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रोज़े के स्तंभ

प्रश्न: 38927

हर प्रकार की प्रशंसा औऱ गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

धर्म शास्त्रियों (फ़ुक़हा) की इस बात पर सर्व सहमति है कि फ़ज्र सादिक़ (सच्ची सुबह) के उदय होने से लेकर सूर्यास्त तक रोज़ा तोड़नेवाली चीज़ों से रुक जाना (परहेज़ करना), रोज़े के अर्कान (स्तंभों) में से एक रुक्न (स्तंभ) है।

जबकि नीयत (इरादे) के बारे में उन्हों ने मतभेद किया है : चुनाँचे हनफिया और हनाबिला इस बात की ओर गए हैं कि यह रोज़े के शुद्ध होने के लिए एक शर्त है।

तथा मालिकिय्या और शाफेइय्या इस मत की ओर गए हैं कि यह एक स्तंभ है जिसे इमसाक (यानी रोज़ा तोड़नेवाली चीज़ों से रुक जाने) से जोड़ा जाना चाहिए।

चाहे नीयत (इरादे) को एक रुक्न (स्तंभ) माना जाए या एक शर्त, रोज़ा – अन्य पूजा कार्यों के समान – रोज़ा तोड़नेवाली चीज़ों से परहेज़ करने के साथ-साथ नीयत के बिना शुद्ध नहीं हो सकता।

[अल-बह्र अर्राइक़ 2/276, मवाहिबुल जलील 2/378, निहायतुल मुहताज 3/149, नैलुल मआरिब शर्हो दलीलिल मतालिब 1/274].

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

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