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मकरूह और हराम की परिभाषा

प्रश्न: 9084

“मकरूह” शब्द का क्या अर्थ हैॽ तथा “मकरूह” और “हराम” में क्या अंतर हैॽ

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

अरबी भाषा में “मकरूह” : प्रिय (पसंदीदा) के विपरीत को कहते हैं। (अर्थात् : नापसंदीदा, घृणित)।

शरीयत की शब्दावली में : मकरूह का अर्थ है : जिसे शरीयत विधाता ने छोड़ने के लिए कहा है, लेकिन निश्चित रूप से नहीं। इसकी परिभाषा इस तरह भी की जा सकती है कि : जिसे आज्ञाकारिता के तौर पर छोड़ देने वाले को सवाब दिया जाएगा और उसे करने वाले को दंडित नहीं किया जाएगा।

अरबी भाषा में “हराम” का मतलब है : निषिद्ध या वर्जित।

शरीयत की शब्दावली में : हराम का अर्थ है : जिसे शरीयत विधाता ने निश्चित रूप से छोड़ने के लिए कहा है। 'हराम' दरअसल 'हलाल' का विपरीत है। बंदे को हराम से बचने पर केवल तभी अज्र-व-सवाब दिया जाएगा, जब उसने उसे आज्ञाकारिता के तौर पर छोड़ा है (अर्थात् केवल इस कारण छोड़ा है कि शरीयत ने उससे मना किया है), किसी डर, या शर्म, या हराम के करने में असमर्थता की वजह से नहीं। क्योंकि इन परिस्थितियों में उसे हराम को छोड़ने पर सवाब नहीं मिलेगा।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

“शर्ह अल-वरक़ात फी उसूल अल-फ़िक़ह” (अब्दुल्लाह अल-फ़ौज़ान, पृष्ठ : 29-30).

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