मैंने और मेरे भाई ने अपनी दादी से कुछ पैसे उधार लिए। कुछ समय बाद, मेरी माँ ने उनसे ऋण के बारे में बात की, तो उन्होंने मेरी माँ से कहा : “तुम्हारे पास और तुम्हारे बच्चों के पास जो कुछ है, उसके बारे में बात न करो।” जब वह बीमार थीं और अस्पताल में थीं, तो मेरे भाई ने अपने ऋण की आधी राशि उन्हें ट्रांसफर कर दी और उनसे कहा: "मैंने आपको कुछ पैसे ट्रांसफर कर दिए हैं, और अभी कुछ राशि बकाया है।" उन्होंने उससे कहा : “तुम्हें पैसे ट्रांसफर करने के लिए किसने कहा थाॽ” कुछ समय बाद, मेरी दादी का निधन हो गया। उनके मरने से पहले, जब वह बेसुध हो जाया करती थीं, मेरी माँ ने उनसे पैसे के बारे में बात की और उनसे कहा : जीवन अल्लाह के हाथ में है, लेकिन वे ऋण का भुगतान कैसे करेंॽ क्या वे उसे आपकी ओर से थोड़ा-थोड़ा करके दान में दे देंॽ मेरी दादी थोड़ी देर चुप रहीं, फिर उन्होंने कहा : “वे उसे दान कर दें।” क्या उनका यह कहना इस बात के लिए पर्याप्त है कि उन्होंने हमें क्षमा कर दिया था, या नहींॽ क्या उनकी उस समय कही गई बातों को लिया जाएगा, जब वह बेसुध हो जाया करती थींॽ कृपया हमें अवगत कराएँ, अल्लाह आपको प्रतिफल प्रदान करे।
बेसुध होने की अवस्था में रोगी द्वारा किए गए निर्णय का हुक्म
प्रश्न: 263253
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
मैंने यह प्रश्न अपने शैख अब्दुर रहमान अल-बर्राक के समक्ष प्रस्तुत किया, तो उन्होंने कहा :
“इस तरह के वाक्यांश, जैसे कि उनका यह कहना : “तुम्हारे पास और तुम्हारे बच्चों के पास जो कुछ है, उसके बारे में बात न करो।”, और “तुम्हें पैसे ट्रांसफर करने के लिए किसने कहा थाॽ”, इनसे स्वामितव साबित नहीं होता है। क्योंकि ये ऐसे शब्द हैं जो लोग एक-दूसरे के साथ व्यवहार करते समय शिष्टाचार दिखाने के लिए कहते हैं, तथा उन्होंने स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया कि उन्होंने अपना पैसा माफ कर दिया।
जहाँ तक उनके यह कहने का संबंध है कि : “उसे दान में दे दो”, तो उस स्थिति में उन्हें अपने धन का निपटान करने की अनुमति नहीं है, और वारिसों का अधिकार ही असल (मूल सिद्धांत) है। अतः यह असल निश्चितता (यक़ीन) के द्वारा ही अमान्य हो सकता है और यहाँ उनकी बीमारी तथा उनके बेसुध होने के कारण कोई निश्चितता (यक़ीन) नहीं है।
इसके आधार पर :
आप लोगों को वारिसों को ठीक-ठीक सूचित करना चाहिए कि उन्होंने शेष धन को दान में देने के बारे में क्या कहा था। फिर यदि वे इसके लिए सहमत हैं, तो तुम उनकी ओर से उसे दान कर दो। अन्यथा वह धन वारिसों की ओर लौट आएगा और शेष संपत्ति के साथ विभाजित किया जाएगा।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद