हमारे पास बैंकों से पैसे निकालने की एक सीमा है, जो कि दो हज़ार प्रति दिन है। मैं बहुत व्यस्त होने के कारण, अपने खाते से अपने चचेरे भाई के खाते में धन हस्तांतरित करता हूँ, ताकि वह उसे बैंक से निकाल सके और मुझे नकद के रूप में दे सके। और मैं उसे पैसे निकालने के बदले में कुछ पारिश्रमिक देता हूँ। इस लेनदेन का क्या हुक्म हैॽ
वह अपने खाते से अपने चचेरे भाई के खाते में धन ट्रांसफर करता है ताकि वह बैंक में जाए और पारिश्रमिक के बदले उसे वापस निकाल ले
प्रश्न: 301425
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
आपके अपने खाते से अपने चचेरे भाई के खाते में धन हस्तांतरित करने में कोई हर्ज नहीं है, ताकि वह, एक पारिश्रमिक के बदले, उसे बैंक से निकालकर आपको दे सके।
जो पैसा उसके खाते में डाला गया है, वह आपका पैसा है, जिसे वह बैंक से निकालेगा। और यह एक अनुमेय कार्य है, जिसके लिए पारिश्रमिक लेना जायज़ है।
लेकिन अगर उसने आपको उसे हस्तांतरित करने से पहले पैसा दे दिया है, तो यह उसकी तरफ़ से आपके लिए एक ऋण (क़र्ज़) है और उसके लिए उससे अधिक लेने की अनुमति नहीं है; क्योंकि वह रिबा (सूदखोरी) है।
इब्ने क़ुदामह रहिमहुल्लाह ने “अल-मुग़नी” (6/436) में कहा :
“प्रत्येक ऋण (क़र्ज़) जिसमें यह शर्त रखी गई है कि वह कुछ बढ़ाकर देगा : तो वह बिना किसी मतभेद के हराम (निषिद्ध) है। इब्नुल-मुंज़िर ने कहा : विद्वानों की इस बात पर सर्वसहमति है कि अगर ऋणदाता यह शर्त रखता है कि उधारकर्ता को कुछ अतिरिक्त भुगतान करना होगा या उसे उपहार देना होगा। फिर वह उस आधार (शर्त) पर ऋण देता है, तो उसपर कुछ अतिरिक्त लेना रिबा (सूदखोरी) है। तथा उबैय बिन कअब, इब्ने अब्बास और इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हुम से वर्णन कि गया है कि उन्होंने ऐसे ऋण से मना किया है जो लाभ लाता है।” उद्धरण समाप्त हुआ। (अर्थात लाभ के लिए ऋण देने की मनाही की है)
यदि वह आपको, आपके उसे धन हस्तांतरित करने से पहले, देने जा रहा है, तो उसे ऐसा निःशुल्क करना चाहिए।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर