
वर्गीकरण
नफ्ल (स्वेच्छिक) रोज़े
अय्यामुल-बीज़ और शाबान के महीने में रोज़ा रखने के लिए प्रोत्साहन
हर महीने तीन दिन रोज़े रखना मुसतहब है, और सबसे अच्छा यह है कि ये (तीन रोज़े) अय्यामुल-बीज़ में रखे जाएँ, जो कि चाँद के महीने की 13वीं, 14वीं और 15वीं तारीख़ है। शाबान में तीन दिन रोज़े रखने में कोई हर्ज नहीं है, भले ही उनमें से कुछ महीने के उत्तरार्ध में हों। तथा शाबान के महीने में अधिक से अधिक रोज़ा रखने में भी कोई हर्ज नहीं है, बल्कि यह सुन्नत है।- 5,943
क्या शव्वाल के छः रोज़ों को सोमवार और जुमेरात के दिन रखा जा सकता है ॽ
- 4,956
क्या शव्वाल के छः रोज़ों को निरंतर व लगातार रखना शर्त है
- 2,944
शाबान के रोज़े को रमज़ान के साथ मिलाना
- 5,647
शाबान के दूसरे अर्द्ध में रोज़ा रखने से निषेध
- 15,300
अपने जन्मदिन पर और पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्मदिन पर रोज़ा रखना
- 4,024
रमज़ान की क़ज़ा और आशूरा या अरफ़ा के रोज़े को एकत्रित करना
- 5,828
अगर मासिक धर्म वाली महिला का आशूरा का रोज़ा छूट जाए तो क्या वह उसके बाद इसकी क़ज़ा करेगीॽ
- 5,215
क्या आशूरा का अज्र व सवाब उस व्यक्ति को मिलेगा जो इसके रोज़े की नीयत दिन के दौरान करे?
- 4,572
धर्म शास्त्री आशूरा (दसवीं मुहर्रम) के दिन के साथ ग्यारहवीं मुहर्रम का रोज़ा रखना क्यों मुस्तहब समझते हैंॽ