क्या भारत में किसी एटीएम सेवा प्रदाता को किराए पर संपत्ति देना जायज़ हैॽ ज्ञात रहे कि एटीएम सेवा प्रदाता बैंक नहीं है।
बैंक के लिए एटीएम लगाने के लिए जगह (दुकान) किराए पर देने का क्या हुक्म हैॽ
प्रश्न: 358038
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प्रथम :
सूदी बैंक को टेलर मशीन स्थापित करने के लिए जगह (दुकान) किराए पर देना
किसी सूदी बैंक को एटीएम मशीन स्थापित करने के लिए दुकान किराए पर देना जायज़ नहीं है। क्योंकि इसमें ब्याज-आधारित बैंक के साथ व्यवहार करने का प्रोत्साहन देना और मदद करना पाया जाता है। इसलिए कि बहुत से लोग बैंक का चुनाव उस बैंक से संबंधित टेलर मशीनों की उपलब्धता के आधार पर करते हैं, और अल्लाह सर्वशक्तिमान का फरमान है :
وَتَعَاوَنُوا عَلَى الْبِرِّ وَالتَّقْوَى وَلا تَعَاوَنُوا عَلَى الْإثْمِ وَالْعُدْوَانِ وَاتَّقُوا اللَّهَ إِنَّ اللَّهَ شَدِيدُ الْعِقَابِ المائدة : 2
"नेकी और तक़्वा (परहेज़गारी) के कामों में एक-दूसरे का सहयोग किया करो तथा पाप और अत्याचार में एक-दूसरे का सहयोग न करो, और अल्लाह से डरो। निःसंदेह अल्लाह कड़ी यातना देने वाला है।" (सूरतुल मायदा : 2)
तथा मुस्लिम (हदीस संख्या : 1598) ने जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने सूद खाने वाले पर और सूद खिलाने वाले पर और सूद लिखने वाले पर और सूद के गवाहों पर ला’नत (धिक्कार) भेजी है। और फरमाया : वे सब (पाप में) बराबर हैं।”
नववी रहिमहुल्लाह ने कहा : “यह दो सूद का लेन-देन करने वालों के बीच विक्रय के अनुबंध को लिखने और उन दोनों पर गवाह बनने को निषिद्ध ठहराने का स्पष्ट वर्णन है। तथा इसमें असत्य और झूठ में सहयोग करने को निषिद्ध (हराम) ठहराया गया है।” “शर्ह मुस्लिम” (11/26) से उद्धरण समाप्त हुआ।
दूसरा :
ऐसा टेलर मशीन लगाने के लिए दुकान किराए पर देना जो किसी विशिष्ट बैंक से संबंधित नहीं है
यदि एटीएम सेवा प्रदाता किसी सूदी बैंक का एटीएम स्थापित करेगा, तो उसका हुक्म वही है जो ऊपर वर्णित है, उसे जगह (दुकान) किराए पर देना जायज़ नहीं है।
लेकिन यदि वह एक ऐसा एटीएम लगाता है जो किसी निर्धारित बैंक के साथ विशिष्ट नहीं है, और उस देश में कुछ इस्लामी बैंक हैं, और कुछ अन्य सूदी बैंक हैं : तो उसे जगह (दुकान) किराए पर देने में कोई हर्ज नहीं है।
यदि देश में केवल ब्याज-आधारित बैंक हैं, तो उसे किराए पर देना जायज़ नहीं है। क्योंकि ये एटीएम मशीनें – जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है – बैंकों में खाता खोलने और उनके साथ व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित करती और सुविधा प्रदान करती हैं। इस तरह दुकान का मालिक उसपर मदद करने वाला होगा।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर