क्या पति की मृत्यु पर सोग मनाने वाली महिला के लिए अपने शरीर के बालों को साफ़ करना जायज़ हैॽ
क्या पति की मृत्यु पर सोग मनाने वाली महिला अपने शरीर के बालों को साफ़ कर सकती हैॽ
प्रश्न: 323078
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जिस महिला के पति की मृत्यु हो गई है, उसके सोग मनाने का नियम
सोग मनाने का नियम : यह है कि सोग मनाने वाली महिला अपने पति की मृत्यु के बाद अपनी इद्दत की पूरी अवधि के दौरान सभी प्रकार के श्रृंगार से बचेगी।
इब्ने अब्दुल-बर्र रहिमहुल्लाह ने कहा :
“जहाँ तक सोग मनाने का संबंध है : तो महिला सभी प्रकर के श्रृंगार, जैसे कपड़े, सुगंध, आभूषण, सुर्मा और हर वह चीज़ जिसके साथ महिलाएँ सजती हैं, अपनी इद्दत की पूरी अवधि के दौरान छोड़ देगी।”
“अल-इस्तिज़कार” (18 / 217-218) से उद्धरण समाप्त हुआ।
तथा “अल-मौसूअह अल-फिक़्हिय्यह अल-कुवैतियह” (2/107) में आया है :
“सोग मनाने वाली महिला हर उस चीज़ से बचेगी, जिसे शरीयत की दृष्टि में या लोगों के रीति-रिवाज के अनुसार श्रृंगार माना जाता है, चाहे वह शरीर से संबंधित हो या कपड़े से या उसकी ओर ध्यान आकर्षित करता हो, जैसे कि उसका अपने घर से बाहर जाना, या शादी का पैग़ाम देने वालों से प्रस्ताव स्वीकार करना। सामान्यतः इस भाग्य पर सर्वसहमति है…” उद्धरण समाप्त हुआ।
श्रृंगार से बचने के अनिवार्य होने का प्रमाण; उम्मे अतिय्यह रज़ियल्लाहु अन्हा की यह हदीस है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “कोई महिला किसी मृत व्यक्ति पर तीन दिन से अधिक शोक न करे, सिवाय अपने पति पर, चार महीने और दस दिन। और (इस अवधि में) कोई रंगा हुआ कपड़ा न पहने, सिवाय असब के रंगे कपड़े के। और सुर्मा न लगाए और सुगंध न लगाए परंतु जब वह अपने मासिक धर्म से पवित्र हो, तो थोड़ी क़ुस्त या अज़फ़ार (नामक सुगंध) इस्तेमाल करे।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 5342) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 938) ने रिवायत किया है और उक्त शब्द इन्हीं के हैं।
तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पत्नी उम्मे सलमह रज़ियल्लाहु अन्हा की हदीस है, वह कहती हैं कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “वह महिला जिसके पति की मृत्यु हो गई है, वह पीले और गेरवे रंग के कपड़े न पहने, और न आभूषण पहने, न मेंहदी लगाए, और न सुर्मा लगाए।” इसे अबू दाऊद (हदीस संख्या : 2304) और नसाई (हदीस संख्या : 3535) ने रिवायत किया है और शैख अलबानी ने इर्वाउल-ग़लील” (7/205) में इसे सहीह कहा है।
सोग मनाने वाली महिला के अपने शरीर के बालों को साफ करने का हुक्म
उपर्युक्त के आधार पर, महिला के अपने शरीर के बाल हटाने के दो प्रकार हैं :
पहला : जो स्वच्छता और गंदगी को दूर करने के अध्याय से माना जाता है, तो वह निषिद्ध नहीं है, बल्कि उसका आदेश दिया गया है, जैसे कि बगल के बालों को साफ़ करना।
इब्ने क़ुदामा रहिमहुल्लाह ने कहा :
“उम्मे सलमह (रज़ियल्लाहु अन्हा) की हदीस के कारण, नाखूनों को काटकर, बग़ल (कांख) के बालों को उखाड़कर, और जिन बालों को मूँडने के लिए कहा गया है, उन्हें मूँडकर (शेव करके) सफाई-सुथराई करने से, तथा बैर के पत्ते से स्नान करने और बालों में कंघी करने से मनाही नहीं है। क्योंकि यह साफ-सफाई के उद्देश्य से किया जाता है, न कि श्रृंगार के लिए।”
“अल-मुग़नी” (11/288) से उद्धरण समाप्त हुआ।
दूसरा : जो श्रृंगार और सौंदर्यीकरण के अंतर्गत आता है, जैसे कि सौंदर्यीकरण के उद्देश्य से सिर के बाल काटना, भौंहों को समतल करना, बांहों और पैरों के बालों को साफ करना, इत्यादि, तो यह सोग मनाने वाली महिला को श्रृंगार से बचने के लिए दिए गए आदेश के विपरीत है।
खलील बिन इसह़ाक़ अल-मालिकी रहिमहुल्लाह ने कहा :
"… और वह अपने शरीर पर चूना पत्थर (बाल-सफा पॉउडर) का लेप नहीं करेगी, और जघन के बालों को साफ करने में कोई हर्ज नहीं है। इसी तरह अल-लख़मी और इब्ने यूनुस ने अशहब से उल्लेख किया है …
मालिक ने “अल-उतबिय्यह” में कहा : … उसके लिए आईने में देखने, सिंघी लगवाने, अपने नाखूनों को काटने और अपने बग़ल (कांख) के बालों को उखाड़ने में कोई हर्ज नहीं है।”
“अत-तौज़ीह़” (5/66) से उद्धरण समाप्त हुआ।
अल-ख़तीब अश-शरबीनी रहिमहुल्लाह ने कहा :
“नोट : पूर्वोक्त चीज़ों के द्वारा सोग की व्याख्या से ज्ञात हुआ कि : सिर (के बाल) धोने, नाखूनों को काटने, जघन के बालों को शेव करने, कांख (बगल) के बालों को उखाड़ने (साफ करने) और गंदगी को हटाने, भले ही यह प्रत्यक्ष हो, इनके द्वारा स्वच्छता अपनाना जायज़ है, क्योंकि यह सब श्रृंगार के शीर्षक के तहत नहीं आता है, अर्थात् जो संभोग के लिए प्रेरित नहीं करता है।
जहाँ तक सौंदर्यीकरण के रूप में बालों को साफ करने का संबंध है, जैसे कि भौंहों के आसपास के बालों या माथे के ऊपरी भाग के बालों को काटना : तो इससे वह बचेगी, जैसा कि कुछ विद्वानों ने इसपर शोध किया है, और यह स्पष्ट है।
रही बात दाढ़ी या मूँछ के बालों को हटाने की, जो कि उसके उग आए हैं : तो उन्हें हटाना सुन्नत है, जैसा कि नववी ने शर्ह मुस्लिम में कहा है।” “अल-इक़नाअ” (3/1197) से उद्धरण समाप्त हुआ।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर