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क्या पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इंजील में उल्लेख हुआ है?

प्रश्न: 44018

आप से अनुरोध है कि मुझे सूचित करें कि इंजील में पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का उल्लेख कहाँ पर हुआ है? और क्या आप के नाम का वर्णन हुआ है या उस का कोई संकेत है? और वो कौन सी किताबें है जिन्हें मैं इस मस्अला को सिद्ध करने के लिए इस्तेमाल कर सकता हूँ, और क्या ईसाई लेखकों और अनुवादको ने इस को परिवर्तित कर दिया है ?

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

अल्ला तआला अपनी किताब में फरमाता है : "और (याद करो उस समय को) जब मरियम के पुत्र ईसा अलैहिस्सलाम ने कहा, हे (मेरे समुदाय) इस्राईल की औलाद! मैं तुम्हारी ओर अल्लाह का पैग़म्बर हूँ, अपने से पूर्व ग्रन्थ तौरात की पुष्टि करने वाला हूँ और एक पैग़म्बर की शुभ सूचना देने वाला हूँ जो मेरे पश्चात आए गा जिसका नाम अहमद है। फिर जब वह उनके पास स्पष्ट प्रमाण लाए तो यह कहने लगे कि यह तो खुला जादू है।" (सूरतुस्सफ: 6)

तथा अल्लाह तआलाने एक दूसरे स्थान पर फरमाया : "जो लोग ऐसे उम्मी (जो पढ़ना-लिखना नहीं जानते थे) नबी (पैग़म्बर) की पैरवी (अनुसरण) करते हैं जिन को वह लोग अपने पास तौरात व इन्जील में लिखा हुआ पाते हैं। वह उनको अच्छी (नेक) बातों का आदेश देते हैं और बुरी बातों से मनाही करते हैं और पवित्र चीज़ों को हलाल (वैद्व) बताते हैं और अपवित्र चीज़ों को उन पर हराम (अवैद्व, वर्जित) बताते हैं, और उन लोगों पर जो बोझ और तौक़ थे उनको दूर करते हैं। सो जो लोग उस पैग़म्बर पर ईमान लाते हैं और उनका सहयोग करते हैं और उनकी सहायता करते हैं और उस नूर (प्रकाश अर्थात् क़ुर्आन करीम) की पैरवी करते हैं जो उनके साथ भेजा गया है, ऐसे लोग सफलता पाने वाले हैं।" (सूरतुल-आराफ:157)

ये दोनों आयतें इस बात पर तर्क हैं कि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का तौरात और इंजील में उल्लेख मौजूद है, यहूदी और ईसाई इसके उल्लेख न होने का कितना भी दावा करें, परन्तु अल्लाह का वक्तव्य सब से अच्छा और उसकी बात सब से सच्ची है।

पिछली पुस्तकों (धर्मग्रंथों) में पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के बारे में वर्णित बातें निम्नलिखित हैं :

प्रथम

:

तौरात के अध्याय व्यवस्था विवरण 18 :18-19 में आया है कि "हे मूसा! मैं बनी इस्राईल के लिए उनके भाईयों ही में से तेरे समान एक नबी बनाऊँगा और अपने वचन (आदेश) को उसके मुँह में रख दूँगा। और वह उन से वही बात कहेगा जिस का मैं उसे आदेश दूँगा। जो आदमी उस नबी की बात नहीं माने गा जो मेरे नाम पर बोले गा तो मैं उस से और उसके क़बीले से इंतिक़ाम लूँगा।" ये शब्द आज तक उन की किताबों में मौजूद हैं, और उनके कथन "उनके भाईयों में से" यदि इस से अभिप्राय यह होता कि उन्हीं में से अर्थात् बनी इस्राईल में से होता तो वह इस प्रकार कहते कि: मैं उन्हीं में से उन के लिए एक नबी खड़ा करूँगा, जबकि उनके भाईयों में से कहा हैं जिसका मतलब है कि इसमाईल के बेटों में से।

दूसरा :

यूहन्ना की इंजील 16:7-8, 12-13 में आया है कि : "तुम्हारे लिए भला है कि मैं चला जाऊँ, क्योंकि यदि मैं न जाऊँ तो सहायक (फारक़लीत) तुम्हारे पास नहीं आयेगा। किन्तु यदि मैं चला जाता हूँ तो मैं उसे तुम्हारे लिए भेज दूँगा। और जब वह आये गा तो पाप … के विषय में जगत के संदेह दूर करेगा।

मुझे अभी तुम से बहुत सी बातें करनी हैं किन्तु तुम अभी उन्हें सह नहीं सकते। किन्तु जब सत्य का आत्मा आयेगा तो वह तुम्हें पूर्ण सत्य की राह दिखाये गा; क्योंकि वह अपनी ओर से कुछ नहीं कहेगा। वह जो कुछ सुने गा वही बताये गा। और जो कुछ होने वाला है उसे प्रकट करेगा।"

यह कथन पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के अलावा किसी और पर लागू नहीं होता है।

तीसरा :

इब्ने क़ैयिम रहिमहुल्लाह कहते हैं : "तौरात की पाँचवी किताब (व्यवस्था विवरण 33:2) में वर्णन हुआ है: "परमेश्वर (यहोवा) सीनै से आया, यहोवा सेईर पर प्रात: कालीन प्रकाश सा था। वह पारान पर्वत से ज्योतित-प्रकाश सम थ। यहोवा दस सहस्त्र (हज़ार) पवित्र लोगों के साथ आया। उसकी दायीं ओर बलिष्ठ सैनिक थे।"

इस में तीन नुबुव्वतों (ईश्दूतत्वों) का उल्लेख किया गया है : मूसा की नुबुव्वत (ईश्दूतत्व), ईसा की नुबुव्वत, और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नुबुव्वत। चुनाँचि उसका सीनै से आना : जो कि वह पहाड़ है जिस पर अल्लाह तआला ने मूसा अलैहिस्सलाम से बात चीत किया, और उसका उस पर प्रकट होना आप की नुबुव्वत की खबर देना है, और सेईर से उसका प्रकट होना बैतुल मक्दिस से मसीह अलैहिस्सलाम के उदय को दर्शाता है। "सेईर" आज भी वहाँ एक प्रसिद्ध गाँव है, और यह मसीह (यीशु) के ईश्दूतत्व की शुभ सूचना है।

तथा "पारान" मक्का को दर्शाता है। अल्लाह सुब्हानहु व तआला ने मूसा अलैहिस्सलाम के ईश्दूतत्व को सुबह के उदय होने के समान, और उसके बाद ईसा मसीह अलैहिस्सलाम की नुबुव्वत को सुबह के चमकने और रौशन होने के समान, और अंतिम ईश्दूत (मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के ईश्दूतत्व को सूरज के बुलन्द होने और चारों तरफ उसकी रौशनी के फैलने के समान क़रार दिया है, और यह बिल्कुल उसी तरह घटित हुआ जिस तरह कि सूचना दी गई थी। चुनाँचि अल्लाह सुब्हानहु व तआला ने मूसा अलैहिस्सलाम की नुबुव्वत के द्वारा कुफ्र की रात को फाड़ दिया और उसके प्रभात को उनकी नुबुव्वत से रौशन कर दिया, औ मसीह अलैहिस्सलाम की नुबुव्वत से वह रौशनी और चमक बढ़ गई, और फिर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नुबुव्वत से वह रौशनी परिपूर्ण हो गई और पूरी धरती उस से जगमगा उठी।

जिन तीन नुबुव्वतें का वर्णन इस खुश्खबरी में हुआ है, उसी के समान इनका उल्लेख सूरतुत्तीन के शुरू में हुआ है : "क़सम है अंजीर की और ज़ैतून की। और सीनै के तूर पर्वत की। और इस शान्ति (सुरक्षा) वाले नगर की।" (सूरतुत्तीन :1-3)(देखिए : हिदायतुल हयारा पृ॰ :110, और इमाम इब्ने क़ैयिम ने जो उल्लेख किया है वह पुराना नियम, व्यवस्था विवरण 33:1 में है।)

चौथा :

शैख अब्दुल मजीद ज़िन्दानी ने अपनी किताब (पिछली आसमानी ग्रन्थों में मुहम्मद सल्ल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की शुभसूचनायें) में उल्लेख किया है कि बर्नाबा की इंजील (Gospel of Barnabas) अध्याय 22 में वर्णन हुआ है कि : "यह अल्लाह के पैग़ंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल्म के आने तक जारी रहेगा, जब वह आ जायेंगे तो अल्लाह की शरीअत पर विश्वास करने वालों के लिए इस घोखे को बेनक़ाब करेंगे।"

और यशायाह की पुस्तक में है लिखा है कि : "हे मुहम्मद, मैं ने आप का नाम मुहम्मद बना दिया है, ऐ परमेश्वर के प्रेमी आप का नाम हमेशा से विद्यमान है।"

तथा यशायाह की पुस्तक में उल्लेख हुआ है : "जो कुछ मैं ने उसे प्रदान किया है, किसी अन्य को प्रदान नहीं करूँगा, वह अहमद है, क्योंकि वह अल्लाह की नित नई प्रशंसा करता है जो धरती के सब से श्रेष्ठ जगह से आती है, उसके आने से मानवजाति को खुशी प्राप्त होगी, और वे हर उच्च सथान पर अल्लाह की एकता का गुणगान करेंगे, और हर टीले पर अल्लाह की महिमा का वर्णन करेंगे।"

विद्वानों ने कई एक स्थानों का वर्णन किया है जहाँ नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के नाम का उल्लेख हुआ है, कहीं तो तो स्पष्ट रूप से आप के नाम का उल्लेख हुआ है और कहीं पर ऐसे गुणविशेषण का उल्लेख हुआ है जो केवल आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर ही लागू होते हैं।

आप निम्नलिखित लिंक पर इसके अनेक सबूत देख सकते हैं :

http://arabic.islamicweb.com/christianity/

यह बात आप को मालून होनी चाहिए कि तौरात और इंजील की जो पुस्तकें आज मौजूद हैं उन में संशोधन और परिवर्तन किया गया है, गैरमुस्लिम इतिहासकारों ने इस तथ्य का उल्लेख किया है, लेकिन इस के उपरान्त अभी भी हम तौरात और इंजील में अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल्म के आगमन की शुभसूचना मौजूद पाते हैं। शैख रहमतुल्लाह हिन्दी (भारतीय) ने वर्णन किया है कि ईसाईयों को जब भी किसी स्थान पर हेरफेर करने का अवसर मिला है उन्हों उस में हेरफेर किया है, इसीलिए आप देखें गे कि कुछ प्राचीन विद्वानों ने तौरात और इंजील में ऐसी जगहों का उल्लेख किया है जो अब मौजूद नहीं हैं, किन्तु अब भी कुछ अन्य ऐसे स्थान हैं जो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल्म की नुबुव्वत (ईश्दूतत्व) और आप के आगमन की खुश्खबरी देते हैं।

ज्ञात होना चाहिए कि आदमी के लिए ईसाईयों से बहस करते समय पर्याप्त विशुद्ध ज्ञान से सुसज्जित होना आवश्वयक है, भले ही उनके पास कोई सबूत नहीं है, परन्तु वे लोगों के दिलों में संदेह की बीज बोने का प्रयास करते हैं, ताकि लोग उन सन्देहों के सामने अपने आप को समर्पित कर दें, और सत्य छुप जाए। लेकिन अल्लाह तआला अपने नूर (प्रकाश) को परिपूर्ण करने वाला है, भले ही काफिरों (अविश्वासियों) को बुरा लगे।

इस संदर्भ में लाभदायक किताबों में से शैख रहमतुल्लाह हिन्दी की किताब "इज़्हारुल हक़", इब्नुल क़ैयिम की किताब "हिदायतुल हयारा" और इस से पूर्व इब्ने तैमिय्या की किताब "अल-जवाबुस्स्हीह" है।

और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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