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पश्चाताप के बाद हराम संपत्ति से निपटान का तरीक़ा

प्रश्न: 78289

मैं एक लेखा फर्म में एकाउंटेंट (लेखाकार) हूँ, मैं लेखांकन डेटा और कर रिटर्न तैयार करता हूं और ग्राहकों को उनके वित्तीय और कर संबंधी मामलों में सलाह देता हूं। हमारे ग्राहकों में ज्यादातर छोटे रेस्तरां मालिक हैं। हमारे पास रियल एस्टेट सेक्टर और निजी व्यवसाय में भी कुछ क्लाइंट हैं। जहाँ तक हमारे ग्राहकों में से रेस्तरां मालिकों की बात है, तो वे अन्य उत्पादों के साथ पोर्क (सूअर का मास) बेचते हैं। तथा हमारे सभी ग्राहक ब्याज (भुगतान और प्राप्ति) के साथ लेनदेन करते हैं। कभी-कभी मुझे अपने ग्राहकों की वित्तीय स्थिति दिखाने वाले पत्रों को लिखना पड़ता है, जबकि मुझे पहले से ज्ञात है कि यह पत्र ब्याज पर आधारित ऋण लेने के लिए उपयोग किया जाएगा। तो क्या मेरा यह काम हलाल हैॽ अगर यह हलाल नहीं है और मैं यह काम छोड़ देता हूँ, और दूसरा हलाल काम करने लगता हूँ, तो क्या मेरे लिए इस पैसे को रखना जायज़ है जो मैंनें उस (हराम) काम से कमाया और बचत किया हैॽ क्या मैं इस राशि को अन्य कामों में निवेश कर सकता हूँॽ और क्या मेरे लिए इस पैसे से हज्ज करने की अनुमति हैॽ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

प्रथमः

सूदखोरी या उसके खाते के पंजीकरण, या उसके पत्र लिखने के क्षेत्र में, या इसी तरह के अन्य क्षेत्र जिसमें उसपर सहयोग होता हो, कार्य करना जायज़ नहीं है। क्योंकि यह पाप और अपराध में सहयोग करना है, और अल्लाह तआला का फरमान हैः

 ( وَتَعَاوَنُوا عَلَى الْبِرِّ وَالتَّقْوَى وَلا تَعَاوَنُوا عَلَى الأِثْمِ وَالْعُدْوَانِ وَاتَّقُوا اللَّهَ إِنَّ اللَّهَ شَدِيدُ الْعِقَابِ ) [المائدة: 2]

"नेकी और तक़्वा (परहेज़गारी) के कामों में एक दूसरे का सहयोग किया करो तथा पाप और अत्याचार पर एक दूसरे का सहयोग न करो, और अल्लाह से डरते रहो, नि:संदेह अल्लाह तआला कड़ी यातना देनेवाला है।" (सूरतुल मायदा : 2)

अतः इस क्षेत्र में कार्य को छोड़ देना और केवल जायज़ कामों पर ही निर्भर करना अनिवार्य है। और जिसने भी अल्लाह तआला के लिए किसी कार्य को छोड़ दिया, तो अल्लाह तआला उसे उससे बेहतर बदला देगा।

तथा प्रश्न संख्याः (59864) का उत्तर देखें। जिस में सूद-ब्याज के कार्य में सहयोग करने के निषेध का उल्लेख है, भले ही वह इस पर आधारित एक परिचय पत्र लिखने ही के द्वारा क्यों न हो।

दूसराः

जिस व्यक्ति ने किसी हराम काम से अल्लाह तआला के समक्ष पश्चाताप कर लिया और उसने उससे हराम धन अर्जित किया है, जैसे गायन शुल्क, रिश्वत, ज्योतिष और झूठी गवाही देने का भुगतान, तथा सूद-ब्याज के लेनदेन को लिखने का भुगतान और इसी तरह के अन्य हराम कार्यों का भुगतान, तो अगर उसने उस धन को खर्च कर दिया है, तो कोई बात नहीं। लेकिन अगर वह धन अभी भी उसके हाथ में है, तो उसे उस धन को भलाई (धर्मार्थ) के कामों पर खर्च करके छुटकारा प्राप्त करना चाहिए। हाँ, यदि वह जरूरतमंद है, तो वह उससे अपनी आवश्यकता के अनुसार ले सकता है। और शेष धन से वह छुटकारा हासिल कर ले। वह उस धन से हज्ज नहीं कर सकता है, क्योंकि अल्लाह तआला पाक है और केवल पाक चीज़ ही को स्वीकार करता है।

इब्नुल क़ैयिम रहिमहुल्लाह कहते हैं : यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे को हराम पारिश्रमिक दे और वह उस भुगतान को स्वीकार कर ले, जैसे कि वेश्या, गायक, शराब विक्रेता, झूठी गवाही देनेवाला और इनके समान अन्य लोग, फिर वह पश्चाताप कर ले और वह भुगतान उसके पास हो, तो एक समूह का कथन है किः

वह उसे उसके मालिक को वापस कर देगा। इसलिए कि वह उसी का माल है, और इस व्यक्ति ने उसे शरीयत की अनुमति के अनुसार (शास्त्रनियमानुसार) नहीं लिया है, और न ही उसके मालिक को उसके बदले में कोई वैध लाभ प्राप्त हुआ है।

जबकि एक अन्य समूह का कथन है किः बल्कि उसकी तौबा (पश्चाताप) यह है कि वह उसे दान कर दे और वह उसे उस व्यक्ति को वापस न करे जिससे उसने उसे लिया था। शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह ने इसी कथन को चयन किया है और दोनों कथनों में यही अधिक सही है …।'' ''मदारिज़ अस-सालेकीन'' (1/389) से अन्त हुआ।

इब्नुल क़ैयिम रहिमहुल्लाह ने इस मुद्दे पर ‘‘ज़ादुल-मआद'' (5/778) में विस्तार के साथ चर्चा किया है, और यह निर्णय लिया है कि इस पैसे से छुटकारा पाने और पूरी तरह से पश्चाताप करने का तरीक़ा यह है किः ''वह उसे दान कर दे। यदि उसे उसकी ज़रूरत है, तो जितना उसकी ज़रूरत है उतना वह ले सकता है, और वह बाकी राशि दान कर देगा।'' अन्त हुआ।

तथा शैखुल इस्लाम इब्न तैमिय्या रहिमहुल्लाह कहते हैं :

“यदि यह वेश्या और यह शराब बिक्री करने वाला तौबा कर लें और वे गरीब हों, तो इस धन में से उनकी आवश्यकता के अनुसार उनपर खर्च करना जायज़ है। अगर वह व्यापार करने या कारीगरी का काम जैसे बुनाई और कताई करने में सक्षम है, तो उसे इस काम के लिए मूलधन दिया जाएगा।”

“मजमूउल-फतावा (29/308)” से अन्त हुआ।

इस मुद्दे का विस्तृत विवरण डॉ. अब्दुल्लाह बिन मुहम्मद अस-सईदी की पुस्तकः ‘‘अर्रिबा फी अल-मुआमलात अल-मस्रफिय्या अल-मुआसिरह” (समकालीन बैंकिंग लेनदेन में सूद) (2/779-874) में देखें।

तीसराः

शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह के ऊपर उल्लेख किए गए शब्दों से यह समझा जा सकता है कि यदि हराम की कमाई से पश्चाताप करने वाला कोई जरूरतमंद है, तो वह उस धन से अपनी आवश्यकता के अनुसार ले सकता है, और वह उसमें से कुछ निवेश भी कर सकता है इस प्रकार कि वह उसे किसी व्यापार या उद्योग में मूलधन बना दे, फिर जो कुछ उसकी ज़रूरत से अधिक हो, उसे दान कर दे।

चैथाः

चूँकि आपके काम में से कुछ तो वैध है, और कुछ हराम है। अतः आप हराम के अनुपात का अनुमान लगाने में प्रयास करें और उस अनुपात के हिसाब से आपके हाथ में जो धन है उससे छुटकारा प्राप्त कर लें; और अगर आपके लिए अनुमान लगाना मुश्किल है तो आप आधे माल से छुटकारा प्राप्त कर लें।

शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह कहते हैं :

“… यदि हलाल और हराम धन दोनों मिश्रित हों जाएं और उन दोनों में से प्रत्येक की मात्रा ज्ञात न हो, तो उसे दो भागों में विभाजित कर लिया जाए।”

“मज़मूउल-फतावा (29/307)” से समाप्त हुआ।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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