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1,83825/राबी द्वितीय/1444 , 19/नवंबर/2022

ब्याज पर आधारित ऋण से बने घर से लाभ उठाना

سوال: 22905

तीन साल पहले हमने एक फतवा सुनने के बाद ब्याज पर आधारित ऋण के साथ एक घर खरीदा था। अब हम घर के मूल्य का भुगतान कर चुके हैं। क्योंकि हमने इसका एक बड़ा हिस्सा डाउन पेमेंट (अग्रिम भुगतान) के रूप में चुकाया है। क्या हमारे लिए इस घर में रहना जायज़ हैॽ क्या हमारे लिए इसे किराए पर देना जायज़ हैॽ क्या हम इसे कार्यस्थल के रूप में उपयोग कर सकते हैंॽ

جواب کا متن

اللہ کی حمد، اور رسول اللہ اور ان کے پریوار پر سلام اور برکت ہو۔

सबसे पहले :

आपको इस ब्याज पर आधारित ऋण के लिए अल्लाह से पश्चाताप करना चाहिए; क्योंकि ब्याज (सूद) सबसे बड़े पापों में से एक है। अल्लाह तआला का फरमान है :

يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اتَّقُوا اللَّهَ وَذَرُوا مَا بَقِيَ مِنَ الرِّبا إِنْ كُنْتُمْ مُؤْمِنِينَ – فَإِنْ لَمْ تَفْعَلُوا فَأْذَنُوا بِحَرْبٍ مِنَ اللَّهِ وَرَسُولِهِ وَإِنْ تُبْتُمْ فَلَكُمْ رُؤُوسُ أَمْوَالِكُمْ لا تَظْلِمُونَ وَلا تُظْلَمُونَ 

البقرة: 278-279

“ऐ ईमान वालो! अल्लाह से डरो और ब्याज में से जो शेष रह गया है, उसे छोड़ दो, यदि तुम ईमान रखने वाले हो। फिर यदि तुमने ऐसा न किया, तो अल्लाह और उसके रसूल की ओर से युद्ध की घोषणा से सावधान हो जाओ। और यदि तुम तौबा कर लो, तो तुम्हारे लिए तुम्हारे मूलधन हैं, न तुम अत्याचार करोगे और न तुमपर अत्याचार किया जाएगा।” (सूरतुल-बक़रा : 278-279).

 इब्ने कसीर रहिमहुल्लाह ने अपनी तफ़सीर (2/657) में कहा :

“यह उस व्यक्ति के लिए सख़्त धमकी और कठोर दंड का डरावा है, जो चेतावनी दिए जाने के बाद भी सूदी कारोबार करना जारी रखता है। इब्ने जुरैज ने कहा : इब्ने अब्बास ने कहा : “युद्ध की घोषणा से सावधान हो जाओ” का अर्थ है : अल्लाह और उसके रसूल की ओर से युद्ध के बारे में सुनिश्चित हो जाओ … इब्ने अब्बास से वर्णित है कि उन्होंने कहा : क़ियामत के दिन सूद खाने वाले से कहा जाएगा : युद्ध के लिए अपना हथियार ले ले। फिर उन्होंने यह आयत पढ़ी :

فَإِنْ لَمْ تَفْعَلُوا فَأْذَنُوا بِحَرْبٍ مِنَ اللَّهِ وَرَسُولِهِ

البقرة : 279

“फिर यदि तुमने ऐसा न किया, तो अल्लाह और उसके रसूल की ओर से युद्ध की घोषणा से सावधान हो जाओ।” (सूरतुल-बक़रा : 279).

तथा अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने सूद खाने वाले पर और सूद खिलाने वाले पर और सूद लिखने वाले पर और सूद के गवाहों पर ला’नत (धिक्कार) भेजी है। और फरमाया : वे सब (पाप में) बराबर हैं।” इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 1598) ने रिवायत किया है।

जहाँ तक इस घर में रहने का संबंध है, तो यदि आपने अल्लाह से पश्चाताप (तौबा) कर लिया है, तो इसमें रहने या इसे किराए पर देने या इसे कार्यस्थल के रूप में उपयोग करने में कुछ भी हर्ज नहीं है।

स्थायी समिति से एक ऐसे व्यक्ति के बारे में पूछा गया, जिसने ब्याज पर आधारित क़र्ज लिया और घर बनाया, क्या उसे घर को गिरा देना चाहिए या उसे क्या करना चाहिएॽ

तो उन्होंने उत्तर दिया :

“अगर वस्तुस्थिति ठीक वैसे ही है जो आपके द्वारा बताई गई है, तो आपने इस तरीक़े से जो ऋण लिया है, वह हराम है क्योंकि यह सूद (रिबा) है। आपके लिए अनिवार्य है कि उससे तौबा और क्षमा याचना करें, आपसे जो कुछ हुआ है उसपर पछतावा करें, और फिर से ऐसा न करने का संकल्प लें। जहाँ तक आपके द्वारा बनाए गए घर का संबंध है, तो उसे ध्वस्त न करें, बल्कि उसमें निवास करके या किसी अन्य चीज़ में उससे लाभ उठाएँ। हम आशा करते हैं कि अल्लाह आपको आपसे होने वाली इस लापरवाही के लिए क्षमा कर देगा।

“फ़तावा अल-लज्नह अद्-दाईमह” (13/411)।

हम अल्लाह से प्रार्थना करते हैं कि हमारे पश्चाताप को स्वीकार करे और हमें वह करने का सामर्थ्य प्रदान करे, जिसे वह पसंद करता है और जिससे वह प्रसन्न होता है।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

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