टेलोमेरस एंजाइम (जीवन का अमृत) के बारे में यह कहा जाता है कि यह मनुष्य को बुढ़ापे की अस्था से युवा की अवस्था में वापस लौटा देता है, और उन तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) को नवीनिकृत कर देता है जिनके बारे में यह माना जाता है कि उनका नवीनीकरण कभी नहीं हो सकता। इस प्रकार अमरता के विचार को प्राप्त किया जा सकता है, तथा इससे मनुष्य की मृत्यु में हमारे पालनहार की क्षमता व शक्ति पर आक्रमण होता है। ज्ञात रहे कि एक चैनल पर एक वीडियो में डॉक्टर कहता है किः यह दवा गोलियों के रूप में उपलब्ध है। तो इसका क्या हुक्म हैॽ
क्या टेलोमेरेस एंजाइम मृत्यु को रोक सकता है?
प्रश्न: 296690
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
इस एंजाइम (टेलोमेरस) के बारे में अधिक से अधिक यह कहा जा सकता है, अगर यह सच है और वैज्ञानिक रूप से सिद्ध प्रयोग है, किः यह तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) को नवीनिकृत करने और कोशिकाओं की उम्र बढ़ने को रोकने तथा टेलोमेर की हानि की गति को कम करने के लिए काम करता है। इस प्रकार, वह वृद्धावस्था में भी सेल नवीकरण की दर में वृद्धि करता है।
यह यदि वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है, तो इसका मतलब यह है कि यह युवापन को संरक्षित रखता है और उम्र बढ़ने से रोकता है।
लेकिन इसका मौत को रोकने से कोई संबंध नहीं है, क्योंकि मौत युवा और बूढ़े, मजबूत और कमज़ोर सभी लोगों को आती है, क्योंकि यह ऐसी चीज़ है जिसे अल्लाह ने सभी मनुष्यों और जिन्नों पर लिख दिया है।
यह कुछ ऐसा है जिसे अल्लाह ने के लिए कम कर दिया है।
अल्लाह तआला ने फरमाया :
وَمَا جَعَلْنَا لِبَشَرٍ مِنْ قَبْلِكَ الْخُلْدَ أَفَإِنْ مِتَّ فَهُمُ الْخَالِدُونَ. كُلُّ نَفْسٍ ذَائِقَةُ الْمَوْتِ وَنَبْلُوكُمْ بِالشَّرِّ وَالْخَيْرِ فِتْنَةً وَإِلَيْنَا تُرْجَعُونَ
الأنبياء : 34، 35
“और हमने आप से पहले किसी भी मनुष्य को अमरता नहीं प्रदान की। तो क्या यदि आप मर गए, तो वे सदैव रहेंगेॽ हर प्राणी को मृत्यु का स्वाद चखना है। और हम तुम्हें अच्छी और बुरी परिस्थितियों में डालकर तुम्हारी परीक्षा करते है। अन्ततः तुम सब हमारी ही ओर लौटाए जाओगे।” [सूरतुल अंबिया : 34-35]
तथा अल्लाह तआला ने फरमाया :
إِنَّكَ مَيِّتٌ وَإِنَّهُمْ مَيِّتُونَ
الزمر :30
“निःसंदेह, आपको भी मृत्यु आएगी और ये लोग भी मरने वाले हैं।” [सूरतुज़-ज़ुमर : 30]।
तथा बुखारी (हदीस संख्या : 7383) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 2717) ने इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत किया है कि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम कहा करते थे : “अऊज़ो बि-इज़्ज़तिका, अल्लज़ी ला इलाहा इल्ला अन्त, अल्लज़ी ला यमूतो, वल-जिन्नो वल-इन्सो यमूतून” (मैं तेरी महिमा की शरण लेता हूँ, तेरे अलावा कोई सच्चा पूज्य नहीं, जो कभी नहीं मरता, लेकिन जिन्नात और मनुष्य मरते हैं।)
चुनाँचे चाहे मनुष्य शक्ति या युवावस्था या स्वास्थ्य की पराकाष्ठा को प्राप्त करले, परंतु उसके लिए एक नियत समय है जिसे अल्लाह सर्वशक्तिमान ने उसके लिए निर्धारित कर दिया है और वह अनिवार्य रूप से मौत का स्वाद चखने वाला है, फिर उसे हिसाब और बदले के लिए पुनर्जीवित किया जाएगा।
मुश्रिकों (बहुदेववादियों) में से ऐसे लोग पाए गए हैं जिन्होंने पुनरुत्थान और बदले का इनकार किया है, लेकिन कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं पाया गया है जिसने मृत्यु का इनकार किया हो। क्योंकि यह (मृत्यु) ऐसी अटल हक़ीक़त है जिसे सभी लोग देखते हैं, और कोई भी इसे टाल नहीं सकता है।
इसलिए कोशिकाओं को नवीनिकृत करना, या उन्हें उम्र में आगे बढ़ने से रोकना, मनुष्य को उस समय कोई लाभ नहीं देगा जब उसकी मृत्यु का समय आ जाएगा। चुनाँचे आप लोगों में से सबसे मज़बूत और सबसे अच्छे स्वास्थ्य वाले और उनमें सबसे युवा को देखते हैं कि जब अल्लाह चाहता है वह मर जाता है और कोई भी उससे मौत को नहीं टाल सकता।
فَلَوْلَا إِذَا بَلَغَتِ الْحُلْقُومَ (83) وَأَنْتُمْ حِينَئِذٍ تَنْظُرُونَ (84) وَنَحْنُ أَقْرَبُ إِلَيْهِ مِنْكُمْ وَلَكِنْ لَا تُبْصِرُونَ (85) فَلَوْلَا إِنْ كُنْتُمْ غَيْرَ مَدِينِينَ (86) تَرْجِعُونَهَا إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ
الواقعة :83- 87
“फिर ऐसा क्यों नहीं होता, जबकि प्राण कंठ को आ लगते है। और उस समय तुम देख रहे होते हो। और हम तुम्हारी अपेक्षा उससे अधिक निकट होते हैं, किंतु तुम देखते नहीं। फिर ऐसा क्यों नहीं होता कि यदि तुम अधीन नहीं हो, तो उस (प्राण) को लौटा दो, यदि तुम सच्चे हो।” [सूरतुल-वाक़िआ : 83-87]।
महिमावान है वह अस्तित्व जिसने अपने बंदों को मृत्यु के द्वारा अधीनस्थ कर दिया, और वह अकेला ही अनंत काल तक रहने वाला है।
وَهُوَ الْقَاهِرُ فَوْقَ عِبَادِهِ وَيُرْسِلُ عَلَيْكُمْ حَفَظَةً حَتَّى إِذَا جَاءَ أَحَدَكُمُ الْمَوْتُ تَوَفَّتْهُ رُسُلُنَا وَهُمْ لَا يُفَرِّطُونَ (61) ثُمَّ رُدُّوا إِلَى اللَّهِ مَوْلَاهُمُ الْحَقِّ أَلَا لَهُ الْحُكْمُ وَهُوَ أَسْرَعُ الْحَاسِبِينَ
الأنعام :61، 62
“और वही अपने बंदों पर पूरा-पूरा क़ाबू रखनेवाला है और वह तुमपर निगरानी करनेवालों को नियुक्त करके भेजता है, यहाँ तक कि जब तुममें से किसी की मृत्यु का समय आ जाता है, तो हमारे भेजे हुए फ़रिश्ते उसका प्राण निकाल लेते हैं और वे कोई कोताही नहीं करते। फिर सब अल्लाह की ओर, जो उनका वास्तविक स्वामी है, लौटाए जाएँगे। जान लो, निर्णय का अधिकार उसी को है और वह बहुत जल्द हिसाब लेनेवाला है।” [सूरतुल-अनआम : 61-62]
हम किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में नहीं जानते हैं जिसने मृत्यु को रोकने वाली दवा या साधन की खोज करने का दावा किया है। और कोई भी व्यक्ति ऐसा करने में कदापि सक्षम नहीं होगा, भले ही वह पृथ्वी पर उपस्थित सभी लोगों की मदद प्राप्त कर ले; क्योंकि जिसने मनुष्य को बनाया, उसी ने मृत्यु को पैदा किया है, और लोगों के जीवनकाल को निर्धारित किया है, और आकाश तथा पृथ्वी को पैदा करने से पचास हज़ार साल पहले उसे अपने पास एक किताब में लिख दिया है। अतः उसके फैसले को कोई टाल नहीं सकता है, और न उसके फैसले को कोई पलट सकता है।
अतः आप अपनी आशंका (संदेह) को त्याग दें और अपने मामले पर ध्यान केंद्रित करें और अल्लाह से मिलने की तैयारी करें, क्योंकि अल्लाह द्वारा निर्धारित समय निश्चित रूप से आने वाला है।
और अल्लाह ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर