इस हदीस को दैलमी ने 'मुसनद अल-फ़िरदौस' में इन शब्दों के साथ रिवायत किया है : "शादी का प्रदर्शन करो और मंगनी को छुपाओ।" यह एक ज़ईफ़ (कमज़ोर) हदीस है जिसे अल्बानी रहिमहुल्लाह ने अस-सिलसिला अज़-ज़ईफ़ा (हदीस संख्या : 2494) में और ज़ईफ़ुल जामेउस सगीर (हदीस संख्या : 922) में ज़ईफ़ कहा है।
लेकिन उसका पहला वाक्य (घोषणा करो) के शब्द के साथ सही है।
इमाम अहमद ने अब्दुल्लाह बिन जुबैर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "निकाह का एलान करो।" इस हदीस को अल्बानी ने इरवाउल-ग़लील (हदीस संख्या : 1993) में हसन कहा है।
निकाह का एलान कना, उसपर गवाह रखने के अर्थ में, विद्वानों की बहुमत के निकट अनिवार्य है, बल्कि वह निकाह के सही होने की शर्तों में से एक शर्त है। क्योंकि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया है : "एक वली (अभिभावक) और अच्छे चरित्र के दो गवाहों के बिना कोई निकाह नहीं है।" इसे बैहक़ी ने इमरान और आयआश रज़ियल्लाहु अन्हुमा की हदीस से रिवायत किया है, और अल्बानी ने सहीहुल-जामे (हदीस संख्या : 7557) में इसे सहीह कहा है।
कुछ विद्वानों ने हसद करने वालों के डर से मंगनी को छुपाने को मुस्तहब समझा है, जो उस आदमी के बीच और उसके मंगेतर के परिवार के बीच बिगाड़ पैदा करने का प्रयास करते हैं। जैसा कि ''हाशियतुल-अदवी अला शर्ह मुख्तसर खलील (3/167)'' में कहा गया है।
इसका साक्षी पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का यह फरमान है : "गुप्त रखकर अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद लो, क्योंकि हर नेमत वाले व्यक्ति से ईर्ष्या की जाती है।" इसे तबरानी ने रिवायत किया है और अल्बानी ने सहीहुल-जामे (हदीस संख्या : 943) में सहीह कहा है।
यह केवल मंगनी के लिए विशिष्ट नहीं है, बल्कि आदमी को चाहिए कि वह अल्लाह की किसी भी नेमत को ऐसे व्यक्ति के सामने न प्रकट करे जो उससे उसपर ईर्ष्या करता है।
जहाँ तक मंगनी के लिए पार्टी आयोजित करने का संबंध है, तो यह उन मामलों में से है जो बहुत से लोग करते हैं, और इन शा अल्लाह इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है।
लेकिन यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि इन पार्टियों में शरीयत द्वारा निर्धारित सीमाओं का पालन करना चाहिए। इसलिए इसमें पुरुषों और महिलाओं का मिश्रण नहीं होना चाहिए, या डफ (दुफ्फ) के अलावा संगीत वाद्ययंत्रों का उपयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने शादियों में इसके उपयोग की अनुमति दी है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।