मैं चीन की रहने वाली एक युवति हूँ, मैं ने लबनान के रहने वाले एक मुसलमान आदमी से शादी कर ली है और मेरे इस्लाम स्वीकार करने का प्रथम और प्रमुख कारण भी यही है.. हम ने इस्लामी परंपरा के अनुसार शादी की है, लेकिन कुछ कठिन परिस्थितियों के कारण यह शादी हमारे परिवार वालों की जानकारी के बिना संपन्न हुइ थी। क्या आप यह समझते हैं कि यह हराम है? मेरा मतलब है कि क्या इस शादी में क़ुरआन का उल्लंघन पाया जाता हैॽ
यदि आप के परिवार वाले युवा के मुस्लिम होने के कारण इस शादी का विरोध करते हैं और वे किसी ग़ैर मुस्लिम से आप की शादी करना चाहते हैं तो उनकी आज्ञा का पालन करना आप के लिए अनिवार्य नहीं है, तथा आप उन की सहमति के बिना ही इस मुस्लिम युवा से शादी कर सकती हैं।
आप को चाहिए कि उन्हें नरमी के साथ इस शादी से आश्वस्त करने की कोशिश करें और उन्हें बताएं कि आपका धर्म आप के लिए किसी ग़ैर मुस्लिम से शादी करने की किसी भी स्थिति में अनुमति नहीं देता है।
यदि वे इस शादी का विरोध उस व्यक्ति के कुछ व्यवहारों या उसके कार्यों या कुछ अन्य बातों से अपनी असहमति की वजह से कर रहे हैं जिस का संबंध उसके धर्म से नहीं है, तो आप के लिए अधिक उचित यह है कि शादी के लिए कोई दूसरा पति तलाश करें जिस से आप सभी लोग सहमत और संतुष्ट हों। क्योंकि यह उनके साथ भलाई के साथ निर्वाह करने के अध्याय से है जिस का मुसलमान को अपने ग़ैर मुस्लिम माता पिता के साथ आदेश दिया गया है। जैसा कि अल्लाह तआला ने फरमाया :
( وَصَاحِبْهُمَا فِي الدُّنْيَا مَعْرُوفًا )
‘‘और दुनिया में उन दोनों के साथ भले तरीके से रहना।’’
इमाम तबरी कहते हैं : ‘‘दुनिया में माता पिता के आदेश का पालन करो जिसमें आप के लिए आप के और आप के पालनहार के बीच कोई नुक़सान न हो, और न ही वह पाप का काम हो।’’
“जामेउल बयान” (18/553) से समाप्त हुआ।
इब्ने आशूर कहते हैं : ‘‘मारूफ़ का मतलब हैः परंपरागत और परिचित चीज़ जिसका इनकार न किया जाए, इस प्रकार मारूफ अच्छी चीज़ हुई। अर्थात अपने माता पिता के साथ अच्छी तरह से रहो।” समाप्त हुआ। “अत-तह्रीर वत-तन्वीर” (21/161).
इसमें कोई शक नहीं कि यह नरमी का रवैया अपनाने, सलाह व मश्वरा करने और आदर व सत्कार करेन को शामिल है।
यदि आप लोगों के बीच किसी मुस्लिम व्यक्ति पर सहमति दुर्लभ हो जाए, तो इस स्थिति में फैसला केवल आपके हाथ में है, उन लोगों का इस मामले में आपके ऊपर कोई अधिकार (सत्ता) नहीं है; क्योंकि शादी तथा अन्य चीज़ों में मुस्लिम महिला पर एक ग़ैर मुस्लिम का कोई सत्ता (सरपरस्ती व अभिभावकता) प्राप्त नहीं है।
सभी परिस्थितियों में, आप के निकाह की सरपरस्ती आप के रिश्तेदारों में से किसी मुस्लिम व्यक्ति द्वारा होनी चाहिए, यदि ऐसा कोई व्यक्ति न पाया जाए तो आप का निकाह इस्लामी केंद्र का निदेशक अथवा मस्जिद का इमाम करवाएगा।
और अल्लाह ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।