फ़ोन पर उत्पाद बेचने और ग्राहक को उसके बारे में आश्वस्त करने का क्या हुक्म हैॽ उदाहरण के लिए, किसी चीज़ की बिक्री मूल्य 30 है, लेकिन मैं उसे बताता हूँ कि बिक्री मूल्य 50 है, और ईद के अवसर या किसी विशेष अवसर पर, उसके लिए डिस्काउंट कर दिया गया है और अब कीमत 30 हो गई है। क्या यह हलाल है या हराम?
विशेष अवसरों और पर्वों पर नकली छूट
प्रश्न: 244315
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
खरीदार को धोखा देना और उसे यह बताना कि उत्पाद की कीमत पचास रियाल है, और यह कि ईद जैसे मौसमी अवसर के लिए उसकी कीमत घटाकर तीस कर दी गई है, हालाँकि सिरे से कोई कमी नहीं की गई है, सरासर झूठ है।
झूठ बोलना हराम है और बिक्री के मामले में तो और भी कठोर है। झूठ बोलकर विक्रेता जो प्राप्त करता है उसमें कोई भलाई नहीं है, और ऐसा करनेवाले को इससे बहुत हानि होती है, चाहे वह इसे महसूस करे या न करे।
अगर बिक्री में झूठ बोलने के खिलाफ चेतावनी में केवल इतना होता कि वह बरकत को मिटा देता है, तो यह पर्याप्त है।
हकीम बिन हिज़ाम रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : विक्रेता और क्रेता दोनों को (लेन-देन रद्द करने का) अधिकार है जब तक वे अलग नहीं हो जाते। फिर यदि वे दोनों सच बोलें और (वस्तु के दोष को) स्पष्ट कर दें, तो उनकी बिक्री में बरकत होगी और अगर वे झूठ बोलते हैं और (दोष) छिपाते हैं, तो उनकी बिक्री की बरकत मिटा दी जाएगी।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 1973) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 1532) ने रिवायत किया है।
अतः सत्य और स्पष्टीकरण जीविका और धन में बरकत के सबसे निश्चित कारणों में से हैं, जबकि झूठ बोलना और दोषों को छिपाना बरकत के मिट जाने और हानि के सबसे बड़े कारणों में से एक है।
अगर बेचने वाला इसे अपने लिए पसंद नहीं करता है, तो वह अपने मुस्लिम भाइयों के लिए इसे कैसे पसंद कर सकता हैॽ! यह उसके ईमान की कमी का प्रमाण है। नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “तुम में से कोई भी (पूर्ण) मोमिन नहीं हो सकता जब तक कि वह अपने भाई के लिए वही पसंद न करे जो वह अपने लिए पसंद करता है।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 13) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 45) ने रिवायत किया है।
तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “जिसको यह बात पसंद है कि उसे जहन्नम से दूर कर दिया जाए और जन्नत में दाख़िल कर दिया जाए, तो उसकी मृत्यु इस स्थिति में होनी चाहिए कि वह अल्लाह और आख़िरत के दिन पर ईमान रखता हो, और वह लोगों के साथ वैसा ही व्यवहार करे जैसा वह चाहता है कि लोग उसके साथ व्यवहार करें।” इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 1844) ने रिवायत किया है।
अतः जो ऐसा करता है, उसे सावधान रहना चाहिए, क्योंकि सर्वशक्तिमान अल्लाह की सज़ा उसकी प्रतीक्षा कर रही है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर