क़ियामत के दिन लोगों को उनके कर्मों के पत्र कैसे वितरित किए जाएँगे? तथा उनके कर्मों को कैसे तौला जाएगा?
क़ियामत के दिन कर्मों को तौलना और कर्मपत्रों का वितरण
प्रश्न: 31805
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
क़ियामत के दिन कर्मों के पत्रों का वितरण :
जब लोगों का उनके कर्मों पर लेखा-जोखा हो जाएगा, तो प्रत्येक व्यक्ति को उसका कर्मपत्र दिया जाएगा जिसमें उसके सभी कर्मों का विवरण होगा। जहाँ तक मोमिन की बात है, वह उसके सम्मान के रूप में उसके दाहिने हाथ में दिया जाएगा। वह क़ियामत के दिन मोक्ष प्राप्त करने वाला और खुश होगा। अल्लाह तआला ने फरमाया :
فَأَمَّا مَنْ أُوتِيَ كِتَابَهُ بِيَمِينِهِ (7) فَسَوْفَ يُحَاسَبُ حِسَابًا يَسِيرًا (8) وَيَنقَلِبُ إِلَى أَهْلِهِ مَسْرُورًا
الانشقاق /7-9 .
"फिर जिस व्यक्ति को उसका कर्मपत्र उसके दाहिने हाथ में दिया गया। तो उसका आसान हिसाब लिया जाएगा। तथा वह अपने लोगों की ओर ख़ुश-ख़ुश लौटेगा।!" [सूरतुल-इंशिक़ाक़ : 7-9]
तथा अल्लाह ने फरमाया :
فَأَمَّا مَنْ أُوتِيَ كِتَابَهُ بِيَمِينِهِ فَيَقُولُ هَاؤُمْ اقْرَءُوا كِتَابِيه (19) إِنِّي ظَنَنتُ أَنِّي مُلَاقٍ حِسَابِيه (20) فَهُوَ فِي عِيشَةٍ رَاضِيَةٍ (21) فِي جَنَّةٍ عَالِيَةٍ (22) قُطُوفُهَا دَانِيَةٌ (23) كُلُوا وَاشْرَبُوا هَنِيئًا بِمَا أَسْلَفْتُمْ فِي الأَيَّامِ الْخَالِيَةِ
الحاقة /19-24 .
“फिर जिसे उसका कर्म-पत्र उसके दाएँ हाथ में दिया गिया, तो वह कहेगा : यह लो, मेरा कर्म-पत्र पढ़ो। मुझे विश्वास था कि मैं अपने हिसाब से मिलने वाला हूँ। चुनाँचे वह आनंदपूर्ण जीवन में होगा। एक ऊँची जन्नत में। जिसके फल निकट होंगे। (उनसे कहा जायेगा :) आनंदपूर्वक खाओ और पियो, उसके बदले जो तुमने बीते दिनों में आगे भेजे।” [सूरतुल-हाक़्क़ा : 19-24]
जहाँ तक काफिरों, मुनाफ़िक़ों और गुमराह लोगों की बात है, तो वे अपने पत्र अपनी पीठ के पीछे बायें हाथ में दिए जाएँगे। अल्लाह तआला फरमाता है :
وَأَمَّا مَنْ أُوتِيَ كِتَابَهُ وَرَاءَ ظَهْرِهِ (10) فَسَوْفَ يَدْعُو ثُبُورًا (11) وَيَصْلَى سَعِيرًا
الانشقاق /10-12 .
“और लेकिन जिसे उसका कर्मपत्र उसकी पीठ के पीछे दिया गया। तो वह विनाश को पुकारेगा। तथा जहन्नम में प्रवेश करेगा।” [सूरतुल-इंशिक़ाक़ : 10-12] l
तथा फरमया :
وَأَمَّا مَنْ أُوتِيَ كِتَابَهُ بِشِمَالِهِ فَيَقُولُ يَا لَيْتَنِي لَمْ أُوتَ كِتَابِيه (25) وَلَمْ أَدْرِ مَا حِسَابِيه (26) يَا لَيْتَهَا كَانَتْ الْقَاضِيَةَ (27) مَا أَغْنَى عَنِّي مَالِيه (28) هَلَكَ عَنِّي سُلْطَانِيه (29) خُذُوهُ فَغُلُّوهُ (30) ثُمَّ الْجَحِيمَ صَلُّوهُ (31) ثُمَّ فِي سِلْسِلَةٍ ذَرْعُهَا سَبْعُونَ ذِرَاعًا فَاسْلُكُوهُ
الحاقة /25-32 .
“और लेकिन जिसे उसका कर्म-पत्र उसके बाएँ हाथ में दिया गया, तो वह कहेगा : ऐ काश! मुझे मेरा कर्म-पत्र न दिया जाता। तथा मैं न जानता कि मेरा हिसाब क्या है! ऐ काश! वह (मृत्यु) काम तमाम कर देने वाली होती। मेरा धन मेरे किसी काम न आया। मेरी सत्ता मुझसे जाती रही। (आदेश होगा :) उसे पकड़ो और उसके गले में तौक़ डाल दो। फिर उसे भड़कती हुई आग में झोंक दो। फिर एक ज़ंजीर में, जिसकी लंबाई सत्तर गज़ है, उसे जकड़ दो।” [सूरतुल-हाक़्क़ा : 25-32]
जब लोगों को उनके कर्मपत्र दे दिए जाएँगे, तो उनसे कहा जाएगा :
هَذَا كِتَابُنَا يَنْطِقُ عَلَيْكُمْ بِالْحَقِّ إِنَّا كُنَّا نَسْتَنْسِخُ مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ
الجاثية /29 .
“यह हमारी किताब है, जो तुम्हारे बारे में सच-सच बोलती है। निःसंदेह हम लिखवाते जाते थे, जो कुछ तुम करते थे।” [सूरतुल-जासियह : 29]
اقْرَأْ كِتَابَكَ كَفَى بِنَفْسِكَ الْيَوْمَ عَلَيْكَ حَسِيبًا
الإسراء /14
"अपनी किताब (कर्मपत्र) पढ़ ले। आज तू स्वयं अपना हिसाब लेने के लिए काफ़ी है।” [सूरतुल-इसरा : 14]
कर्मों को तौलने का तराज़ू :
फिर लोगों के कार्यों को तौलने के लिए तराजू स्थापित किया जाएगा। क़ुर्तुबी ने कहा : "जब हिसाब पूरा हो जाएगा, तो उसके बाद लोगों के कर्मों को तौला जाएगा, क्योंकि तौल (वज़न) बदले के लिए होता है। इसलिए यह हिसाब के बाद होना चाहिए। क्योंकि हिसाब-किताब कर्मों का मूल्यांकन करने के लिए होता है, और वज़न (तौल) उनकी मात्रा दर्शाने के लिए होता है, ताकि बदला उसी के हिसाब से हो।” उद्धरण समाप्त हुआ।
शरई ग्रंथों से प्रमाणित होता है कि उक्त तराजू एक वास्तविक तराजू है, जिसके दो पलड़े होंगे, जिसमें लोगों के कर्मों को तौला जाएगा। यह एक महान तराजू है, जिसका अनुमान केवल अल्लाह ही जानता है। विद्वानों में इस बात पर मतभेद है कि क्या यह एक तराजू है जिसमें लोगों के कर्मों को तौला जाएगा, या कई तराजू हैं और प्रत्येक व्यक्ति का अपना विशिष्ट तराजू है। जिन लोगों ने कहा कि कई तराज़ू होंगे, वे सबूत के तौर पर इस तथ्य को प्रमाण बनाते हैं कि यह शब्द कुछ आयतों में बहुवचन रूप में आया है, उदाहरण के लिए अल्लाह का यह फरमान है :
وَنَضَعُ الْمَوَازِينَ الْقِسْطَ لِيَوْمِ الْقِيَامَةِ فَلا تُظْلَمُ نَفْسٌ شَيْئاً وَإِنْ كَانَ مِثْقَالَ حَبَّةٍ مِنْ خَرْدَلٍ أَتَيْنَا بِهَا وَكَفَى بِنَا حَاسِبِينَ
الأنبياء /47 .
“और हम क़ियामत के दिन न्याय के तराज़ू रखेंगे। फिर किसी पर कुछ भी ज़ुल्म नहीं किया जाएगा। और अगर राई के एक दाने के बराबर (भी किसी का) कर्म होगा, तो हम उसे ले आएँगे। और हम हिसाब लेने वाले काफ़ी हैं।” [सूरतुल-अंबिया : 47]
जिन लोगों का कहना हैं कि यह एक तराज़ू होगा, वे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के इस तरह के कथन को प्रमाण के रूप में प्रस्तुत करते हैं : “क़ियामत के दिन तराज़ू स्थापित किया जाएगा। यदि आकाशों और पृथ्वी को इसमें तौला जाए, तो वे उसमें समा जाएँगे। फ़रिश्ते कहेंगे : “ऐ अल्लाह, यह किसको तौलने के लिए है?' अल्लाह कहेगा : “मैं अपने बंदों में से जिसके लिए चाहूँगा।” अस-सिलसिला अस-सहीहा (941)। उन्होंने उस आयत की व्याख्या, जिसमें तराज़ू का उल्लेख बहुवचन रूप में किया गया है, यह की है कि वह तौली जाने वाली चीज़ों अर्थात् कथनों, कर्मों, पत्रों और लोगों की बहुलता को इंगित करती है। उन्होंने कहा : इसमें उन चीज़ों को संग्रह कर दिया गया है जो इसमें तौली जाती हैं।
क़ियामत के दिन शब्दों को तौलने का प्रमाण अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस है, वह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत करते हैं कि आपने फरमाया : “दो शब्द ऐसे हैं जो ज़ुबान पर हल्के, तराज़ू में भारी और रहमान के निकट सबसे प्रिय हैं : सुब्हानल्लाहिल-अज़ीम, सुब्हानल्लाहि व बि-हमदिही (पवित्र है महान अल्लाह, पवित्र है अल्लाह और सारी प्रशंसा अल्लाह की है)।" इसे बुखारी (हदीस संख्या : 6406) ने रिवायत किया है।
क़ियामत के दिन कर्मों के तौलने को दर्शाने वाला प्रमाण अबुद-दर्दा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित सहीह हदीस है, उन्होंने कहा : "मैंने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को यह कहते हुए सुना : “तराज़ू में रखी जाने वाली कोई भी चीज़ ऐसी नहीं है जो अच्छे चरित्र से अधिक भारी हो। निःसंदेह अच्छे चरित्र वाला व्यक्ति उसके कारण नमाज़ एवं रोज़े वाले व्यक्ति का दर्जा प्राप्त कर लेता है।” (सहीह सुनन तिर्मिज़ी, हदीस संख्या : 1629)
क़ियामत के दिन कर्म पत्रों को तौलने का प्रमाण बिताक़ह (कार्ड) की हदीस है, जो
अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन अल-आस से वर्णित है कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “अल्लाह मेरी उम्मत के एक आदमी को सभी प्राणियों की उपस्थिति में अलग कर देगा और उसके लिए निन्यानवे रजिस्टर फैलाएगा, प्रत्येक रजिस्टर जहाँ तक आँख देख सकती है वहाँ तक फैली हुई होगी। फिर अल्लाह कहेगा : क्या तू इसमें से किसी बात का इनकार करता है? क्या मेरे लिखनेवालों ने तुझ पर अत्याचार किया है? वह कहेगा : नहीं, मेरे रब। वह उससे पूछेगा : 'क्या तेरे पास कोई उज़्र है?' वह कहेगा : 'नहीं मेरे रब।' तो वह कहेगा : क्यों नहीं, निःसंदेह हमारे पास तेरा एक अच्छा काम है। क्योंकि आज तेरे साथ कोई अन्याय नहीं होगा।' फिर एक कार्ड (कागज़ की पर्ची) निकाला जाएगा, जिसपर लिखा होगा 'अशहदु अन ला इलाहा इल्लल्लाह व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहु (मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के अलावा कोई पूज्य नहीं, और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद उसके बंदे और उसके रसूल हैं)।' अल्लाह कहेगा : अपना वज़न (यानी रजिस्टर) लाओ।' आदमी कहेगा : 'ऐ रब, इन रजिस्टरों की तुलना में कागज की यह पर्ची क्या है?' अल्लाह कहेगा : 'तुम्हारे साथ अन्याय नहीं होगा।' फिर रजिस्टर को एक पलड़ें में रखा जाएगा और कागज़ की पर्ची को दूसरे पलड़े में रखा जाएगा। तो रजिस्टर बिखर जाएँगे (हल्के हो जाएँगे) और कागज़ भारी हो जाएगा, क्योंकि अल्लाह के नाम के साथ कोई भी चीज़ भारी नहीं होगी।” (सहीह सुनन अत-तिर्मिज़ी, 2127)
क़ियामत के दिन लोगों को तौलने का प्रमाण अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस है जिसे उन्होंने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत किया है कि आपने फरमाया : “क़ियामत के दिन एक बहुत मोटा मनुष्य आएगा, जिसका वज़न अल्लाह के यहाँ मच्छर के एक पंख के बराबर भी न होगा।” आपने फरमाया कि पढ़ो : فَلا نُقِيمُ لَهُمْ يَوْمَ الْقِيَامَةِ وَزْنًا “और क़ियामत के दिन, हम उनके लिए कोई वज़न नहीं रखेंगे।” [सूरतुल-कहफ़ : 105]। इसे बुखारी (हदीस संख्या : 4729) ने रिवायत किया है।
इसी तरह इसका सबूत अब्दुल्लाह बिन मसऊद के बारे में प्रमाणित यह तथ्य है कि वह पीलू के पेड़ से मिसवाक तोड़ रहे थे और उनकी पिंडलियाँ बहुत पतली थीं, तो हवा उन्हें उड़ाने लगी, तो लोग उसपर हंस पड़े। अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "तुम किस बात पर हँस रहे हो?" उन्होंने कहा, "ऐ अल्लाह के रसूल! उनकी पिंडली के पतलेपन से। आपने फरमाया : “उस अस्तित्व की क़सम जिसके हाथ में मेरी जान है! वे दोनों तराज़ू में उहुद पर्वत से भी अधिक भारी हैं।” इसके इस्नाद को अलबानी ने “शर्ह अत-तहाविय्यह” में हसन कहा है (हदीस संख्या : 571, पृ. 418).
हम अल्लाह तआला से दुआ करते हैं कि वह तराज़ू में हमारे वज़न को भारी कर दे।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर