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बालों, भौंहों और पलकों को एक स्थायी रंग के साथ रंगने का हुक्म

प्रश्न: 305396

मैं डाई के बारे में जानना चाहता हूँ, चाहे वह सिर के बालों के लिए हो, या भौंहों अथवा पलकों के लिए हो। यदि यह स्थायी है और कभी दूर नहीं होती है तो इसका क्या हुक्म हैॽ क्या इसमें अल्लाह सर्वशक्तिमान की रचना में कोई बदलाव करना पाया जाता हैॽ

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

सर्व प्रथम :

बालों और भौंहों को काले रंग के अलावा किसी ऐसे पदार्थ के साथ डाई करना जायज़ है, जो नुक़सान नहीं करता है, जैसे कि मेंहदी और इसी तरह के अन्य पदार्थ। तथा प्रश्न संख्या : (148664) का उत्तर देखें।

तथा पलकों को काले रंग से रंगना जायज़ है, जैसा कि प्रश्न संख्या : (148664) के उत्तर में वर्णन किया गया है।

दूसरा :

यदि यह डाई स्थिर और स्थायी रहता है, तो यह अल्लाह सर्वशक्तिमान की रचना में बदलाव करने के अंतर्गत आता है और ऐसी स्थिति में यह हराम (निषिद्ध) है।

क़ुर्तुबी रहिमहुल्लाह ने कहा : "इन सभी चीज़ों के करने वाले पर धिक्कार करने और उन्हें प्रमुख पापों में से करार देने पर हदीसें साक्षी हैं।

तथा उस अर्थ के बारे में मतभेद किया गया है जिसके कारण इन्हें निषिद्ध ठहराया गया है :

चुनाँचे कहा गया है : क्योंकि यह धोखाधड़ी के अध्याय से है।

यह भी कहा गया है कि : यह अल्लाह सर्वशक्तिमान की रचना को बदलने के अध्याय से है, जैसा कि इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा है, और यह अर्थ अधिक सही है और इसमें पहला अर्थ भी शामिल है।

फिर यह कहा गया है कि : यह जिससे निषेध किया गया है, यह केवल उस चीज़ में है, जो बाक़ी (स्थिर) रहने वाला होता है; क्योंकि वह सर्वशक्तिमान अल्लाह की रचना को बदलने के अंतर्गत आता है। लेकिन जो बाक़ी नहीं रहता है, जैसे कि सुर्मा और महिलाओं का उसके साथ सजना-संवरना : तो विद्वानों ने इसे जायज़ ठहराया है।” “तफ़सीर अल-कुर्तुबी” (5/393) से उद्धरण समाप्त हुआ।

शैख मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन रहिमहुल्लाह से पूछा गया :

“लोगों के बीच – विशेष रूप से महिलाओं में – कुछ रसायनिक पदार्थों और प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का उपयोग प्रचलित है, जो त्वचा के रंग को बदल देते हैं, इस प्रकार कि उन रसायनिक पदार्थों और प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का अभ्यास करने के बाद भूरी त्वचा सफेद हो जाती है। तो क्या इसमें कोई शरई मनाही हैॽ ज्ञात रहे कि कुछ पति अपनी पत्नियों को उन रसायनिक पदार्थों और प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का उपयोग करने का आदेश देते हैं, यह तर्क देते हुए कि एक महिला को अपने पति के लिए सजना-संवरना चाहिए।

तो उन्होंने जवाब दिया :

“यदि यह परिवर्तन स्थायी है : तो ऐसा करना हराम (निषिद्ध) है, बल्कि बड़े गुनाहों में से है; क्योंकि यह तो गुदना गोदने से कहीं अधिक अल्लाह सर्वशक्तिमान की रचना को बदलने वाला कार्य है, और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रमाणित है कि आपने “बाल जोड़ने वाली, बाल जोड़वाने वाली, गुदना गोदने वाली और गुदना गोदवाने वाली महिला पर लानत (धिक्कार) भेजी है। सहीह बुखारी व सहीह मुस्लिम में अब्दुल्लाह बिन मसउद रज़ियल्लाहु अन्हुमा से वर्णित है कि उन्होंने कहा :

“अल्लाह ने, गुदना गोदने वालियों, गुदना गोदवाने वालियों, चेहरे के बाल उखाड़ने वालियों, चेहरे के बाल उखड़वाने वालियों और सुंदरता के लिए दाँतों के बीच विस्तार पैदा करने वालियों, अल्लाह की रचना को बदलने वालियों पर, लानत  की है।”

तथा उन्होंने कहा : (मैं उस पर लानत क्यों न करूँ जिस पर अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने लानत की है।”

अल-वासिलह (बाल जोड़ने वाली): वह महिला जिसके सिर के बाल छोटे होते हैं, तो वह उसमें दूसरे बाल, या उसी तरह की कोई चीज़ जोड़ लेती है।

अल-मुसतौसिलह (बाल जोड़वाने वाली) : जो महिला किसी से अपने बालों में उसे जोड़ने के लिए कहती है।

अल-वाशिमह (गुदना गोदने वाली) : जो महिला त्वचा पर गुदना गोदती है, इस प्रकार कि वह त्वचा में सुई आदि चुभोती है, फिर सुई चुभोने के स्थान पर सुर्मा या इसी तरह की कोई अन्य चीज़ भर देती है, जो त्वचा के रंग को दूसरे रंग में बदल देता है।

अल-मुसतौशिमह (गुदना गोदवाने वाली) : जो किसी को अपनी त्वचा में गुदना गोदने के लिए कहती है।

अन-नामिसह (चेहरे के बाल उखाड़ने वाली) : जो अपने या दूसरे के चेहरे के बाल, जैसे कि भौहें आदि, उखाड़ती है।

अल-मुतनम्मिसह (चेहरे के बाल उखड़वाने वाली) : जो किसी से अपने चेहरे के बाल उखाड़ने के लिए कहती है।

अल-मुतफ़ल्लिजह : जो किसी से अपने दाँतों को अलग-अलग करने के लिए कहती है। अर्थात् : अपने दाँतों को रेती से घिसने के लिए कतहती है ताकि उनके बीच विस्तार पैदा हो जाए; क्योंकि यह सब अल्लाह की रचना को बदलने के अंतर्गत आता है।

प्रश्न में जो उल्लेख किया गया है : वह सर्वशक्तिमान अल्लाह की रचना में उससे अधिक गंभीर परिवर्तन है, जो हदीस में आया है।

लेकिन अगर परिवर्तन स्थायी नहीं है, जैसे कि मेंहदी आदि : तो इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है, क्योंकि वह मिट जाएगी। अतः वह सुर्मा लगाने और गालों और होंठों को लाल करने की तरह है।

अतः अल्लाह की रचना को बदलने के प्रति सावधान रहना और दूसरों को सावधान करना, तथा उम्मत के बीच सावधानी फैलाना आवश्यक है, ताकि ऐसा न हो कि बुराई फैल जाए और व्यापक हो जाए। फिर उससे पलटना मुश्किल हो जाए।”

“मजमूओ फ़तावा अश-शैख अल-उसैमीन” (17/20) से उद्धरण समाप्त हुआ।

तथा शैख अल-उसैमीन रहिमहुल्लाह से यह भी पूछा गया : “हाल ही में ऐसी दवाइयाँ प्रकट हुई हैं जो एक साँवले रंग की महिला को सफेद बना देती हैं। तो क्या उनका उपयोग करना या फिर इस तरह की दवाओं का उपयोग करना, अल्लाह की रचना को बदलने के अध्याय से हराम (निषिद्ध) हैॽ

तो आप रहिमहुल्लाह ने उत्तर दिया : “हाँ, वह हराम (निषिद्ध) है, जबकि मामला यह है कि वह त्वचा के रंग को स्थिर व स्थायी रूप से बदल देता है। क्योंकि वह गुदना गुदाई (टैटू) के समान हो जाता है और “पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने गुदना गोदने वाली और गोदवाने वाली महिला पर लानत की है…” “फतावा नूरुन अलद-दर्ब” से समाप्त हुआ।

तथा अधिक जानकारी के लिए : प्रश्न संख्या : (99629) का उत्तर देखें।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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