह दीर्घ विवाद, या गाली (अपशब्द) या मारपीट की वजह से अपने आप पर नियंत्रण न रख सका हो, और इसी वजह से उसका क्रोध भी तीव्र हुआ था। तो इसके बारे में विद्वानों के बीच मतभेद है, सबसे राजेह (अधिक संभावित) यह है की इस स्थिति में भी तलाक़ नहीं होगी। क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान हैः

''इग़्लाक़ (बलात्) की स्थिति में न तो तलाक़ है और न तो दासता से मुक्ति।'' इसे इब्ने माजा (हदीस संख्या : 2046) ने रिवायत किया है, और शैख अल्बानी ने ''इर्वाउल-गलील'' (हदीस संख्या : 2047) में इसे सहीह क़रार दिया है।

''इग़्लाक़'' की व्याख्या विद्वानों ने बलात् और तीव्र क्रोध से की है।

तीसरी स्थिति: हल्का (मामूली) क्रोध, जिसकी वजह से पति का मन मलीन हो जाता है और वह महिला की ओर से जो कुछ हुआ है उससे चिढ़ जाता है। लेकिन उसका क्रोध इतना गंभीर और तेज नहीं होता कि उसे विवेक (समझबूझ) और आत्म नियंत्रण से रोक दे। बल्कि वह एक हल्का और सामान्य क्रोध होता है, तो इस स्थिति में सभी विद्वानों के निकट उसकी तलाक़ हो जाएगी।

उपर्युक्त विस्तार के साथ, क्रोधित व्यक्ति के तलाक़ के मुद्दे में यही सही बात है, जैसा कि इब्ने तैमिय्या और इब्ने अल-क़ैयिम रहमहतुल्लाहि अलैहिमा ने इसको संकलित किया है।)

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है। तथा अल्लाह तआला हमारे संदेष्टा मुहम्मद पर दया व शांति अवतरित करे।

स्रोत

फतावा अत्-तलाक, शैख इब्न बाज़,  (पृष्ठः 15-27)

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