शिष्टाचार, नैतिकता और हृदय विनम्र करने वाले तत्व
यह कैसे हो सकता है कि बंदे की मुख्य चिंता अल्लाह की खुशी हो, लोगों की नहींॽ
मैं अपनी मुख्य चिंता अल्लाह को खुश करना कैसे बना सकता हूँ, और लोग क्या कहते हैं, उसपर मैं कोई ध्यान न दूँॽ वे कौन-सी पुस्तकें हैं जो इसे हासिल करने में मेरी मदद करेंगीॽअलग-अलग रीति-रिवाजों के अनुसार शब्दों का हुक्म भिन्न होता है
कुछ लोग ऐसे हैं जो कहते हैं : अश्लील कथन एक सापेक्ष अर्थ है, और यह कि कुछ क्षेत्रों में अश्लील (अभद्र) शब्दों का उपयोग इस आधार पर किया जाता है कि वे साधारण और प्रचलित हैं, अश्लील नहीं हैं, और लड़का उन्हें अपने पिता से कह सकता है, तो इस कथन की सच्चाई क्या हैॽआदत और इबादत के बीच
क्या किसी इबादत का आदी और अभ्यस्त हो जाने की समस्या का कोई हल है। अर्थात जब मैं किसी निश्चित सूरत का पाठ करता हूँ तो मुझे बहुत खुशू (तन्मयता व एकाग्रता) का आभास होता है। लेकिन कुछ दिनों के बाद यह खुशू कमज़ोर हो जाता है, मानो कि मेरा दिल अर्थों को समझने और उनपर विचार करने का आदी हो गया है, और उनके साथ संतुष्ट हो गया है। यही मामला कुछ दुआओं को करने के साथ होता है, तो क्या इसका कोई समाधान हैॽनौकरानी को उपहार या दान देने का हुक्म
नौकरानी को उपहार या दान देने का क्या हुक्म हैॽ