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 वह दीन को गाली देता है तो क्या उसके संग रहा जा सकता है ॽ तथा उसके साथ कैसे व्यवहार करेगा ॽ

प्रश्न: 65551

मेरे संग एक साथी रहता है जो दीन को गाली देता है, और रमज़ान के महीने में मुझे बुरी बात (दुर्वचन) सुनाता है, मैं उसके साथ कैसे व्यवहार करूँ ॽ वह हमेशा मेरे साथ रहता है और बार बार मेरे सामने दुर्वचन करता और गाली बकता है।

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

हर प्रकारकी प्रशंसा औरस्तुति केवल अल्लाहके लिए योग्य है।

अल्लाहसर्वशक्तिमानया धर्म को गालीदेना (बुरा भलाकहना, अपमान करना)महा पाप है जो धर्मसे निष्कासित करदेता है,अल्लाह तआला नेफरमाया :

قُلْأَبِاللّهِ وَآيَاتِهِ وَرَسُولِهِ كُنتُمْ تَسْتَهْزِؤُونَ لاَ تَعْتَذِرُواْ قَدْكَفَرْتُم بَعْدَ إِيمَانِكُمْ [التوبة : 65-66]

“आप कह दीजिए,क्या तुम अल्लाह,उसकी आयतों औरउस के रसूल का मज़ाक़उड़ाते थे ॽअब बहानेन बनाओ,निःसन्देहतुम ईमान के बाद(फिर) काफिर हो गए।”(सूरतुत्तौबाः65-66)

आपकेऊपर अनिवार्य यहहै कि इस गाली देनेवाले को नसीहतकरें, उसे समझायेंऔर इस बात से डरायेंकि उसके नेक कार्यनष्ट हो गए, और उसने- यदि तौबा नहींकिया – तो अल्लाहतआला से बड़े कुफ्रके साथ मिलेगा।

तथाउसे इस बात से अवगतकरा दें कि दुनियामें उसकी सज़ा जिसकावह अधिकृत है वहक़त्ल है।नबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमने फरमाया : “जो व्यक्तिअपने धर्म को बदलदे उसे क़त्ल करदो।” इसे बुखारी(हदीस संख्या :3017) ने रिवायत कियाहै।

तथाआप उसे बतायेंकि उसके लिए इस्लामकी ओर वापस लौटनाअनिवार्य है औरयह कि यदि वह इस्लाममें वापस आ जाताहै और तौबा (पश्चाताप)कर लेता है तो अल्लहतआला उसकी तौबाको स्वीकार करलेगा।

यदिवह इस बात को मानलेता है तो उसनेअच्छा किया,और यदि उसनेइसे नकार दियातो आपके लिए उसकेसाथ रहना जाइज़नहीं है जबकि वहदीन को गाली देरहा है।

तथाशैख इब्ने उसैमीनरहिमहुल्लाह सेऐसे लोगों के बीचरहने के बारे मेंप्रश्न किया गयाजो अल्लाह सर्वशक्तिमानको गाली देते हैं।

तो उन्होंने उत्तर दिया:

“ऐसे लोगोंके बीच रहना जाइज़नहीं है जो अल्लाहसर्वशक्तिमानको गाली देते हैं,क्योंकिअल्लाह तआला काफरमान है :

وَقَدْ نَزَّلَ عَلَيْكُمْفِي الْكِتَابِ أَنْ إِذَا سَمِعْتُمْ آَيَاتِ اللَّهِ يُكْفَرُ بِهَا وَيُسْتَهْزَأُبِهَا فَلا تَقْعُدُوا مَعَهُمْ حَتَّى يَخُوضُوا فِي حَدِيثٍ غَيْرِهِ إِنَّكُمْ إِذًامِثْلُهُمْ إِنَّ اللَّهَ جَامِعُ الْمُنَافِقِينَ وَالْكَافِرِينَ فِي جَهَنَّمَ جَمِيعًا [النساء:140]

“और अल्लाहतआला ने तुम परअपनी किताब (पवित्रक़ुरआन) में यह हुक्मउतारा है कि जबतुम अल्लाह कीआयतों के साथ कुफ्र(इंकार) और मज़ाकहोते सुनो तो उनकेसाथ उस सभा मेंन बैठो,जबतक कि वे दूसरीबात में न लग जायें,क्योंकि इस स्थितिमें तुम उन्हींके समान होगे,बेशक अल्लाहतआला मुनाफिक़ों(पाखंडियों) औरकाफिरों (नास्तिकों)को जहन्नम मेंइकट्ठा करने वालाहै।” (सूरतुन निसा: 140)और अल्लाहतआलम ही तौफीक़देने वाला है।”अंत हुआ।

“मजमूओ फतावाशैख इब्ने उसैमीन” (2/प्रश्नसंख्या : 238).

इस बातको जान लें कि बुरेलोगों की संगतसे बुराई ही जन्मलेती है,अतः अपने आपकोउस से बचाने केलालायित बनें,नबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमने बुराई वालेकी उपमा धौंकनीफूँकने वाले व्यक्तिसे दी है,वह या तो आपकेकपड़े को जला देगाऔर या तो आप उससेदुर्गंध पायेंगे।

अबूमूसा रज़ियल्लाहुअन्हु से वर्णितहै कि उन्हों नेनबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमसे रिवायत कियाकि आप ने फरमाया: “अच्छे साथीऔर बुरे साथी काउादाहरण कस्तूरी(सुगंध) वाहक औरलोहार कीभट्टी धौंकने वालेके समान है,कस्तूरी(सुगंध) का वाहकया तो आपको भेंटकर देगा,और या तो आपउस से खरीद लेंगे,और या तोआप उससे अच्छीसुगंध पायेगें,रही बात लोहारकी भट्टी धौंकनेवाले की, तो या तोवह आपके कपड़े जलादेगा,और यातो आपको उससे दुर्गंधमिलेगी। इसे बुखारी(हदीस संख्या :5543) और मुस्लिम (हदीससंख्या : 2628) ने रिवायतकिया है।

इमामनववी रहिमहुल्लाहने फरमाया :

“इस हदीस मेंनबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमने अच्छे साथीका उदाहरण कस्तूरीके वाहक से और बुरेसाथी का उदाहरणलोहार कीभट्टी धौंकने वालेसे दी है, इसके अंदरपुनीत व सदाचारीलोगों,भलाई,मुरूवत,शिष्टाचार,अच्छी नैतिकता,धर्मपरायणता,ज्ञान औरसभ्यता वालों केसाथ बैठने की प्रतिष्ठा,तथा बुराईवालों,बिदअतों (नवाचार)वालों, लोगों कीचुगली (पिशुनता)करने वालों याजिस व्यक्ति कीबुराई और निरर्थकताबाहुल्य है औरइनके समान अन्यबुरे प्रकार केलोगों साथ बैठनेका निषेद्ध है।”अंत

शरहमुस्लिम (16/178).

सरांश : यह किआप के ऊपर अनिवार्यहै कि अपने साथरहने वाले इस व्यक्तिको नसीहत करें,वह दीन कोगाली देने के कारणमहा कुफ्र मेंपड़ गया, और जब उसनेआपको गाली दी तोएक महा पाप किया,यदि वह आपकी नसीहतको स्वीकार करले और अपने आपकोसुधार ले तो आपउसके साथ बाक़ीरहें और उसकी उसकेऊपर सहायता करें,और यदि वहआपकी बात को स्वीकारन करे तो उसके साथरहने में आपकेलिए कोई भलाई नहींहै।

और अल्लाहतआला ही सर्वश्रेष्ठज्ञान रखता है।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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