प्रार्थना (दुआ)
दुआ के कुछ शिष्टाचार
दुआ के आदाब (शिष्टाचार) और उसकी कैफियत (मांगने का तरीक़ा) क्या हैॽ उसके वाजिबात (अनिवार्य चीज़ें) और उसकी सुन्नतें क्या हैंॽ उसे कैसे आरंभ किया जाए और कैसे उसका समापन किया जाएॽ क्या सांसारिक मामलों से संबंधित प्रश्न को आख़िरत से संबंधित मांग पर प्राथमिकता दे सकते हैंॽ तथा दुआ में हाथ उठाना कहाँ तक सही है और यदि हाथ उठाना सही है तो उसका क्या तरीक़ा हैॽदुआ और क़ुरआन का पाठ करने के लिए इकट्ठा होने का हुक्म
हमारे विश्वविद्यालय के नमाज़-स्थल में दुआ और बैठक के लिए इकट्ठा होने के विषय में विवाद पैदा हो गया, जहाँ उपस्थित व्यक्तियों पर क़ुरआन के पारे वितरित किए जाते हैं और उनमें से प्रत्येक व्यक्ति उसी समय एक-एक पारा पढ़ता है यहाँ तक कि पूरे क़ुरआन का पाठ कर लिया जाता है। फिर वे लोग किसी निर्धारित उद्देश्य जैसे उदाहरण के लिए परीक्षाओं में सफलता के लिए दुआ करते हैं। प्रश्न यह है कि क्या इस प्रार्थना का तरीक़ा शरीयत में वर्णित हैॽ मुझे उम्मीद है कि आपका उत्तर क़ुरआन, हदीस और पूर्वजों के इज्माअ (सर्वसम्मत) के द्वारा समर्थित होगा।दुआ के स्वीकार्य होने के समय और स्थान
प्रश्नः वे कौन कौन से स्थान, समय और स्थितियाँ हैं जिनमें दुआ स्वीकार की जाती है? और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के फरमानः ''फ़र्ज़ नमाज़ों के बाद'' से क्या अभिप्राय है? क्या पिता की अपनी संतान के लिए दुआ स्वीकार्य है, या पिता की अपने बच्चों पर केवल शाप (बद्-दुआ) स्वीकार की जाती है, आप से अनुरोध है कि इन सभी मुद्दों को स्पष्ट करें।