जब बच्चे की क़ब्र का दौरा करते हैं, तो क्या उसे हमारा एहसास होता है और वह अपने साथ हमारी बातचीत सुनता हैॽ जबकि हम जानते हैं कि उसकी आत्मा अल्लाह के पैगंबर इब्राहीम अलैहिस्सलाम के निरीक्षण में जन्नत में एक पहाड़ पर है।
एक मृत बच्चा इब्राहीम अलैहिस्सलाम के पास कैसे होता है, जबकि उसी समय उसे उसकी क़ब्र पर जाने वाले का आभास होता हैॽ
प्रश्न: 333483
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
यह बात प्रमाणित है कि अगर कोई मुस्लिम बच्चा मर जाता है, तो वह इब्राहीम अलैहिस्सलाम के साथ एक बगीचे में होता है।
समुरह बिन जुंदुब रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अक्सर अपने साथियों से कहा करते थे : क्या तुममें से किसी ने कोई सपना देखा हैॽ वह कहते हैं : फिर अल्लाह जिसे चाहता वह आपसे अपना सपना बयान करता। एक दिन आपने कहा :
“आज रात दो लोग मेरे पास आए और मुझे जगाया …
आपने कहा : उन दोनों ने मुझसे कहा : चलो, आगे चलो। हम आगे बढ़े, तो एक हरे-भरे बाग़ में पहुँचे, जिसमें वसंत के सभी रंगों के फूल थे। उस बाग़ के बीच में एक बहुत लंबा आदमी था जिसका सिर मैं उसकी बड़ी ऊँचाई के कारण शायद ही देख सकता था। और उसके चारों ओर इतनी बड़ी संख्या में बच्चे थे जिन्हें मैंने कभी नहीं देखा। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम कहते हैं कि मैंने उन दोनों से कहा : यह क्या है और ये लोग कौन हैंॽ आप कहते हैं कि उन्होंने मुझसे कहा : चलो, आगे चलो…
आपने कहा : मैंने उन दोनों से कहा : मैंने आज रात कई अद्भुत चीज़ें देखी हैं। तो ये सब क्या है जो मैंने देखा हैॽ उन्होंने जवाब दिया : हम आपको बताएँगे …
वह लंबा आदमी जो बगीचे में दिखा था, वह इब्राहीम अलैहिस्सलाम हैं। और वे बच्चे जो उनके आस-पास हैं, तो वे बच्चे हैं जिनकी मृत्यु फितरत (शुद्ध मानव स्वभाव) की अवस्था में हुई है।” इस पर मुसलमानों में से कुछ ने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल, क्या मुश्रिकों (बहुदेववादियों) के बच्चे भी इसमें शामिल हैंॽ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा : “हाँ, मुश्रिकों के बच्चे भी (इनमें शामिल है)।”
इसे बुखारी (हदीस संख्या : 7047) ने रिवायत किया है।
दूसरी बात :
जहाँ तक मृतक के जीवित व्यक्ति द्वारा दिए गए सलाम को सुनने और उसकी क़ब्र की ज़ियारत करने वाले का आभास करने का संबंध है, तो यह एक ऐसा मुद्दा है जिसके बारे में विद्वानों के बीच मतभेद है। तथा प्रश्न संख्या : (111939) के उत्तर में यह उल्लेख किया जा चुका है कि विद्वानों के एक समूह का मत यह है कि वह हदीस सही है जो इस बात को इंगित करती है कि मृतक को जीवित व्यक्ति की ज़ियारत के बारे में पता चलता है।
बहरहाल, इस तरह के मुद्दों में बहुत गहराई में जाना और यह पता लगाने की कोशिश करना कि वह कैसे जानता है और आभास करता है, इत्यादि सही नहीं है; क्योंकि बरज़ख की दुनिया का संबंध परोक्ष (ग़ैब यानी दृष्टि से ओझल चीज़ों) की दुनिया से है, जिनके विवरणों को जानने का एकमात्र रास्ता सच्ची ख़बर अर्थात क़ुरआन और सही सुन्नत (हदीस) की सूचना है।
लेकिन यह कहा जा सकता है कि : मुसलमानों के बच्चों की आत्माएँ भले ही इब्राहीम अलैहिस्सलाम के साथ हों, पर उनका शरीर से कुछ संबंध होता है जब वह कब्र में हो। इसी तरह शहीदों और अन्य मृतकों की आत्माओं के बारे में भी कहा जा सकता है, क्योंकि आत्मा का शरीर से कोई न कोई संबंध होता है।
शैखुल-इस्लाम इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह ने कहा : “ईमान वालों की आत्माएँ, भले ही वे जन्नत में हों; परंतु जब अल्लाह चाहे तो उनका, किसी लंबे समय के बिना, शरीर से संबंध होता है, जैसे फ़रिश्ते पलक झपकने में उतरते हैं।
मालिक रहिमहुल्लाह ने कहा : मुझे यह बात पहुँची है कि आत्मा स्वतंत्र है, वह जहाँ भी चाहती है, जाती है।
इसीलिए यह वर्णन किया गया है कि वह क़ब्रगाहों में है, और वह जन्नत में है; और यह सब सच है।
तथा सहीह हदीसों में है कि : आत्मा को मृत्यु के बाद शरीर में लौटा दिया जाता है, और उससे पूछताछ किया जाता है और वह जवाब देती है; तो यह बिना किसी शक के शरीर से जुड़ी होती है। और अल्लाह ही सबसे अच्छा ज्ञान रखता है …”
“मुख्तसरुल फतावा अल-मिस्रिय्यह” (190) से उद्धरण समाप्त हुआ।
और अल्लाह ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर