व्यावसायिक बाजार में मेरी एक दुकान है, और मेरे आस-पास की सभी दुकानों ने अपनी दुकानों के सामने के फुटपाथ तथा अपनी दुकानों की सीमा से बाहर सड़क के कुछ हिस्से पर कब्जा कर लिया है, जिसने मुझे भी फुटपाथ का एक हिस्सा लेने के लिए मजबूर कर दिया। तो क्या यह हराम (निषिद्ध) हैॽ अगर यह हराम है, तो क्या मेरे लिए इस हिस्से में केवल अपना सामान लगाना जायज़ हैॽ
दुकानदारों का अपनी दुकानों के सामने फुटपाथों पर अतिक्रमण करना
प्रश्न: 233319
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
फुटपाथ का एक हिस्सा ग्रहण करना और उस पर निर्माण करना और उसे अपनी दुकान से इस तरह मिला लेना कि वह आपकी संपत्ति का हिस्सा बन जाए या आप उसमें इस तरह व्यवहार करें जैसे कि किसी संपत्ति का मालिक व्यवहार करता है; तो ऐसा करना जायज़ नहीं है। यह भूमि को बिना अधिकार के अन्यायपूर्ण तरीके से लेने के शीर्षक के अंतर्गत आता है।
अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा से वर्णन किया गया कि उन्हों ने कहा: पैगंबर स्ल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “जिस व्यक्ति ने बिना अधिकार के किसी भूमि का थोड़ा-सा भी हिस्सा ले लिया, तो क़यामत के दिन उसे सात ज़मीनों (के अंदर) तक धंसा दिया जाएगा।” इस बुखारी (हदीस संख्या : 2454) ने रिवायत किया है।
जहाँ तक केवल बेचने के समय उस पर सामान को प्रदर्शित करने का संबंध है, तो यदि यह ऐसा कुछ है जिसके बारे में आमतौर पर लोगों के बीच सहिष्णुता से काम लिया जाता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है, यदि इससे राहगीरों और खरीदारों को हानि नहीं पहुँचती है, और उनका रास्ता संकीर्ण नहीं होता है।
इब्ने क़ुदामा रहिमहुल्लाह कहते हैं :
”इमारतों (आबादियों) के बीच जो सड़कें, रास्ते और खुले स्थान होते हैं, तो किसी को भी उसे विकसित करने का अधिकार नहीं है (अर्थात् जैसे कि उस पर निर्माण करना और ऐसे ही अन्य गतिविधियाँ जो किसी संपत्ति का मालिक व्यक्ति अपनी संपत्ति में करता है), चाहे वह विस्तृत हो या संकीर्ण, और चाहे उसके कारण लोगों के लिए जगह तंग हो जाती हो या तंग न होती हे; क्योंकि उसमें सभी मुसलमानों का साझा होता है और उससे उनके हित जुड़े होते हैं, इसलिए वह उनकी मस्जिदों के समान है। जबकि उनमें से जो विस्तृत हो उसमें बेचने एवं खरीदने के लिए बैठने के द्वारा लाभ उठाना जायज़ है, लेकिन इस तौर पर कि वह किसी व्यक्ति को परेशान ने करे और राहगीरों को नुकसान न पहुँचाए; क्योंकि बिना इनकार व खंडन के सभी देशों के लोगों का सभी ज़माने में लोगों को ऐसा करने की मान्यता देने पर सहमति है। और इसलिए कि यह एक प्रकार का वैद्ध लाभ उठाना है जिसमें किसी को कोई नुकसान नहीं पहुँचता है। इसलिए उससे रोका नही गया है, जैसे कि गुज़रने (का मामला है)।
”अल-मुगनी (8/161)” से उद्धरण समाप्त हुआ।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर