क्षमायाचना (तौबा) के प्रावधान
क्या तौबा के समय सभी गुनाहों को याद करना ज़रूरी है
क्या शिर्क (अनेकेश्वरवाद) से तौबा करने वाले के लिए उस से होने वाले शिर्क के सभी कामों को याद करना अनिवार्य है ताकि वह उनसे तौबा करे, या कि यह शैतान का वसवसा है ताकि वह तौबा और इस्लाम में प्रवेश करने से घृणित कर दे ॽ या कि केवल शहादतैन (अर्थात ला-इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह) कहना आप के लिए उसमें प्रवेश करने के लिए काफी है ॽवह तौबा करता है फिर गुनाह की तरफ पलट आता है
मेरी समस्या हराम (निषिद्ध) चीज़ों को देखना है, मैं तौबा करता हूँ फिर उसी हालत की ओर पलट जाता हूँ। मुझे नहीं मालूम कि कौन सी चीज़ मुझे इस कार्य पर बाध्य कर देती है ?तौबा (पश्चाताप)
मैंने बहुत पाप किया हैं जिन्हें केवल अल्लाह ही जानता है। अब मुझे क्या करना चाहिए कि अल्लाह तआला मेरी तौबा को स्वीकार कर लेॽगुनाहों को मिटाने वाले कारण
मैं एक विवाहिता मुस्लिम महिला हूँ। मेरा जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ। किन्तु मैं इस्लाम के नियमों और अहकाम के बारे में कुछ अधिक नहीं जानती। मैं बहुत से बड़े-बड़े पाप कर चुकी हूँ जिसके कारण मैं ऐसा महसूस करती हूँ कि गोया मैं इस संसार में सबसे दुष्ट मानव हूँ। अब मैं इस महान धर्म से संबंधित ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास कर रही हूँ। किन्तु मैं अपने हृदय में शांति और उसके आदेशों का पालन करने पर सुकून नहीं महसूस करती हूँ। मैं सदा यह प्रश्न करती हूँ: मैं इस बात को कैसे जान सकती हूँ कि अल्लाह रब्बुल आलमीन ने मुझे क्षमा कर दिया या नहीं ? वे कौन से अच्छे काम हैं जो मैं करूँ कि वे मेरे उन बड़े-बड़े गुनाहों को साफ कर दें जन्हें मैं पहले कर चुकी हूँ ? मैं अपने पालनहार के कैसे क़रीब हो सकती हूँ ? हे अल्लाह ! तू मुझे वह चीज़ दिखा दे जिस से यह पता चले कि तू ने मुझ पर दया किया है। मैं अच्छी तरह से सो भी नहीं सकती। मुझे किसी चीज़ से सुकून नहीं मिलती और न मैं किसी चीज़ से लुत्फ उठा पाती हूँ। मैं हमेशा ऐसा अनुभव करती हूँ कि मैं किसी भी समय मर जाऊँगी और अल्लाह तआला मुझसे पूछताछ करेगा। मैं उस पवित्र अस्तित्व को कैसे जवाब दूँगी। क्योंकि मेरे पास कुछ भी कहने के लिए नहीं है। मैं अपने अंदर से हमेशा रोती रहती हूँ। हे अल्लाह! मुझे बता दे कि मैं अपने सभी गुनाहों से कैसे मोक्ष प्राप्त करूँ। मैं आपको इस लिए पत्र लिख रही हूँ क्योंकि मैं आपकी पुस्तक "मैं तौबा करना चाहता हूँ लेकिन" कई बार पढ़ चुकी हूँ। और उसे पढ़ने के बाद मैं कुछ राहत महसूस करती हूँ। जब मैं सूरत ज़ुमर (आयत: 53) में अल्लाह तआला का यह फरमान पढ़ती हूँ कि: "अल्लाह की दया से निराश न हो।" मेरे जीवन में मात्र यही एक आशा है। क्या आप यह समझते हैं कि अल्लाह मुझे क्षमा कर देगा जबकि मैं वह औरत हूँ जिसने हर पाप किया है ? मैं ने तौबा की नमाज़ पढ़ी है और मैं कोशिश कर रही हूँ कि सभी पहलुओं से अपनी जीवन शैली बदल दूँ। ताकि मेरा परमेश्वर (पालनहार) मुझसे राज़ी हो जाये। मैं यह प्रतिज्ञा करती हूँ कि अपनी बाक़ी (शेष) ज़िंदगी में इस्लाम के आदेशों का पालन करूँगी।एड्स के रोगी की तौबा
एक आदमी एड्स के रोग से ग्रस्त है और डॉक्टरों ने फैसला किया है कि इस जीवन में उसकी आयु बहुत थोड़ी है, तो इस समय उसकी तौबा (पश्चाताप) का क्या हुक्म है ?बार बार पाप करना
उस व्यकित का क्या होगा जो एक ही पाप बार बार करता है ?