डाउनलोड करें
0 / 0

काफिरों को उनके त्यौहारों की बधाई देने का हुक्म

प्रश्न: 947

काफिरों को उनके त्यौहारों की बधाई देने का क्या हुक्म है ?

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

कुफ्फार को क्रिसमस दिवस या उनके अन्य धार्मिक त्यौहारों की बधाई देना सर्वसम्मति से हराम है, जैसाकि इब्नुल क़ैयिम-रहिमहुल्लाह- ने अपनी पुस्तक (अहकाम अह्ल अज्ज़िम्मा) में उल्लेख करते हुये फरमाया है : "कुफ्र के विशिष्ट प्रावधानों की बधाई देना सर्वसम्मति से हराम है, उदाहरण के तौर पर उन्हें उनके त्यौहारों और रोज़े की बधाई देते हुये कहना : आप को त्यौहार की बधाई हो, या आप इस त्यौहार से खुश हों इत्यादि, तो ऐसा कहने वाला यदि कुफ्र से सुरक्षित रहा, परन्तु यह हराम चीज़ों में से है, और यह उसे सलीब को सज्दा करने की बधाई देने के समान है, बल्कि यह अल्लाह के निकट शराब पीने, हत्या करने, और व्यभिचार इत्यादि करने की बधाई देने से भी बढ़ कर पाप और अल्लाह की नाराज़गी (क्रोध) का कारण है, और बहुत से ऐसे लोग जिन के निकट दीन का कोई महत्व और स्थान नहीं, वे इस त्रुटि में पड़ जाते हैं, और उन्हें अपने इस घिनावने काम का कोई बोध नहीं होता है, अत: जिस आदमी ने किसी बन्दे को अवज्ञा (पाप) या बिद्अत, या कुफ्र की बधाई दी, तो उस ने अल्लाह तआला के क्रोध, उसके आक्रोश और गुस्से को न्योता दिया।" (इब्नुल क़ैयिम रहिमहुल्लाह की बात समाप्त हुई )

काफिरों को उनके धार्मिक त्यौहारों की बधाई देना हराम और इब्नुल क़ैयिम के द्वारा वर्णित स्तर तक गंभीर इस लिये है कि इस में यह संकेत पाया जाता है कि काफिर लोग कुफ्र की जिन रस्मों पर क़ायम हैं उन्हें वह स्वीकार करता है और उनके लिए उसे पसंद करता है, भले ही वह अपने आप के लिये उस कुफ्र को पसंद न करता हो। किन्तु मुसलमान के लिए हराम है कि वह कुफ्र की रस्मों और प्रावधानों को पसंद करे या दूसरे को उसकी बधाई दे, क्योंकि अल्लाह तआला इस चीज़ को पसंद नहीं करता है जैसाकि अल्लाह तआला का फरमान है : "यदि तुम कुफ्र करो तो अल्लाह तुम से बेनियाज़ है, और वह अपने बन्दों के लिए कुफ्र को पसंद नहीं करता और यदि तुम शुक्र करो तो तुम्हारे लिये उसे पसंद करता है।" (सूरतुज्ज़ुमर : 7)

तथा अल्लाह तआला ने फरमाया : "आज मैं ने तुम्हारे लिए तुम्हारे धर्म को मुकम्मल कर दिया और तुम पर अपनी नेमतें सम्पूर्ण कर दीं और तुम्हारे लिए इस्लाम धर्म को पसन्द कर लिया।" (सूरतुल-माईदा: 3)

और उन्हें इसकी बधाई देना हराम है चाहे वे उस आदमी के काम के अंदर सहयोगी हों या न हों।

और जब वे हमें अपने त्यौहारों की बधाई दें तो हम उन्हें इस पर जवाब नहीं देंगे, क्योंकि ये हमारे त्यौहार नहीं हैं, और इस लिए भी कि ये ऐसे त्यौहार हैं जिन्हें अल्लाह तआला पसंद नहीं करता है, क्योंकि या तो ये उनके धर्म में स्वयं गढ़ लिये गये (अविष्कार कर लिये गये) हैं, और या तो वे उनके धर्म में वैध थे लेकिन इस्लाम धर्म के द्वारा निरस्त कर दिये गये जिस के साथ अल्लाह तआला ने मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को सर्व सृष्टि की ओर भेजा है, और उस धर्म के बारे में फरमाया है : "जो व्यक्ति इस्लाम के अतिरिक्त कोई अन्य धर्म ढूँढ़े तो उसका धर्म कदापि स्वीकार नहीं किया जायेगा, और वह परलोक में घाटा उठाने वालों में से होगा।" (सूरत आल-इम्रान: 85)

मुसलमान के लिए इस अवसर पर उन के निमंत्रण को स्वीकार करना हराम है, इसलिए कि यह उन्हें इसकी बधाई देने से भी अधिक गंभीर है, क्योंकि इस के अंदर उस काम में उनका साथ देना पाया जाता है।

इसी प्रकार मुसलमानों पर इस अवसर पर समारोहों का आयोजन कर के, या उपहारों का आदान प्रदान कर के, या मिठाईयाँ अथवा खाने की डिश वितरण कर के, या काम की छुट्टी कर के और ऐसे ही अन्य चीज़ों के द्वारा काफिरों की छवि (समानता) अपनाना हराम है, क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : "जिस ने किसी क़ौम की छवि अपनाई वह उसी में से है।"

शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या अपनी किताब (इक्तिज़ाउस्सिरातिल मुस्तक़ीम मुख़ालफतो असहाबिल जह़ीम ) में फरमाते हैं : "उनके कुछ त्यौहारों में उनकी नक़ल करना इस बात का कारण है कि वे जिस झूठ पर क़ायम हैं उस पर उनके दिल खुशी का आभास करेंगे, और ऐसा भी सम्भव है कि यह उन के अंदर अवसरों से लाभ उठाने और कमज़ोरों को अपमानित करने की आशा पैदा कर दे।" ( इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह की बात समाप्त हुई )।

जिस आदमी ने भी इस में से कुछ भी कर लिया तो वह पापी (दोषी) है चाहे उसने सुशीलता के तौर पर ऐसा किया हो, या चापलूसी के तौर पर, या शर्म की वजह से या इनके अलावा किसी अन्य कारण से किया हो, क्योंकि यह अल्लाह के धर्म में पाखण्ड है, तथा काफिरों के दिलों को मज़बूत करने और उनके अपने धर्म पर गर्व करने का कारण है।

अल्लाह ही से प्रार्थना है कि वह मुसलमानों को उन के धर्म के द्वारा इज़्ज़त (सम्मान) प्रदान करे, और उन्हें उस पर सुदृढ़ रखे, और उन्हें उन के दुश्मनों पर विजयी बनाये, नि:सन्देह वह शक्तिशाली और सर्वस्शक्तिसम्मान है। (मजमूअ़ फतावा व रसाइल शैख इब्ने उसैमीन 3/369)

स्रोत

शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद

at email

डाक सेवा की सदस्यता लें

साइट की नवीन समाचार और आवधिक अपडेट प्राप्त करने के लिए मेलिंग सूची में शामिल हों

phone

इस्लाम प्रश्न और उत्तर एप्लिकेशन

सामग्री का तेज एवं इंटरनेट के बिना ब्राउज़ करने की क्षमता

download iosdownload android
at email

डाक सेवा की सदस्यता लें

साइट की नवीन समाचार और आवधिक अपडेट प्राप्त करने के लिए मेलिंग सूची में शामिल हों

phone

इस्लाम प्रश्न और उत्तर एप्लिकेशन

सामग्री का तेज एवं इंटरनेट के बिना ब्राउज़ करने की क्षमता

download iosdownload android