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एक बच्चा अपनी माँ की निगरानी में है और उसका पिता चाहता है कि वह रात में उसके पास रहे

प्रश्न: 319587

मेरी एक महिला रिश्तेदार का उसके पति से तलाक़े-बाइन हो चुका है। वह उसे अपने बच्चों को किसी भी समय देखने की अनुमति देती है, यहाँ तक ​​कि वह रोज़ाना ही क्यों न हो। लेकिन वह उन्हें अपने पिता के साथ रात भर रहने की अनुमति नहीं देती है। जबकि वह माँग करता है कि वे उसके साथ रात भर रहें, भले ही वह सप्ताह में केवल एक दिन हो। यह ज्ञात रहे उसके बच्चे दो लड़कियाँ हैं, जिनकी उम्र दस और सात साल है। क्या वह इसकी वजह से पापी है, और इस संबंध में सर्वशक्तिमान अल्लाह की शरीयत (कानून) का उल्लंघन कर रही हैॽ

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

विद्वानों ने सर्वसम्मति से इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि पिता को अपने बच्चों की ज़ियारत करने और उन्हें देखने का अधिकार है, अगर वे अपनी माँ की निगरानी में हैं।

“अल-मौसूअह अल-फिक़्हिय्यह अल-कुवैतियह” (17/317) में  आया है :

“(माता या पिता की) निगरानी में परवरिश पाने वाले बच्चे के माता-पिता में से प्रत्येक को, यदि वे दोनों अलग हो गए हैं : उसे देखने और उसकी ज़ियारत करने (मिलने) का अधिकार है। और यह एक ऐसा मामला है जिसके बारे में फुक़हा के बीच सहमति है, लेकिन वे कुछ विवरणों में भिन्न-भिन्न राय रखते हैं।” उद्धरण समाप्त हुआ।

तथा “फतावा अल-लजनह अद-दाईमह लिल-बुहूस अल-इल्मिय्यह वल-इफ्ता” (21/205) में आया है :

“यदि पत्नी वैवाहिक घर छोड़ देती है, या पति-पत्नी के बीच, उदाहरण के लिए, तलाक़ के कारण विभाजन हो जाता है, और उनके बीच एक या एक से अधिक बच्चे हैं : तो इस्लामी शरीयत (कानून) में इस बात की अनुमति नहीं है कि उनमें से एक, दूसरे को उनके बीच बच्चे को देखने और उससे मिलने से रोक दे।

यदि बच्चा, उदाहरण के तौर पर, अपनी माँ की निगरानी में है : तो  उसके लिए यह जायज़ नहीं है कि वह उसके पिता को उसे देखने और उसके पास मिलने जाने से रोके; क्योंकि महिमावान अल्लाह ने अपने इस फरमान के द्वारा रिश्तेदारी के संबंधों को बनाए रखना अनिवार्य किया है :

 وَاعْبُدُوا اللَّهَ وَلَا تُشْرِكُوا بِهِ شَيْئًا وَبِالْوَالِدَيْنِ إِحْسَانًا وَبِذِي الْقُرْبَى  [سورة النساء : 36]

"और अल्लाह की इबादत करो और उसके साथ किसी को साझी न ठहराओ, तथा माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार करो और रिश्तेदारों के साथ (भी सद्व्यवहार करो)।" (सूरतुन-निसा : 36)

तथा हदीस में है : “जिसने एक माँ को उसके बच्चे से अलग किया, अल्लाह उसे क़ियामत के दिन उसके प्रियजनों से अलग करे देगा।”

अल-लजनह अद-दाईमह लिल-बुहूस अल-इल्मिय्यह वल-इफ्ता

बक्र अबू ज़ैद, सालेह अल-फ़ौज़ान, अब्दुल्लाह बिन ग़ुदैयान, अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह आलुश-शैख।” उद्धरण समाप्त हुआ।

यदि दोनों लड़कियों की माँ उनके पिता को उनके पास जाने की अनुमति देती है, तो उसके ऊपर जो अनिवार्य है, उसे उसने किया, और उसके लिए उन दोनों लड़कियों को उनके पिता के पास रात को रहने के लिए छोड़ना ज़रूरी नहीं है;  खासतौर पर अगर उसे इसमें खराबी और बिगाड़ का डर है, जैसे कि वह उसके बच्चों को उसपर बिगाड़ देगा, या वह उन्हें अपनी माँ के साथ न रहने पर उकसाएगा, इत्यादि।

लेकिन अगर वह इसकी अनुमति देती है, तो यह धर्मसंगत है; क्योंकि बच्चों की निगरानी उसका अधिकार है, उसके ऊपर अनिवार्य नहीं है, (यानी उसका दायित्व नहीं है)। इसलिए वह बच्चों की निगरानी में अपने कुछ अधिकारों को लड़कियों के पिता के लिए छोड़ सकती है।

शैख़ इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने कहा :

“बच्चों की निगरानी करना, निगरानी करने वाले का एक अधिकार है, वह उसके ऊपर एक अनिवार्य अधिकार (दायित्व) नहीं है।

इसके आधार पर : यदि वह उस (अघिकार) को अपने अलावा के लिए छोड़ना चाहता है, तो उसके लिए ऐसा करना जायज़ है।”

“अश-शर्हुल मुम्ते” (13/536) से उद्धरण समाप्त हुआ।

आपकी जैसी स्थिति में हमारी सलाह यह है कि : यदि पिता नेक और सदाचारी है और उससे इस बात का डर नहीं है कि वह लड़कियों को उनकी माँ पर बिगाड़ देगा, तो वह, विवाद और झगड़े को खत्म करने के लिए, उन दोनों को कभी-कभी उनके पिता के पास रात बिताने की अनुमति दे दिया करे, ताकि इसका लड़कियों पर हानिकारक प्रभाव ने पड़े।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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