कुर्आन और उसके विज्ञान
सूरतुल-फातिह़ा के अवतिरत होने का समय
सूरतुल-फातिहा का अवतरण कब हुआॽ क्या यह अल्लाह तआला के दुनिया वालों पर नमाज़ फर्ज़ करने के बाद अवतरित हुई या उससे पहलेॽ मुझे सिर्फ निर्धारण चाहिए।अगर वह क़ुरआन के पाठ को बाधित कर देता और फिर वापस आकर उसे पूरा करता है, तो क्या वह 'अऊज़ो-बिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम' फिर से पढ़ेगाॽ
अगर मुसहफ़ से क़ुरआन पढ़ते समय परिवार का कोई सदस्य मुझे बाधित कर देता है, तो क्या मुझे फिर से 'अऊज़ो-बिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम' पढ़ना होगा, या मुझे वहीं से क़ुरआन का पाठ जारी रखना चाहिए जहाँ मैंने छोड़ा थाॽअगर अल्लाह ने किसी को अपनी पुस्तक याद करने की तौफ़ीक़ प्रदान की है, तो क्या इसका मतलब यह है कि अल्लाह ने उसके साथ भलाई का इरादा किया हैॽ
अगर अल्लाह किसी को अपनी पुस्तक (क़ुरआन) को याद करने में सक्षम बनाता है, तो क्या इसका मतलब यह है कि वह अवश्य उसका भला चाहता है, चाहे उसकी स्थिति कुछ भी होॽजिस व्यक्ति ने क़ुरआन का कुछ हिस्सा याद किया फिर उसे भूल गया उसे क्या करना चाहिए?
यदि कोई व्यक्ति क़ुरआन से जो कुछ याद किया था उसे भूल गया फिर उसने पश्चाताप किया, तो क्या उसकी तौबा के स्वीकार होने के लिए उसके लिए उस हिस्से को दोहराना ज़रूरी है जिसे वह भूल गया है? और यदि उसके लिए दोहराना ज़रूरी है तो वह उन आयतों को कैसे दोहराए जिन्हें उसने यहाँ और वहाँ से बेतरतीब ढंग से याद किया था, और अब उनके स्थानों को वह याद नहीं रखता ह?जहाँ तक उन सूरतों का संबंध है जिन्हें उसने पूरे का पूरा याद किया है उसके बारे में उसे कोई समस्या नहीं है। और क्या उसे तुरंत देाहराना ज़रूरी है या कि उसे दीर्घकालिक तौर पर अवकाश के समय में दोहराने में कोई आपत्ति की बात नहीं है?क़ुरआन का पाठ चालू करके छोड़ देना और उसे न सुनना
जब मैं घर पर होता हूँ और इसी तरह जब मैं घर से बाहर होता हूँ, तो कुरआन के पाठ का प्रसारण चालू करके छोड़ देता हूँ। तो क्या ऐसा किया जा सकता है या नहींॽपवित्र क़ुरआन के बारे में पूर्वजों का अक़ीदा
हम पवित्र क़ुरआन के बारे में सलफ़ (पुनीत पूर्वजों) का अक़ीदा (मन्यता) जानना चाहते हैं।क्या मोबाइल से या अपनी स्मरण शक्ति से क़ुरआन पढ़ने से अज्र व सवाब कम हो जाता हैॽ
अगर मैं मोबाइल से या अपनी स्मृति से क़ुरआन पढ़ूँ और मुसहफ़ से क़ुरआन न पढ़ूँ, तो क्या अज्र व सवाब कम हो जाएगाॽक्या तरावीह की नमाज़ अकेले पढ़ी जाएगी या जमाअत के साथ पढ़ी जाएगीॽ क्या रमज़ान में क़ुरआन ख़त्म करना बिदअत हैॽ
मैंने सुना है कि मुसलमान को तरावीह की नमाज़ अकेले पढ़ना चाहिए, जिस तरह कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने तीन बार के अलावा तरावीह की नमाज़ अकेले पढ़ी है। क्या यह बात सही हैॽ मैंने यह भी सुना है कि रमज़ान में तरावीह के दौरान पूरा क़ुरआन पढ़ना बिद्अत है; क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने ऐसा नहीं किया है, क्या यह बात सही हैॽ