जो कंप्यूटर प्रोग्राम मैंने नहीं खरीदे हैं, उनकी कॉपी करने (प्रतिलिपि बनाने) का क्या हुक्म हैॽ
कंप्यूटर प्रोग्राम को कॉपी करने का हुक्म
प्रश्न: 454
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
शैख़ अब्दुल अज़ीज़ बिन बाज़ की अध्यक्षता में इफ्ता की स्थायी समिति ने इस प्रश्न का यह उत्तर दिया :
उन प्रोग्राम की प्रतिलिपि बनाना जायज़ नहीं है, जिनके मालिक अपनी अनुमति के बिना उनकी प्रतिलिपि बनाने से रोकते हैं। क्योंकि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : “मुसलमान अपनी शर्तों पर (क़ायम) हैं।”
तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “किसी मुसलमान की संपत्ति उसकी अनुमति के बिना (दूसरे के लिए) हलाल नहीं है।”
तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “जिस व्यक्ति ने किसी मुबाह (अनुमेय) की ओर पहल किया, वह उसका अधिक हक़दार है।” चाहे इन प्रोग्रामों का मालिक मुसलमान हो या गैर-हर्बी काफिर हो। क्योंकि एक गैर-हरबी काफिर (जो मुसलमानों से युद्ध नहीं कर रहा हैं) के अधिकार का सम्मान एक मुसलमान के अधिकार के समान किया जाता है। और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है। (फतावा स्थायी समिति, संख्या : 18453).
इस मुद्दे के संबंध में हमें शैख मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन से निम्नलिखित उत्तर प्राप्त हुआ :
इसके विषय में उसका पालन किया जाएगा जो लोगों के बीच प्रथागत है, सिवाय इसके कि कोई व्यक्ति उसे अपने लिए कॉपी करना चाहता है और जिसने उसे सबसे पहले लिखा है, उसने निजी और सार्वजनिक उपयोग के लिए प्रतिलिपि बनाने पर स्पष्ट रूप से रोक नहीं लगाई है, तो मुझे आशा है कि इसमें कोई हर्ज नहीं है। लेकिन अगर इसे सर्व प्रथम लिखने वाले व्यक्ति ने स्पष्ट रूप से निजी और सार्वजनिक उपयोग के लिए प्रतिलिपि बनाने को प्रतिबंधित (निषिद्ध) किया है, तो इसकी बिल्कुल भी अनुमति नहीं है।
स्रोत:
फतावा अल-लजनह संख्या : 18453 - शैख मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन