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फ़रिश्ते कौन हैं?

प्रश्न: 843

फ़रिश्ते कौन हैं? उनके कार्य और उनका स्वरूप क्या है? उनकी संख्या और उनके नाम क्या हैं? और उन्हें कब पैदा गया? और वे किस चीज़ से बनाए गए हैं? और सबसे बड़ा फ़रिश्ता कौन है?

उत्तर का पाठ

फ़रिश्तों पर ईमान रखना ईमान के छह स्तंभों में से एक है जिनके बिना ईमान स्थापित नहीं हो सकता। जो व्यक्ति इनमें से किसी एक स्तंभ पर विश्वास नहीं रखता, तो वह मोमिन नहीं है। वे स्तंभ ये हैं : अल्लाह, उसके फ़रिश्तों, उसकी किताबों, उसके रसूलों और अंतिम दिन पर, तथा अच्छी और बुरी तक़दीर (पूर्व नियति) के अल्लाह की ओर से होने पर ईमान लाना।

फ़रिश्ते कौन हैं?

फरिश्ते उस अनदेखी दुनिया का हिस्सा हैं जिसका हम बोध नहीं रखते। लेकिन अल्लाह ने अपनी किताब क़ुरआन में और अपने पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के माध्यम से हमें उनके बारे में बहुत सारी सूचनाएँ दी हैं। नीचे हम फ़रिश्तों के बारे में वर्णित कई सही जानकारियाँ और प्रमाणित समाचार प्रस्तुत कर रहे हैं, ताकि ऐ प्रिय प्रश्नकर्ता, आप इस मामले का अच्छी तरह अनुमान लगा सकें और महिमावान सृष्टिकर्ता की महानता को और इस धर्म की महानता को जान सकें, जिसने हमें उनके बारे में खबर दी है।

फ़रिश्ते किससे पैदा किए गए हैं?

अल्लाह तआला ने फ़रिश्तों को प्रकाश (रौशनी) से पैदा किया है, जैसा कि आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा ने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "फरिश्ते नूर (प्रकाश) से पैदा किए गए, और जिन्नात आग की लपट से पैदा किए गए हैं और आदम उसी चीज़ से पैदा किए गए हैं जिसका तुमसे उल्लेख किया गया है।" इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 2996) ने रिवायत किया है।

फ़रिश्ते कब पैदा किए गए?

हमें उनके पैदा किए जाने के ठीक समय का कोई ज्ञान नहीं है, क्योंकि इसके बारे में क़ुरआन या हदीस में कोई पाठ (नस) नहीं आया है। लेकिन वे क़ुरआन के पाठ के अनुसार निश्चित रूप से मानव जाति के पैदा किए जाने से पहले बनाए गए थे :

وإذ قال ربك للملائكة إني جاعل في الأرض خليفة 

[سورة البقرة:30]

और (ऐ नबी! याद कीजिए) जब आपके पालनहार ने फ़रिश्तों से कहा कि मैं धरती में एक ख़लीफ़ा बनाने वाला हूँ। (सूरतुल बक़रा : 30)

अल्लाह ने उन्हें मनुष्य को बनाने के अपने इरादे के बारे में बताया, जिससे पता चला कि वे उसके पहले ही से अस्तित्व में थे।

फ़रिश्तों की रचना की महानता

अल्लाह तआला आग (नरक) के फ़रिश्तों के बारे में फ़रमाता है :

يا أيها الذين آمنوا قوا أنفسكم وأهليكم نارا وقودها الناس والحجارة عليها ملائكة غلاظ شداد لا يعصون الله ما أمرهم ويفعلون ما يؤمرون

سورة التحريم: 6

"ऐ ईमान वालो! अपने आपको और अपने घर वालों को उस आग से बचाओ जिसका ईंधन मनुष्य और पत्थर हैं। जिसपर कठोर दिल, बलशाली फ़रिश्ते नियुक्त हैं। जो अल्लाह उन्हें आदेश दे, उसकी अवज्ञा नहीं करते तथा वे वही करते हैं, जिसका उन्हें आदेश दिया जाता है।" (सूरतुत-तहरीम : 6)

उन फ़रिश्तों में सबसे महान जिबरील अलैहिस्सलाम हैं, जिनके विवरण का वर्णन निम्नलिखित हदीस में किया गया है :

"अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने जिबरील को उनके असली रूप में देखा, उनके छह सौ पंख थे, जिनमें से प्रत्येक पंख ने क्षितिज को ढक दिया था। उनके पंखों से इतने जवाहरात, मोती और माणिक गिर रहे थे, जिन्हें केवल अल्लाह ही जानता है। इसे अहमद ने मुसनद में रिवायत किया है। इब्ने कसीर ने ‘अल-बिदायह’ (1/47) में कहा है कि इसकी इसनाद (संचरण श्रृंखला) जय्यिद (अच्छी) है।

तथा अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने जिबरील का वर्णन करते हुए कहा :

"मैंने जिबरील को आकाश से उतरते देखा, उनकी रचना की महानता (विशाल आकार) ने आकाश और पृथ्वी के बीच की जगह को भर दिया था।" इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 177) ने रिवायत किया है।

महान फ़रिश्तों में से सिंहासन के उठाने वाले भी हैं और उनके विवरण में आया है : जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु अन्हु नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत करते हैं कि आपने कहा : 'मुझे सिंहासन को उठाने वाले अल्लाह के फ़रिश्तों में से एक के बारे में बोलने की अनुमति दी गई, उसके कानों और कंधों के बीच की दूरी सात सौ साल की यात्रा के बराबर है।" (सुनन अबू दाऊद : किताबुस-सुन्नह : बाब फिल-जहमिय्यह]।

फ़रिश्तों की विशेषताएँ

फ़रिश्तों के पंख हैं

अल्लाह तआला फरमाता है :

الحمد لله فاطر السماوات والأرض جاعل الملائكة رسلا أولي أجنحة مثنى وثلاث ورباع يزيد في الخلق ما يشاء إن الله على كل شئ قدير

سورة فاطر: 1

"सब प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जो आकाशों तथा धरती का पैदा करने वाला है, (और) दो-दो, तीन-तीन, चार-र परों वाले फ़रिश्तों को संदेशवाहक बनाने वाला है। वह संरचना में जैसी चाहता है अभिवृद्धि करता है। निःसंदेह अल्लाह हर चीज़ का सामर्थ्य रखता है।" (सूरत फ़ातिर : 1)

फ़रिश्तों की सुंदरता

अल्लाह ने जिबरील अलैहिस्सलाम का वर्णन करते हुए फरमाया :

علمه شديد القوى. ذو مرة فاستوى

سورة النجم: 5-6]

"उसे बहुत मज़ूबत शक्तियों वाले (फ़रिश्ते) ने सिखाया है। जो बड़ा बलशाली है। फिर वह बुलंद हुआ (अपने असली रूप में प्रकट हुआ)।" (सूरतुन-नज्म : 5-6)

इब्ने अब्बास ने कहा : "ज़ू मिर्रह का मतलब है कि वह एक सुंदर रूप वाले हैं।" क़तादह ने कहा : "वह लंबे, सुंदर संरचना वाले हैं।"

सभी लोगों के मन में यह बात दृढ़ता से स्थापित है की फरिश्ते सुंदर होते हैं। इसीलिए वे खूबसूरत इनसानों की तुलना फरिश्तों से करते हैं, जैसा कि महिलाओं ने यूसुफ अस-सिद्दीक़ के बारे में कहा :

فَلَمَّا رَأَيْنَهُ أَكْبَرْنَهُ وَقَطَّعْنَ أَيْدِيَهُنَّ وَقُلْنَ حَاشَ لِلَّهِ مَا هَذَا بَشَرًا إِنْ هَذَا إِلَّا مَلَكٌ كَرِيمٌ

يوسف: 31

"फिर जब उन स्त्रियों ने उसे देखा, तो उन्होंने उसे बहुत बड़ा समझा और अपने हाथ काट डाले तथा बोल उठीं : अल्लाह की पनाह! यह मनुष्य नहीं है। यह तो कोई सम्मानित फ़रिश्ता है।" (सूरत यूसुफ़ : 31)

फ़रिश्ते आकार और स्थिति में भिन्न होते हैं

फ़रिश्ते रचना और मात्रा में एक जैसे नहीं हैं; बल्कि वे अलग-अलग हैं, जैसे वे प्रतिष्ठा में भिन्न हैं। उनमें से सबसे अच्छे वे हैं जो बद्र की लड़ाई में मौजूद थे, जैसा कि मुआज़ बिन रिफ़ाआ अज़-ज़ुरक़ी की हदीस में आया है, जिसे उन्होंने अपने पिता से रिवायत किया है और उनके पिता बद्र में मौजूद लोगों में से एक थे। उन्होंने कहा : "जिबरील नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आए और पूछा : आप बद्र में मौजूद लोगों को अपने बीच कैसे आंकते हैं? आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा : वे सबसे अच्छे मुसलमानों में से हैं, या ऐसा ही कुछ शब्द आपने कहा। [जिबरील] ने कहा : और इसी तरह फरिश्तों में से जो बद्र में उपस्थित हुए।" बुखारी (3992)

फ़रिश्ते न खाते हैं और न पीते हैं

इस बात का प्रमाण अल्लाह के मित्र इबराहीम अलैहिस्सलाम और उनके पास आने वाले उनके मेहमान फरिश्तों के बीच होने वाली बातचीत है। अल्लाह तआला ने फरमाया :

فراغ إلى أهله فجاء بعجل سمين فقربه إليهم قال ألا تأكلون فأوجس منهم خيفة قالوا لا تخف وبشروه بغلام عليم

الذاريات: 28

"फिर वह चुपके से अपने घरवालों के पास गया। फिर एक मोटा-ताज़ा (भुना हुआ) बछड़ा ले आया। फिर उसे उनके सामने रख दिया। कहा : क्या तुम नहीं खाते? तो उसने उनसे दिल में डर महसूस किया। उन्होंने कहा : डरो नहीं। और उन्होंने उसे एक बहुत ही ज्ञानी पुत्र की शुभ-सूचना दी। (सूरतुज़-ज़रियात : 26-28)

एक अन्य आयत में फरमाया :

فلما رأى أيديهم لا تصل إليه نكرهم وأوجس منهم خيفة قالوا لا تخف إنا أرسلنا إلى قوم لوط

هود: 70

"फिर जब देखा कि उनके हाथ खाने की ओर नहीं बढ़ रहे हैं, तो उनके प्रति अचंभे में पड़ गए और दिल में उनसे भय महसूस किया। उन्होंने कहा : भय न करो। दरअसल हम लूत की जाति की ओर भेजे गए हैं।" (सूरत हूद : 70)

फरिश्ते अल्लाह को याद करने और उसकी इबादत करने से न ऊबते हैं और न थकते हैं :

अल्लाह तआला ने फरमाया :

يسبحون الليل والنهار لا يَفْتُرون

الأنبياء: 20

"वे रात-दिन (अल्लाह की) पवित्रता का गान करते हैं, दम नहीं लेते।" (सूरतुल अंबिया : 20).

तथा अल्लाह ने फरमाया :

فالذين عند ربك يسبحون له بالليل والنهار وهم لا يسأمون

فصلت: 38

“फिर यदि वे अभिमान करें, तो जो (फ़रिश्ते) आपके पालनहार के पास हैं, वे रात दिन उसकी पवित्रता का वर्णन करते रहते हैं, और वे थकते नहीं हैं।” (सूरत फुस्सिलत : 38)

फ़रिश्तों की संख्या

फ़रिश्ते बहुत अधिक हैं, उनकी संख्या केवल अल्लाह ही जानता है। नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सातवें आसमान में ‘बैतुल-मा’मूर’ का वर्णन करते हुए फरमाते हैं :

“फिर मेरे लिए ‘बैतुल-मा’मूर’ प्रकट किया गया, तो मैंने जिबरील से उसके बारे में पूछा तो उन्होंने कहा : यह ’बैतुल-मा’मूर’ है, इसमें हर दिन सत्तर हज़ार फ़रिश्ते नमाज़ पढ़ते हैं। जब वे चले जाते हैं, तो फिर कभी नहीं लौटते।” इसे बुखारी ने (फ़त्हुल-बारी, हदीस संख्या : 3207) रिवायत किया है।

अब्दुल्लाह (बिन मसऊद) रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : उस दिन नरक को इस हाल में लाया जाएगा कि उसके सत्तर हज़ार लगाम होंगे। हर लगाम के साथ सत्तर हज़ार फरिश्ते होंगे जो उसे खींच रहे होंगे।" (मुस्लिम, हदीस संख्या : 2842).

फ़रिश्तों के नाम

फ़रिश्तों के नाम हैं, लेकिन हम उनमें से कुछ ही के नाम जानते हैं। इसलिए जिसके नाम का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है, उस पर विस्तार से ईमान लाना अनिवार्य है। अन्यथा उसपर सार रूप से ईमान लाया जाएगा, जो बंदे के फरिश्तों पर ईमान लाने के सामान्य अर्थ में शामिल है। फरिश्तों के नामों में से कुछ निम्नलिखित हैं :

(1, 2) जिबरील और मिकाईल :

قل من كان عدوا لجبريل فإنه نزله على قلبك بإذن الله مصدقا لما بين يديه وهدى وبشرى للمؤمنين، من كان عدوا لله وملائكته ورسله وجبريل وميكال فإن الله عدو للكافرين

البقرة: 98

"(ऐ नबी!) कह दीजिए : जो व्यक्ति जिबरील का शत्रु हो, तो निःसंदेह उसने इसे आपके दिल पर अल्लाह के आदेश से उतारा है, उसकी पुष्टि करने वाला है, जो इससे पूर्व है तथा ईमान वालों के लिए मार्गदर्शन एवं शुभ समाचार है। जो कोई अल्लाह और उसके फ़रिश्तों और उसके रसूलों और जिबरील तथा मीकाल का शत्रु हो, तो निःसंदेह अल्लाह सब काफ़िरों का शत्रु है।" (सूरतुल बक़रा : 97-98).

(3) इसराफ़ील :

अबू सलमह बिन अब्दुर-रहमान बिन औफ़ से वर्णित है कि उन्होंने कहा : मैंने विश्वासियों की माँ आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा से पूछा, कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम किस चीज से अपनी नमाज़ शुरू करते थे जब आप रात को नमाज़़ पढ़ने के लिए उठते थे। उन्होंने कहा : जब आप रात में नमाज़़ पढ़ने के लिए उठते, तो अपनी नमाज़़ (इन शब्दों के साथ) शुरू करते : ऐ अल्लाह, जिबरील, मिकाईल और इसराफील के पालनहार,  आकाशों और पृथ्वी के निर्माता, परोक्ष और प्रत्यक्ष के ज्ञाता, तू अपने बंदों के बीच उन मामलों में न्याय करता है जिनमें वे मतभेद करते हैं; तू अपनी अनुमति से सत्य के विवादित मामलों के संबंध में मेरा मार्गदर्शन कर, निःसंदेह तू जिसे चाहता है सीधे रास्ते पर ले जाता है।" (मुस्लिम, हदीस संख्या : 270).

(4) मालिक :

वह नरक के रक्षक हैं, जैसा कि अल्लाह ने फरमाया :

ونادوا يا مالك ليقض علينا ربك..

الزخرف : 77

"तथा वे पुकारेंगे : ऐ मालिक! तेरा पालनहार हमारा काम तमाम ही कर दे.." (सूरतुज़-ज़ुख़रुफ़ : 77).

(5, 6) मुनकर और नकीर :

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि उन्होंने कहा : "अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : जब मृतक को दफनाया जाता है (या कहा : जब तुम में से किसी को दफनाया जाता है), उसके पास दो नीली आँखों वाले काले रंग के फ़रिश्ते आते हैं, उनमें से एक को मुनकर और दूसरे को नकीर कहा जाता है। तो वे दोनों उससे पूछते हैं : तू इस आदमी के बारे में क्या कहता था? तो वह वही कहता है जो वह कहा करता था : वह अल्लाह के बंदे और उसके रसूल हैं। मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं और मुहम्मद अल्लाह के बंदे और उसके रसूल हैं। तो वे दोनों कहते हैं : हम जानते थे कि तू ऐसा ही कहेगा। फिर उसकी कब्र उसके लिए सत्तर बाई सत्तर हाथ चौड़ी कर दी जाती है, फिर उसके लिए उसमें प्रकाश कर दिया जाता है। फिर उससे कहा जाता है : 'सो जा।' तो वह कहता है : मैं अपने परिवार के पास वापस जाना चाहता हूँ ताकि उन्हें इसके बारे में बताऊँ। वे उससे कहते हैं : तुम उस दुल्हन की तरह सो जाओ, जिसे उसके परिवार में से उसका सबसे चहेता ही उठाता है, यहाँ तक कि अल्लाह उसे उसकी उस सोने की जगह से उठाएगा। यदि वह (मृतक) मुनाफ़िक़़ (पाखंडी) था, तो वह कहता है : मैंने लोगों को कुछ कहते सुना, तो मैंने भी वैसा ही कहा; मैं नहीं जानता। तो वे दोनों कहते हैं : हम जानते थे कि तू ऐसा ही कहेगा। धरती से कहा जाएगा कि तू इसपर मिल जा, इसलिए वह उसपर मिल जाएगी, यहाँ तक कि उसकी पसलियाँ आपस में मिल जाएँगी, और वह निरंतर उसमें यातना दिया जाता रहेगा, यहाँ तक कि अल्लाह उसे उसके ठिकाने से उठाएगा।" (तिर्मिज़ी, हदीस संख्या : 1071) अबू ईसा ने कहा : यह एक अच्छी और ग़रीब हदीस है। तथा सहीहुल-जामे (हदीस संख्या : 724) में इसे हसन कहा है।

(7, 8) हारूत और मारूत :

अल्लाह तआला फरमाता है :

وما أنزل على الملكين ببابل هاروت وماروت

البقرة: 102

“और जो बाबिल में दो फ़रिश्तों; हारूत और मारूत पर उतारी गई।” (सूरतुल बक़रह : 102)

उनमें उपर्युक्त फरिश्तों के अलावा भी हैं।

وما يعلم جنود ربك إلا هو وما هي إلا ذكرى للبشر

المدثر: 31

“और आपके पालनहार की सेनाओं को उसके सिवा कोई नहीं जानता। और यह तो केवल मनुष्य के लिए उपदेश है।" (सूरतुल मुद्दस्सिर : 31).

फ़रिश्तों की शक्तियाँ

फ़रिश्तों के पास महान शक्तियाँ हैं जो अल्लाह ने उन्हें प्रदान की हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :

विभिन्न रूपों को धारण करने की क्षमता :

अल्लाह ने फरिश्तों को अपने रूपों के अलावा अन्य रूपों को धारण करने की शक्ति दी है। अल्लाह ने जिबरील को मरियम के पास एक आदमी के रूप में भेजा, जैसा कि अल्लाह फरमाता है :

فأرسلنا إليها روحنا فتمثل لها بشر سويا

مريم: 17

“फिर हमने उसकी ओर अपनी रूह़ (विशेष फ़रिश्ता) को भेजा, तो उसने उसके लिए एक पूरे मनुष्य का रूप धारण कर लिया।" (सूरत मरयम : 17)

इबराहीम अलैहिस्सलाम के पास भी फ़रिश्ते मानव रूप में आए और उन्हें पता नहीं था कि वे फ़रिश्ते थे जब तक कि उन्होंने उन्हें इसकी सूचना नहीं दी। इसी तरह लूत अलैहिस्सलाम के पास फ़रिश्ते सुंदर चेहरे वाले युवकों के रूप में आए। तथा जिबरील नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास अलग-अलग रूपों में आते थे : कभी वे देह्या अल-कलबी के रूप में आते थे, जो एक सुंदर रूप वाले सहाबी थे। और कभी-कभी एक देहाती के रूप में आते थे। तथा सहाबा ने उन्हें उनके मानव रूप में देखा, जैसा कि सहीह बुखारी और सहीह मुस्लिम में उमर बिन अल-खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस में है। उन्होंने कहा : “एक दिन जब हम अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास बैठे थे, तो हमारे सामने एक आदमी प्रकट हुआ, जिसके कपड़े बहुत सफेद और बाल बहुत काले थे, उसपर यात्रा के कोई निशान नहीं दिखाई देते थे। और हम में से कोई भी उसे नहीं पहचानता था। यहाँ तक कि वह आकर नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास बैठ गया। अपने घुटनों को आपके घुटनों से टिका दिया और अपने हाथों को आपकी जाँघों पर रख दिया और कहा : “ऐ मुहम्मद, मुझे इस्लाम के बारे में बताओ…" सहीह मुस्लिम (हदीस संख्या : 8).

इसके अलावा अन्य बहुत-सी हदीसें हैं जो फ़रिश्तों के मानव रूपों को धारण करने का उल्लेख करती हैं, जैसे कि सौ हत्या करने वाले की हदीस, जिसमें यह कहा गया है कि "तो उनके पास मानव रूप में एक फरिश्ता आया …" तथा कोढ़ी, गंजा और अंधे आदमी के बारे में हदीस।

फरिश्तों की गति

आज मनुष्य को ज्ञात सबसे बड़ी गति प्रकाश की गति है; जबकि फरिश्तों की गति इस गति से बहुत अधिक है। क्योंकि प्रश्नकर्ता मुश्किल से ही नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कोई सवाल पूरा करता था, परंतु जिबरील अल्लाह की ओर से जवाब लेकर आ जाते थे।

फरिश्तों के कर्तव्य

• फ़रिश्तों में से एक ऐसा है जिसे अल्लाह की ओर से उसके रसूलों तक वह़्य पहुँचाने का काम सौंपा गया है, और वह रूहुल-अमीन जिबरील अलैहिस्सलाम हैं। अल्लाह तआला ने फरमाया :

من كان عدوا لجبريل فإنه نزله على قلبك بإذن الله

سورة البقرة: 97

“(ऐ नबी!) कह दीजिए : जो व्यक्ति जिबरील का शत्रु हो, तो निःसंदेह उसने इसे आपके दिल पर अल्लाह के आदेश से उतारा है।” (सूरतुल बक़रा : 97).

तथा अल्लाह ने फरमाया :

نَزَلَ بِهِ الرُّوحُ الأَمِينُ، عَلَى قَلْبِكَ لِتَكُونَ مِنْ الْمُنذِرِينَ

سورة الشعراء: 193-194

“इसे रूह़ुल-अमीन (अत्यंत विश्वसनीय फ़रिश्ता) लेकर उतरा है। आपके दिल पर, ताकि आप सावधान करने वालों में से हो जाएँ।” (सूरतुश्शुअरा : 193-194) 

• उनमें से एक बारिश बरसाने और उसे जहाँ अल्लाह चाहता है वहाँ फेरने पर नियुक्त है। और वह मिकाईल अलैहिस्सलाम हैं। उनके कुछ सहायक हैं, जो उसे करते हैं जो वह अपने रब की आज्ञा से उन्हें आदेश देते हैं। तथा वे हवाओं और बादलों को जैसा अल्लाह तआला चाहता है, फेरते हैं।

• उनमें से एक फ़रिश्ता सूर फूँकने पर नियुक्त है और वह इसराफ़ील अलैहिस्सलाम हैं, जो क़ियामत शुरु होने के समय सूर में फूँकेंगे)।

• उन्हीं में से कुछ प्राणों को निकालने पर नियुक्त हैं और वे मृत्यु के दूत (मलकुल-मौत) और उनके सहायक हैं। अल्लाह तआला ने फरमाया :

قل يتوفاكم ملك الموت الذي وكل بكم ثم إلى ربكم ترجعون

سورة السجدة: 11

“आप कह दें कि मौत का फ़रिश्ता तुम्हारे प्राण निकाल लेगा, जो तुमपर नियुक्त किया गया है, फिर तुम अपने पालनहार ही की ओर लौटाए जाओगे।" (सूरतुस-सजदह : 11)

किसी भी सहीह हदीस में यह प्रमाणित नहीं है कि उनका नाम 'इज़राइल' है।

 उन्हीं में से वे फ़रिश्ते हैं जो बंदे की उसके निवास और यात्रा में, उसके जागने और सोने में और उसकी सभी अवस्थाओं में रक्षा करने पर नियुक्त हैं, यही बारी-बारी आने वाले पहरेदार (फरिश्ते) हैं जिनके बारे में अल्लाह तआला ने फरमाया है :

سَوَاءٌ مِنْكُمْ مَنْ أَسَرَّ الْقَوْلَ وَمَنْ جَهَرَ بِهِ وَمَنْ هُوَ مُسْتَخْفٍ بِاللَّيْلِ وَسَارِبٌ بِالنَّهَارِ (10) لَهُ مُعَقِّبَاتٌ مِنْ بَيْنِ يَدَيْهِ وَمِنْ خَلْفِهِ يَحْفَظُونَهُ مِنْ أَمْرِ اللَّهِ إِنَّ اللَّهَ لا يُغَيِّرُ مَا بِقَوْمٍ حَتَّى يُغَيِّرُوا مَا بِأَنفُسِهِمْ وَإِذَا أَرَادَ اللَّهُ بِقَوْمٍ سُوءًا فَلا مَرَدَّ لهُ وَمَا لَهُمْ مِنْ دُونِهِ مِنْ وَالٍ (11)

سورة الرعد:10-11

“तुममें से जो चुपके से बात करे और जो ऊँची आवाज़ में बोले तथा जो रात के अंधेरे में छिपा हुआ है और जो दिन के उजाले में चलने वाला है, (उसके लिए) बराबर है। उसके लिए उसके आगे और उसके पीछे बारी-बारी आने वाले कई पहरेदार (फरिश्ते) हैं, जो अल्लाह के आदेश से उसकी रक्षा करते हैं। निःसंदेह अल्लाह किसी जाति की दशा नहीं बदलता, जब तक वे स्वयं अपनी दशा न बदल लें। तथा जब अल्लाह किसी जाति के साथ बुराई का निश्चय कर ले, तो उसे हटाने का कोई उपाय नहीं, और उसके अलावा उनका कोई सहायक नहीं।” (सूरतुर-रा'द : 10-11)  

• उनमें से कुछ वे हैं जो बंदे के अच्छे और बुरे कर्मों का संरक्षण करने पर नियुक्त हैं और वे ''किरामन कातिबीन'' (सम्माननीय लेखक) हैं, और ये सर्वशक्तिमान अल्लाह के इस कथन में शामिल हैं :  ويرسل عليكم حفظة  “और वह तुमपर रक्षकों को भेजता है।” (सूरतुल अनआम : 61) तथा अल्लाह तआला ने फरमाया :

أم يحسبون أنا لا نسمع سرهم ونجواهم بلى ورسلنا لديهم يكتبون

سورة الزخرف: 80

“या वे समझते हैं कि हम उनके रहस्य और उनकी कानाफूसी को नहीं सुनते? क्यों नहीं, और हमारे भेजे हुए (फ़रिश्ते) उनके पास लिखते रहते हैं। (सूरतुज़- ज़ुख़रुफ़ : 80)

तथा अल्लाह ने फरमाया :

إِذْ يَتَلَقَّى الْمُتَلَقِّيَانِ عَنْ الْيَمِينِ وَعَنْ الشِّمَالِ قَعِيدٌ . مَا يَلْفِظُ مِنْ قَوْلٍ إِلا لَدَيْهِ رَقِيبٌ عَتِيد

سورة ق: 17-18

“जब दो लेने वाले (उसके हर कथन और कर्म को) लेते हैं, जो दाहिनी और बाईं ओर बैठे हैं। वह कोई बात नहीं बोलता, परंतु उसके पास एक निरीक्षक तैयार रहता है।” (सूरत क़ाफ़ : 17-18)

तथा फरमाया :

وَإِنَّ عَلَيْكُمْ لَحَافِظِينَ. كِرَامًا كَاتِبِين

سورة الإنفطار:10-11]

“हालाँकि निःसंदेह तुमपर निगेहबान नियुक्त हैं। जो सम्माननीय लिखने वाले हैं।” (सूरतुल- इन्फ़ितार : 10-11]

• उनमें से कुछ क़ब्र में लोगों की परीक्षा लेने पर नियुक्त हैं और वे हैं मुनकर और नकीर। अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि उन्होंने कहा : "अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : जब मृतक को दफनाया जाता है (या कहा : जब तुम में से किसी को दफनाया जाता है), उसके पास दो नीली आँखों वाले काले रंग के फ़रिश्ते आते हैं, उनमें से एक को मुनकर और दूसरे को नकीर कहा जाता है। तो वे दोनों उससे पूछते हैं : तू इस आदमी के बारे में क्या कहता था?…” यह हदीस पूर्ण रूप से ऊपर गुज़र चुकी है।

• उनमें से कुछ जन्नत के रखवाले हैं। अल्लाह तआला ने फरमाया :

وَسِيقَ الَّذِينَ اتَّقَوْا رَبَّهُمْ إِلَى الْجَنَّةِ زُمَرًا حَتَّى إِذَا جَاءُوهَا وَفُتِحَتْ أَبْوَابُهَا وَقَالَ لَهُمْ خَزَنَتُهَا سَلامٌ عَلَيْكُمْ طِبْتُمْ فَادْخُلُوهَا خَالِدِينَ

سورة الزمر:73

“तथा जो लोग अपने पालनहार से डरते रहे, वे जन्नत की ओर गिरोह के गिरोह ले जाए जाएँगे। यहाँ तक कि जब वे उसके पास पहुँच जाएँगे तथा उसके द्वार खोल दिए जाएँगे और उसके रक्षक उनसे कहेंगे : सलाम है तुमपर। तुम पवित्र हो। सो तुम इसमें हमेशा रहने को प्रवेश कर जाओ।” (सूरतुज़-ज़ुमर : 73)

• उनमें से कुछ नरक के रखवाले हैं, और वे ज़बानियह (नरक के पहरेदार) हैं, और उनके प्रमुख उन्नीस हैं और उनके नेता मालिक अलैहिस्सलाम हैं।

अल्लाह तआला ने फरमाया :

وَسِيقَ الَّذِينَ كَفَرُوا إِلَى جَهَنَّمَ زُمَرًا حَتَّى إِذَا جَاءُوهَا فُتِحَتْ أَبْوَابُهَا وَقَالَ لَهُمْ خَزَنَتُهَا أَلَمْ يَأْتِكُمْ رُسُلٌ مِنْكُمْ يَتْلُونَ عَلَيْكُمْ آيَاتِ رَبِّكُمْ وَيُنْذِرُونَكُمْ لِقَاءَ يَوْمِكُمْ هَذَا قَالُوا بَلَى وَلَكِنْ حَقَّتْ كَلِمَةُ الْعَذَابِ عَلَى الْكَافِرِينَ

سورة الزمر: 71

“तथा जो लोग काफ़िर होंगे, वे जहन्नम की ओर गिरोह के गिरोह हाँके जाएँगे। यहाँ तक कि जब वे उसके पास आएँगे, तो उसके द्वार खोल दिए जाएँगे तथा उसके रक्षक उनसे कहेंगे : "क्या तुम्हारे पास तुम्हीं में से रसूल नहीं आए थे, जो तुम्हें तुम्हारे पालनहार की आयतें सुनाते रहे तथा तुम्हें अपने इस दिन का सामना करने से सचेत करते रहे?" वे कहेंगे : "क्यों नहीं? परंतु, काफ़िरों पर यातना की बात सिद्ध हो चुकी है।" (सूरतुज़-ज़ुमर : 71)  

तथा अल्लाह ने फरमाया :

فليدع ناديه، سندع الزبانية

سورة العلق: 17-18

“तो वह अपनी सभा को बुला ले। हम भी जहन्नम के फ़रिश्तों को बुला लेंगे।” (सूरतुल-अलक़ : 17-18)

तथा अल्लाह ने फरमाया :

وَمَا أَدْرَاكَ مَا سَقَرُ(27) لا تُبْقِي وَلا تَذَرُ(28) لَوَّاحَةٌ لِلْبَشَرِ(29)عَلَيْهَا تِسْعَةَ عَشَرَ(30) وَمَا جَعَلْنَا أَصْحَابَ النَّارِ إِلا مَلائِكَةً وَمَا جَعَلْنَا عِدَّتَهُمْ إِلا فِتْنَةً لِلَّذِينَ كَفَرُوا لِيَسْتَيْقِنَ الَّذِينَ أُوتُوا الْكِتَابَ وَيَزْدَادَ الَّذِينَ آمَنُوا إِيمَانًا 

سورة المثر: 27-31

“और आपको किस चीज़ ने अवगत कराया कि 'सक़र' (जहन्नम) क्या है? वह न शेष रखेगी और न छोड़ेगी। वह खाल को झुलस देने वाली है। उसपर उन्नीस (फ़रिश्ते) नियुक्त हैं। और हमने जहन्नम के रक्षक फ़रिश्ते ही बनाए हैं और उनकी संख्या को काफ़िरों के लिए परीक्षण बनाया है। ताकि अह्ले किताब विश्वास कर लें और ईमान वाले ईमान में आगे बढ़ जाएँ।” (सूरतुल-मुद्दस्सिर : 27-31) 

तथा अल्लाह ने फरमाया :

"तथा वे पुकारेंगे : ऐ मालिक! तेरा पालनहार हमारा काम तमाम ही कर दे.." (सूरतुज़-ज़ुख़रुफ़ : 77).

• उनमें से कुछ गर्भ में शुक्राणु पर नियुक्त हैं, जैसा कि इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस में है कि उन्होंने कहा :

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमसे बयान किया, जबकि आप सादिक़ (सच्चे) व मसदूक़ (प्रमाणित) हैं, आपने फरमाया : “तुममें से किसी भी व्यक्ति की संरचना (शुक्राणु) को उसकी माँ के पेट में चालीस दिन तक इकट्ठा किया जाता है, फिर वह उसमें उसी मात्रा में (यानी चालीस दिन) खून का लोथड़ा (रक्त-थक्का) रहता है, फिर वह उसके अंदर उसी मात्रा में (चालीस दिन) मांस की बोटी रहता है, फिर एक फ़रिश्ता भेजा जाता है, तो वह उसमें रूह फूँकता है और उसे चार बातों का आदेश दिया जाता है : उसकी जीविका, उसके जीवन-काल, उसके कर्म, और उसके दुर्भाग्यशाली या सौभाग्यशाली होने को लिखने का। सो क़सम है उसकी जिसके सिवा कोई पूज्य नहीं, निःसंदेह तुम में से कोई व्यक्ति जन्नत वालों के कार्य करता है यहाँ तक कि उसके और जन्नत के बीच केवल एक हाथ की दूरी रह जाती है, फिर उसपर भाग का लिखा ग़ालिब आ जाता है और वह नरक के लोगों के काम करने लग जाता है, फिर वह नरक में प्रवेश करता है। तथा निःसंदेह तुम में से कोई व्यक्ति जहन्नम वालों के कर्म करता है यहाँ तक कि उसके और जहन्नम के बीच केवल एक हाथ की दूरी रह जाती है। फिर उसपर भाग्य का लिखा ग़ालिब आ जाता है, तो वह जन्नत वालों के कर्म करना शुरू कर देता है और वह जन्नत में प्रवेश कर जाता है।” इसे बुख़ारी (हदीस संख्या : 3208) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 2643) ने रिवायत किया है।

• उनमें से कुछ फरिश्ते अल्लाह के सिंहासन को उठाने वाले हैं, जैसा कि अल्लाह ने उनके बारे में फरमाया :

الذين يحملون العرش ومن حوله يسبحون بحمد ربهم ويؤمنون به ويستغفرون للذين آمنوا ربنا وسعت كل شئ رحمة وعلما فاغفر للذين تابوا واتبعوا سبيلك وقهم عذاب الجحيم 

سورة غافر: 7

"वे (फ़रिश्ते) जो अर्श (सिंहासन) को उठाए हुए हैं और जो उसके आस-पास हैं, वे अपने पालनहार की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता बयान करते हैं, तथा उसपर ईमान रखते हैं, और उन लोगों के लिए क्षमा याचना करते हैं जो ईमान लाए। (वे कहते हैं :) ऐ हमारे पालनहार! तूने हर चीज़ को (अपनी) दया और ज्ञान से घेर रखा है। अतः उन लोगों को क्षमा कर दे, जिन्होंने तौबा की और तेरे मार्ग का अनुसरण किया, तथा उन्हें भड़कती हुई आग की यातना से बचा।'' (सूरत ग़फ़िर : 7).

• उनमें से कुछ फ़रिश्ते ज़िक्र (अल्लाह की याद) की सभाओं की तलाश में दुनिया भर में घूमते-फिरते रहते हैं। अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : अल्लाह के कुछ ऐसे फ़रिश्ते हैं जो रास्तों में घूमते रहते हैं, अल्लाह का ज़िक्र करने वाले लोगों को तलाश करते हैं। जब वे ऐसे लोगों को पाते हैं जो अल्लाह को याद करते हैं, तो वे एक-दूसरे को पुकारते हैं : "आओ अपने मतलब (उद्देश्य) की ओर।" उन्होंने कहा : फिर वे उन्हें अपने पंखों से सबसे निचले आकाश तक घेर लेते हैं। (अंत में जब वे ऊपर चढ़ते हैं तो) उनका रब उनसे पूछता है, और वह उनसे बेहतर जानता है, "मेरे बंदे क्या कहते हैं?" वे कहते हैं : "वे तेरी पवित्रता बयान करते, तेरी बड़ाई करते, तेरी स्तुति करते और तेरी महिमा मंडन करते हैं।" वह पूछता है : "क्या उन्होंने मुझे देखा है?" वे कहते हैं : "नहीं, अल्लाह की क़सम, उन्होंने तुझे नहीं देखा।" तो वह कहता है : "और अगर उन्होंने मुझे देखा होता, तो उनका क्या हाल होता?" वे कहते हैं : "यदि उन्होंने तुझे देखा होता, तो वे तेरी और अधिक इबादत करते, तेरी महिमा का सबसे अधिक वर्णन करते और तेरी सबसे अधिक प्रशंसा करते। वह पूछता है : "वे मुझसे क्या माँग रहे हैं?" वे कहते हैं : "वे तुझसे जन्नत माँगते हैं।" वह पूछता है : "और क्या उन्होंने इसे देखा है?" वे कहते हैं : "नहीं, अल्लाह की क़सम, ऐ मेरे रब, उन्होंने उसे नहीं देखा।" वह पूछता है : "और अगर उन्होंने उसे देखा होता, तो उनका क्या हाल होता?" वे कहते हैं : "यदि उन्होंने उसे देखा होता, तो वे उसे और भी अधिक चाहते और उसे और शिद्दत से माँगते और उसकी सबसे अधिक इच्छा रखते। वह पूछता है : "और वे किससे पनाह माँगते हैं?" वे कहते हैं : "नरक की आग से।" वह पूछता है : "क्या उन्होंने उसे देखा है?" वे कहते हैं : "नहीं, अल्लाह की क़सम, ऐ मेरे रब, उन्होंने उसे नहीं देखा।" वह पूछता है : "और अगर वे उसे देखे होते तो कैसे होते?" वे कहते हैं : "अगर उन्होंने उसे देखा होता, तो वे उससे सबसे अधिक बचने वाले और उससे सबसे ज्यादा डरने वाले होते।" इस पर अल्लाह तआला कहता है : मैं तुम्हें गवाह बनाता हूँ कि निश्चय मैंने उन्हें क्षमा कर दिया।" फ़रिश्तों में से एक कहता है : उनमें से अमुक व्यक्ति ऐसा है जो इन (ज़िक्र करने वालों) में से नहीं है, बल्कि वह किसी ज़रूरत की वजह से आया था।" अल्लाह कहता है : "वे ऐसे साथी हैं जिनकी सभा में बैठने वाला अभागा नहीं होता।" (सहीह बुखारी, हदीस संख्या : 6408)

• उनमें से कुछ को पहाड़ों की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से पूछा : "क्या कभी आप पर उहुद के दिन से अधिक गंभीर दिन आया है?" आपने कहा : "मैंने तुम्हारी क़ौम की ओर से कितनी परेशानी झेली है, लेकिन अक़बा का दिन उनकी ओर से मेरे लिए सबसे कठिन था। यह वह समय था जब मैंने अपने आपको (ताइफ़ के प्रमुख) इब्ने अब्द यालील बिन अब्द कुलाल के सामने पेश किया। लेकिन उसने मेरे निमंत्रण को ठुकरा दिया। मैं वहाँ से बहुत उदास होकर लौटा। फिर जब मैं 'क़र्नुस-सआलिब' के पास पहुँचा, तो मुझे कुछ होश आया। मैंने अपना सिर उठाया तो देखा कि बादल का एक टुकड़ा मेरे ऊपर छाया किए हुए था। मैंने देखा तो उस (बादल) में जिबरील अलैहिस्सलाम थे। उन्होंने मुझे आवाज़ दी और कहा : निःसंदेह अल्लाह ने सुना है कि आपके लोगों ने क्या कहा और उन्होंने आपको कैसे जवाब दिया। अल्लाह ने तुम्हारे पास पहाड़ों का फ़रिश्ता भेजा है, ताकि जो कुछ आप उनके बारे में चाहते हैं, उसे आदेश दें। पहाड़ों के फ़रिश्ते ने मुझे आवाज़ दी और मुझे सलाम किया, फिर कहा : ऐ मुहम्मद, आप जो चाहें आदेश करें। अगर आप चाहें तो मैं दोनों तरफ के पहाड़ों को लाकर उनपर मिला दूँ। (दो पहाड़ों के बीच पीस दूँ)। नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "बल्कि, मुझे उम्मीद है कि अल्लाह उनकी पीठ से ऐसे लोगों को निकालेगा जो अकेले अल्लाह की इबादत करेंगे और उसके साथ किसी को साझीदार नहीं ठहराएँगे।" इसे बुख़ारी (हदीस संख्या : 3231) ने रिवायत किया है।

• उनमें से कुछ ‘बैतुल-मा’मूर के आगंतुक हैं। इसरा और मे'राज का वर्णन करने वाली लंबी हदीस में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया :

"फिर मुझे ‘बैतुल-मा’मूर’ दिखाया गया। मैंने जिबरील से उसके बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा : यह ‘बैतुल-मा’मूर’ है, इसमें हर दिन सत्तर हज़ार फ़रिश्ते नमाज़ पढ़ते हैं। जब वे (एक बार पढ़कर) निकल जाते हैं, तो फिर कभी उसमें नहीं लौटते।’’

• उनमें से कुछ पंक्तिबद्ध फ़रिश्ते हैं जो कभी थकते नहीं, खड़े हुए हैं जो बैठते नहीं, रुकू और सजदा करने वाले हैं जो कभी अपना सिर नहीं उठाते, जैसा कि अबू ज़र रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : निःसंदेह मैं वह चीज़ देख रहा हूँ जो तुम नहीं देखते और वह सुन रहा हूँ जो तुम नहीं सुनते। आकाश चरचरा रहा है और उसके लिए योग्य है कि वह चरचराए। क्योंकि उसमें चार अंगुल की भी कोई जगह नहीं है, परंतु वहाँ कोई न कोई फ़रिश्ता अपना माथा रखे हुए अल्लाह को सजदा कर रहा है। अल्लाह की क़सम, जो मैं जानता हूँ अगर तुम लोग भी जान लो, तो तुम हँसोगे कम और रोओगे ज्यादा, तथा तुम बिस्तरों पर महिलाओं का आनंद नहीं लोगे और अवश्य ही तुम अल्लाह से प्रार्थना करते हुए मैदानों में निकल जाते।" (सुनन तिर्मिज़ी, हदीस संख्या : 2312)

यह अल्ला के सम्माननीय फ़रिश्तों के बारे में एक सारांश है। हम अल्लाह से दुआ करते हैं कि वह हमें उन पर ईमान लाने वालों, उनसे महब्बत करने वालों में से बनाए, तथा अल्लाह हमारे नबी मुहम्मद पर दया और शांति अवतरित करे।

अधिक जानकारी के लिए, साइट में निम्नलिखित उत्तर देखे :

 फ़रिश्ते

 फरिश्तों पर ईमान लाने की वास्तविकता

स्रोत

शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद

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