एक सदाचारिणी पत्नी की विशेषताएं क्या हैं और हमें ऐसी पत्नी से शादी क्यों करनी चाहिएॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
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प्रश्न: 71225
एक सदाचारिणी पत्नी की विशेषताएं क्या हैं और हमें ऐसी पत्नी से शादी क्यों करनी चाहिएॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
चूंकि दुनिया आखिरत के लिए एक पड़ाव है, जिसमें आदमी का परीक्षण किया जाता है ताकि उसके कार्यों को देखा जाए फिर उनपर उसे प्रलय के दिन बदला दिया जाए, इसलिए एक बुद्धिमान मुसलमान के लिए ज़रूरी है कि वह अपनी दुनिया में हर उस चीज़ को तलाश करे जो उसके लिए परलोक में सौभाग्य प्राप्त करने में सहायक हो। सबसे महत्वपूर्ण सहायक और सबसे बेहतर मददगार अच्छा साथी है, जो उस मुस्लिम समाज से शुरू होता है जिसमें वह रहता है, और फिर एक संयमी दोस्त के चयन से होता है जैसाकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने आदेश दिया हैः “तुम किसी मोमिन ही को दोस्त रखो।” इसे अबू दाऊद (हदीस संख्या : 4832) ने रिवायत किया है और अल्बानी ने सहीहुल जामे में इसे हसन कहा है।
फिर इसका अंत एक अच्छी पत्नी के चयन पर होता है, जिसके बारे में यह जाना जाता है कि वह अल्लाह सर्वशक्तिमान के पास स्वर्ग में अनन्त सौभाग्य (खुशी) के लिए सबसे अच्छा साथी और सहायक होगी।
पत्नी की अच्छाई (सदाचार) का जीवन के सभी पहलुओं में प्रदर्शन होना ज़रूरी है :
चुनाँचे उसके बारे में यह समझा जाता है वह पति की उपस्थिति और अनुपस्थिति में अपनी और अपने सतीत्व की हर छोटी और बड़ी चाज़ में रक्षा करेगी।
अल्लाह सर्वशक्तिमान का फरमान है :
فالصَّالِحَاتُ قَانِتَاتٌ حَافِظَاتٌ لِّلْغَيْبِ بِمَا حَفِظَ اللّهُ
النساء : 34
“चुनांचे नेक पत्नियाँ आज्ञापालन करनेवाली होती हैं और अल्लाह की रक्षा के साथ (पतियों की अनुपस्थिति में) गुप्त बातों की रक्षा करती है।” (सूरतुन निसाः 34).
तथा वह अच्छी नैतिकता और उच्च शिष्टाचार से सुसज्जित होती है, चुनांचे उसके अंदर दुर्वचन, हृदय की दुष्टता और दुर्व्यवहार नहीं पाया जाता, बल्कि वह अच्छाई, स्वच्छता और पवित्रता से शोभित होती है। तथा वह सुभाषण और कोमल व्यवहार से सुसज्जित होती है। और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह सलाह को स्वीकार करे और उसे अपने दिल और दिमाग से सुने, और उन औरतों में से बने जो बहस, तिर्क वितर्क और गर्व की आदी होती हैं।
असमई का कहना है : हमें बनी अंबर के एक शैख ने सूचना दी, उसने कहा : यह कहा जाता था कि : महिलाएं तीन तरह की होती हैं : एक विनम्र, कोमल और पवित्र मुसलमान महिला, जो जीवनयापन पर अपने परिवार की सहायता करती है और परिवार के विरुद्ध जीवनयापन का पक्ष नहीं धरती है। दूसरी महिला वह है जो बच्चा जनने के लिए होती है, और तीसरी वह महिला है जो (गले का) तौक़ होती है (अर्थात बुरे व्यवहार वाली होती है), जिसे अल्लाह तआला जिसके गर्दन में चाहता है डाल देता है और जिससे चाहता है उसे खोल देता है।
तथा कुछ लोगों का कहना है किः सबसे अच्छी महिला वह है जिसे अगर दिया जाए तो आभार प्रकट करे और अगर वंचित कर दिया जाए तो धैर्य करे, जब आप देखें तो खुश कर दे और जब आदेश दें तो आपका आज्ञापालन करे।
तथा सदाचारिणी वह महिला है जो अपने पालनहार के साथ संबंध की रक्षा करती है, और हमेशा अपने ईमान व तक़्वा (विश्वास और धार्मिकता) के कोष को बढ़ाने का प्रयास करती है। चुनाँचे किसी फ़र्ज (अनिवार्य कार्य) को नहीं छोड़ती है और कुछ न कुछ नफ़्ल (स्वैच्छिक कार्यों) की भी लालायित होती है, और अल्लाह सर्वशक्तिमान की प्रसन्नता को उसके अलावा हर चीज़ पर प्राथमिकता देती है।
इसी के बारे में पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फरमाते हैं : “अतः तुम धार्मिक औरत से विवाह कर सफलता प्राप्त करो, तुम्हारे दोनों हाथ मट्टी में सनें।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 4802) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 1466) ने रिवायत किया है।
नेक औरत वह है जिसमें आपको आपके बच्चों की एक सच्ची प्रशिक्षण कर्ता दिखाई देती है, जो उन्हें इस्लाम, नैतिकता और क़ुरआन की शिक्षा देती है, उनमें अल्लाह का प्रेम, उसके पैगंबर का प्रेम और लोगों के लिए भलाई का प्यार पैदा करती है। उनके सांसारिक मामलों से संबंधित उसकी चिंता केवल यह नहीं होती है कि वे प्रतिष्ठा, धन और प्रमाणपत्रों एवं उपाधियों की श्रेणियों तक पहुँच जाएं, बल्कि तक़्वा, धार्मिकता, नैतिकता और ज्ञान के पदों तक पहुँच जाएं।
इन सभी बातों के अलावा, मुसलमान को चाहिए कि ऐसी पत्नी का चयन करे जिसको देखने से उसके मन को शांति मिले और उसकी उपस्थिति से उसका दिल प्रसन्न हो जाए, चुनांचे वह उसके घर और उसकी दुनिया को विस्तार, खुशी और आनंद से भर दे।
अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने का : (कहा गया कि : हे अल्लाह के संदेष्टा! कौन सी महिला सबसे अच्छी हैॽ आप ने फरमायाः वह जिसे यदि वह देखे तो उसे प्रसन्न कर दे, और उसे आदेश करे तो उसकी आज्ञा का पालन करे, तथा अपने आप में या उसके धन के बारे में ऐसी चीज़ के द्वारा उसका विरोध न करे जो उसे नापसंद हो।) इसे अहमद (2/251) ने रिवायत किया है और अल्बानी ने “अस-सिलसिला अस-सहीहा (हदीस संख्या : 1838) में हसन कहा है।
आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा से कहा गयाः कौनसी औरत सबसे अच्छी हैॽ उन्होंने कहाः जो बात के दोष को नहीं जानती है, और न ही पुरुषों के चाल को समझ पाती है, खाली दिल होती है सिवाय अपने पति के लिए श्रृंगार करने और अपने परिवार के रखरखाव में लगे रहने के।
देखिएः रागिब अल-असफहानी की “मुहाज़रातुल उदबा” (1/410) और इब्ने क़ुतैबा की “उयूनुल अख़्बार” (1/375)
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर